आपातकालीन पुल का मॉडल राष्ट्रीय प्रदर्शनी में  बना आकर्षण का केन्द्र

आपातकालीन पुल का मॉडल राष्ट्रीय प्रदर्शनी में  बना आकर्षण का केन्द्र
रायपुर, 17 अक्टूबर 2019/ राष्ट्रीय बाल विज्ञान प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ की ऊर्जा नगरी कोरबा के सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रगति नगर के विद्यार्थी उमेश कुमार सोनी द्वारा बनाया गया आपातकालीन पुल का मॉडल सबको आकर्षित कर रहा है। प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने और जीवनोपयोगी सामग्री पहुंचाने के लिए किस प्रकार आपातकालिन पुल निर्माण प्रणाली सहायक हो सकती है। इसका प्रदर्शन मॉडल के माध्यम से किया गया है। नए प्रणाली पास्कल के नियम पर आधारित है। इस प्रणाली के ऊपरी भाग में एक हाइड्रोलिक टैंक है, जिसमें से हाइड्रोलिक ऑयन सिरिंज में आता है। यह हाइड्रोलिक पम्प ऑन करने पर ऑयल की गतिज ऊर्जा से, गियर की सहायता से पुल खुलकर स्थिर हो जाता है।
अपशिष्ट प्रबंधन के विषय पर अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह, राजकीय मॉडल सीनियर सेकण्डरी स्कूल एवरडीन पोर्ट ब्लेयर, दक्षिण अण्डमान के विद्यार्थी विकास यादव, जे.के. देवन, एस.साई. शंकर और आदित्य यादव नेे अपशिष्ट से संपदा का मॉडल बनाया है। मॉडल में जैव अपशिष्ट की केंचुओं द्वारा अपघटन के सिद्धांत पर उपयोग करते हुए समुदाय के गीले जैव अपशिष्ट के प्रबंधन और वर्मी खाद, वर्मी तरल के उत्पादन को दर्शाया गया है। यह यंत्र आस-पास को स्वच्छ रखने और वर्मी खाद का उत्पादन, जैविक रसोई बागवानी के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है।
अपशिष्ट प्रबंधन के विषय पर तेलंगाना जेडपीएचएस मपका निजामाबाद की विद्यार्थी यस. पूजा और एस.वेधा श्री ने अपशिष्ट पदार्थ सफेद कोयले में परिवर्तित करने की मशीन का मॉडल बनाया है। मॉडल में एक जैविक पदार्थों को ठोस टुकड़ों में परिवर्तित करने की मशीन को हाथ से चलाया जा सकता है। यह मशीन खेती में उत्पन्न होने वाले लकड़ी के टुकड़े, पराल या घास-फूस, चावल की भूसी, बुरादा जैसे पदार्थों को दबाव द्वारा ठोस टुकड़ों में परिवर्तित कर देती है। इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है। इससे वैकल्पिक ऊर्जा का एक स्त्रोत उपलब्ध होता है।
बाल वैज्ञानिकों ने बताया कि वाहन चालक पुल मंे भरे बारिश के पानी से कैसे बचे
मध्यप्रदेश से आए सचिन सेन ने अपने मॉडल के माध्यम से बारिश के समय पुल में पानी चढ़ जाने से वाहन चालकों को दुर्घटनाओं से बचाने के उपाय का प्रदर्शन किया है। यह मॉडल आर्कमिडीज के सिद्धांतों पर कार्य करता है। इसके लिए बैरियर के किनारे हल्की वस्तु लगाई जाती है, जो पानी के आने पर तैरने लगती है, जिससे सड़क पर बारिश के समय बैरियर द्वार बंद हो जाता है और वाहन चालक पुल पर पानी में वाहन नहीं चला पाते, जिसके कारण दुर्घटना से बच जाते हैं। जल स्तर कम होने पर बैरियर अपने आप खुल जाता है, जिससे वाहन चालक वालन पुल के ऊपर से निकाल सकते हैं। इसके लिए व्यक्ति विशेष की आवश्यकता नहीं होती।
उत्तर प्रदेश से एक बच्चे द्वारा छोटा सा द्रोण का मॉडल बनाया गया है, जिसकी मदद से खेतों में दवाई छिड़कने का कार्य, युद्ध में बस आदि को ले जाने तथा अन्य कार्य में इसका उपयोग किया जा सकता है। इसकी क्षमता अभी एक किलोमीटर दूरी की है। फसलों में दवाई की छिड़काव करते समय किसानों को सांप, बिच्छु आदि के काटने का भय रहता है एवं खेतों मंे चलने से फसलों को भी नुकसान पहंुचता है। इस मशीन से इन समस्याओं से निजात पायी जा सकती है।
संसाधन प्रबंधन स्टाल मंे ही बिलासपुर के छात्र प्रिंयाशु गुप्ता और साथियों द्वारा लेबर रोबोट मॉडल बनाया गया है, जो खेती कार्य, गृह निर्माण, रोड, पुल आदि का निर्माण बिना मजदूरों के कम समय में कर सकते हैं। इस मॉडल के माध्यम से ऐसी मशीन बनाकर कृषकों को मुफ्त में देने की भारत शासन से अनुशंसा की गई है। यह मॉडल नीति आयोग द्वारा अटल टिकरिंग मैराथन में पूरे भारत में टॉप 50 में चयन किया गया है और ’सोची समूह’ रूस द्वारा नामांकित किया गया है। इस मशीन के निर्माण की लागत 50 हजार से एक लाख रूपए तक है।

The News India 24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *