कवासी लखमा के बारे में दुष्प्रचार बौखलाहट का परिणाम : त्रिवेदी
रायपुर/10 अक्टूबर 2019। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने आज आयोग के समक्ष स्पष्ट रूप से उद्योग मंत्री कवासी लखमा पर शिवनारायण द्विवेदी द्वारा लगाये गये आरोपों का प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बिलासपुर में ही न्यायालय परिसर में ही स्पष्ट प्रतिवाद किया।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कवासी लखमा लगातार छत्तीसगढ़ बस्तर और आम लोगों की बेहतरी के लिये मेहनत कर रहे है। मंत्री कवासी लखमा पर कम पढ़े लिखे होने का आरोप मढ़ने वाली भाजपा ने दंतेवाड़ा उपचुनाव का प्रबंधन आईएएस ओ.पी. चौधरी को सौपा और कवासी लखमा ने भाजपा के आईएएस ओपी चौधरी को जमकर पटखनी दी थी। इसी से भाजपा बौखलायी हुयी है।
शिवनारायण द्विवेदी द्वारा आयोग के समक्ष प्रतिपरीक्षण में मंत्री कवासी लखमा के बारे में कहे गये अंशों का उल्लेख करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जो बात आयोग के समक्ष नहीं कही गयी, उन बातों का सनसनी फैलाने के लिये सार्वजनिक किया जाना उचित नहीं है। जांच आयोग की कार्यवाही से इतर बातों को आयोग के समक्ष कहकर प्रचारित करना उचित नहीं है। यह कहकर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने गवाह शिवनारायण द्विवेदी द्वारा अदालत के समक्ष प्रतिपरीक्षण में मंत्री कवासी लखमा के बारे में कही गयी सभी बातों को सिलसिलेवार लिखते हुये स्पष्ट रूप से कहा है कि इन बातों में कहीं भी मंत्री कवासी लखमा के बारे में वो बात कही ही नहीं है जिसका भ्रम फैलाया जा रहा है।
कवासी लखमा की नक्सलियों की बातचीत हिन्दी में हुई। मैं केवल यही सुन पाया कि ‘‘मैं कवासी लखमा हूं, फायरिंग बंद करो।’’
मैंने कवासी लखमा, पटेल जी और अन्य लोगों को नक्सलियों के साथ जाते हुए देखा, इसके अलावा हास्पिटल में ही मेरी मुलाकात लखमा जी से हुई।
अभी आपका यह कथन पूर्व में दिये गये कथन कि नक्सली कवासी लखमा को पहचानते थे, आपस में विरोधाभाषी है, गवाह का कहना है कि उक्त सुझाव स्वीकार नहीं है। यह कहना सही है कि कवासी लखमा कांग्रेस के नेता थे।
लखमा जी से मेरी मुलाकात सीधे हास्पिटल में हुई, इसलिये मेरी वहां उनसे कोई बातचीत नहीं हुई।
क्या आपने लखमा जी से बाद में पूछा कि नक्सली आपको कैसे छोड़ दिये?
मैंने कई बार लखमा जी से पूछा, तो वे कहते है कि मेरा दुर्भाग्य है कि नक्सली मुझे छोड़ दिये, क्योंकि इसके कारण मेरे ऊपर आरोप लगाये जाते है।