कांग्रेस अध्यक्ष, श्रीमती सोनिया गांधी के वक्तव्य का हिन्दी अनुवाद…अब हर भारतीय केवल एक प्रश्न पूछ रहा है – नोटबंदी से आखिर क्या हासिल हुआ?
कांग्रेस अध्यक्ष, श्रीमती सोनिया गांधी के वक्तव्य का हिन्दी अनुवाद
निरंकुश भाजपा सरकार द्वारा देश के नागरिकों की जिंदगी व रोजी-रोटी पर हमले – ‘नोटबंदी के तुगलकी फरमान’ की आज तीसरी सालगिरह है।
08 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने 500 रु. एवं 1000 रु. के नोट को एक झटके में बंद करके देश के नागरिकों को (1) कालाधन समाप्त करने, (2) जाली नोट खत्म करने, (3) आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाने का वायदा किया था। भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तक कहा था कि लोगों के पास छिपा लगभग 3,00,000 करोड़ रु. का काला धन सिस्टम से बाहर निकल जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री ने जोड़ा कि उनका उद्देश्य नकद नोटों का उपयोग समाप्त करके डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। आज तीन साल बाद, प्रधानमंत्री मोदी इन सभी बातों में पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं।
आरबीआई ने ही इस बात की पुष्टि की कि 500 रु. एवं 1000 रु. के 99.3 प्रतिशत प्रचलित नोट, नोटबंदी के बाद बैंकों में पुनः जमा कर दिए गए तथा सरकार का 300,000 करोड़ रु. का कालाधन पकड़ने का अनुमान खोखला साबित हुआ। जाली नोटों की संख्या भी अनुमानित संख्या के मुकाबले बहुत कम या फिर ’न’ के बराबर रही (इसकी पुष्टि भी आरबीआई ने की)। वहीं सरकार द्वारा प्रकाशित आंकड़े नोटबंदी के बाद आतंकवाद एवं नक्सलवाद की गतिविधियों में बढ़ोत्तरी की ओर इशारा करते हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि नोटबंदी के बाद कैश का उपयोग नोटबंदी के पहले के मुकाबले 22 प्रतिशत बढ़ गया (संसद में वित्तमंत्री द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार)।
अब हर भारतीय केवल एक प्रश्न पूछ रहा है – नोटबंदी से आखिर क्या हासिल हुआ?
बल्कि, नोटबंदी से यह हासिल हुआ कि इससे देश की अर्थव्यवस्था में से 1 करोड़ से ज्यादा नौकरियां खत्म हो गईं (यह संख्या अभी भी बढ़ रही है), बेरोजगारी की दर 45 सालों में सबसे ज्यादा हो गई, जीडीपी वृद्धि में दो प्रतिशत अंकों की कमी हो गई और भारत की अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग ‘स्टेबल’ से घटकर ‘नैगेटिव’ हो गई। अब स्वतंत्र अर्थशास्त्री व्यापक स्तर पर इस बात को मानते हैं कि नोटबंदी तत्कालीन केंद्र सरकार की एक भयंकर भूल थी और नोटबंदी की यह कहानी पूरी दुनिया में अन्य देशों की सरकारों को एक चेतावनी के तौर पर पढ़ाई जाती है कि ‘देश की सरकारों को क्या नहीं करना चाहिए’।
अपनेआप को जवाबदेह होने का खोखला दावा करने वाले प्रधानमंत्री एवं उनके मंत्रियों ने इस भयंकर भूल की जिम्मेदारी आज तक नहीं ली, जिसकी वजह से लगभग एक सौ पच्चीस लोगों की जानें गईं (एक रुढ़िवादी अनुमान के अनुसार), छोटे व मंझोले उद्योग बंद हो गए, भारतीय किसानों की रोजी-रोटी छिन गई और लाखों परिवार गरीबी के कगार पर पहुंच गए।
आज तीन साल के बाद नोटबंदी का निर्णय भाजपा के त्रुटिपूर्ण ‘गवर्नेंस मॉडल’ का एक ज्वलंत उदाहरण बन गया है। यह झूठे प्रचार प्रसार के लिए उठाया गया एक अनर्गल कदम था, जिसने भोले-भाले तथा विश्वास करने वाले देशवासियों को भारी नुकसान पहुँचाया। संक्षेप में कहें तो मोदी सरकार के गवर्नेंस रवैये का यही सार है।
मोदी सरकार, नोटबंदी के तुगलकी फरमान और विचारशून्यता के साथ उठाए गए इस कदम की जवाबदेही से जितना भी बचने का प्रयास करे, यह देश एवं यहां के नागरिक उन्हें इसके लिए कभी माफ नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों ने 2017 से इस उम्मीद से नोटबंदी के बारे में बात करना बंद कर दिया, कि देश यह घटना शायद भूल जाएगा। लेकिन कांग्रेस पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि न तो देश, न ही देश का इतिहास भाजपा के नोटबंदी के निर्णय के कारण अर्थव्यवस्था को हुई असीमित क्षति, भयंकर बेरोजगारी और रोजी-रोटी को हुए नुकसान के लिए न तो भूलेगा और न ही माफ करेगा। क्योंकि भाजपा के विपरीत कांग्रेस सदैव ‘देशहित’ के लिए काम करती है।