जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी…….. बच्चों को विज्ञान, गणित तथा प्रौद्योगिकी के विविध पहलुओं को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान
रायपुर, 14 अक्टूबर 2019/ बच्चों के लिए 46वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी 15 से 20 अक्टूबर 2019 तक राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद़ के सहयोग से बी.टी.आई ग्राउंड, शंकर नगर, रायपुर में आयोजित की जा रही है। इस प्रदर्शनी का मुख्य विषय है“ जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान” तथा उप विषय हंै कृषि एवं जैविक खेती, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, परिवहन और संचार तथा गणितीय प्रतिरूपण। प्रदर्शनी का अवलोकन 15 से 19 अक्टूबर 2019 तक किया जा सकता है। अंतिम दिन 20 अक्टूबर 2019 को प्रतिभागियों द्वारा क्षेत्र भ्रमण किया जाएगा। यह प्रदर्शनी देश के विभिन्न भागों के युवाओं एवं बच्चों को विज्ञान, गणित तथा प्रौद्योगिकी के विविध पहलुओं को समझने के साथ-साथ उन्हें एक दूसरे को जानने व आपस में विविध संस्कृतियों से परिचित होने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
बच्चों में वैज्ञानिक सोच के विकास तथा विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए एनसीईआरटी, नई दिल्ली तथा यूजीसी द्वारा संयुक्त रूप से 1971 में प्रथम विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन ‘बच्चों के लिए राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी‘ के नाम से नई दिल्ली में किया गया था।
वर्ष 1972 से 1978 तक जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि और एनसीईआरटी द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनियों का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। इसके बाद के वर्षों में सभी प्रदर्शनी एनसीईआरटी और विभिन्न राज्य सरकारें तथा संघ राज्य के प्रशासन द्वारा आयोजित की गई हैं। इनका आयोजन क्रमशः मुंबई (1979), बेंगलुरु (1981), कोलकाता (1982), लखनऊ (1983), उदयपुर (1985), गुवाहाटी (1986), जबलपुर 1987), जम्मू (1988), हैदराबाद (1989), पटना (1990), कोच्चि (1992), चेन्नई (1993), नई दिल्ली (1995), भुवनेष्वर (1996), गुड़गांव (1997), अमृतसर (1998), राजकोट (1999), गोवा (2000), इलाहाबाद (2001), हैदराबाद (2002), देहरादून (2003), रांची (2004), रायपुर (2005), पुणे (2006), पांडिचेरी (2007), सोलन (2008), कोलकाता (2009), जयपुर (2010), पटना (2011), सिलवासा (2012), गंगटोक (2013), चंडीगढ़ (2014), एर्नाकुलम (2015), बेंगलुरु ( 2016), भोपाल (2017),अहमदाबाद( 2018 ) में हुआ।
वर्ष 1988 में जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी के अवसर पर राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी का नाम ”बच्चों के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी” किया गया। पर्यावरण को अधिक महत्व देने तथा वर्ष 2012 को गणित वर्ष के रूप में मनाने के अवसर पर प्रदर्शनी को 2012 से ‘बच्चों के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी‘ (श्रछछैडम्म्) के नाम से जाना जाता है।
इस प्रदर्शनी का उद्देश्य बच्चों को अपनी स्वाभाविक जिज्ञासा एवं रचनात्मकता के लिए एक मंच उपलब्ध कराना है, जहाँ वे अपनी ज्ञान पिपासा हेतु खोजबीन कर सकें। यह प्रदर्शनी बच्चों को अपने आस-पास हो रहे क्रियाकलापों में विज्ञान और गणित की उपस्थिति का अनुभव कराती है और यह ज्ञात कराती है कि इनका उपयोग न केवल देश के आर्थिक विकास में हो सकता है बल्कि इनसे समाज में प्रचलित समस्याओं का समाधान भी प्राप्त किया जा सकता है। प्रदर्शनी में बच्चे विज्ञान एवं गणित की भूमिका को सराहने, कृषि, उर्वरकों, खाद्य-प्रसंस्करण, जैव तकनीक, हरित ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, खगोल विज्ञान, परिवहन, क्रीडा तथा खेलकूद एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के क्षेत्र में नए उपायों को तलाशने, पर्यावरणीय मुद्दों और सरोकारों के बारे में जागृति फैलाने तथा इसके निपटारों के लिए अभिनव विचारों के प्रति प्रेरित होते हैं।
एनसीईआरटी, नई दिल्ली द्वारा प्रतिवर्ष राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली प्रदर्शनी के लिए मुख्य विषय का चयन किया जाता है। यही अगले वर्ष आयोजित होने वाली ”बच्चों के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी” का मुख्य विषय और उप विषय होते हैं।
इस प्रकार राष्ट्रीय प्रदर्शनी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र और अन्य संस्थानों द्वारा पूर्व वर्ष में जिला स्तर, जोन स्तर, राज्य स्तर पर आयोजित प्रदर्शनी का अगला कदम है। सभी राज्यों ,संघ राज्य क्षेत्र, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति, परमाणु ऊर्जा के केंद्रीय विद्यालयांे, सीबीएसई से सम्बद्ध पब्लिक स्कूलों (स्वतंत्र विद्यालयों), सेंट्रल तिब्बती स्कूल प्रशासन तथा क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों के प्रायोगिक बहुउद्देशीय विद्यालयों से चयनित प्रविष्टियां राष्ट्रीय स्तर की इस प्रदर्शनी में हिस्सा लेते हैं।