अजीत जोगी जी के जाति मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर जानकारी के अभाव में हो रहा गलत और भ्रामक दुष्प्रचार: अमित जोगी
रायपुर/ 05.10.2019। अजीत जोगी द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत उच्च स्तरीय छानबीन समिति की कार्यवाही- न कि उसके आदेश- पर रोक लगाने वाली याचिका infructous (फलहीन) हो गयी थी क्योंकि जिस समय याचिका पर सुनवाई हुई, तब तक समिति ने ताबड़तोड़ अपनी कार्यवाही पूर्ण कर अपना एक-पक्षीय आदेश पारित कर दिया था। समिति के आदेश को कभी भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी गयी है क्योंकि अभी भी ये मामला माननीय उच्च न्यायालय की एकलपीठ के समक्ष लम्बित है। इसकी अगली और अंतिम सुनवाई 16 सितम्बर 2019 को होना निर्धारित है। माननीय उच्च न्यायालय के फ़ैसला आ जाने के बाद ही सर्वोच्च न्यायालय की शरण में जाने का प्रश्न उद्बुद्ध होगा। जब तक उच्च न्यायालय समिति के आदेश पर अपना फ़ैसला नहीं दे देती, तब तक किसी भी पक्ष का सर्वोच्च न्यायालय में जाने की बात करना भी हास्यापद, बचकाना और मूर्खतापूर्ण है। ऐसी बात केवल राज्य सरकार में बैठे कुछ लोग ही कर सकते हैं। हमें पूरा भरोसा है कि जिस तरीक़े से समिति ने अजीत जोगी को बिना उनके विरुद्ध उसके द्वारा तथाकथित सबूत दिखाए और बिना सुनवाई का अवसर दिए अपना एक-पक्षीय आदेश पारित कर दिया, न्यायपालिका से हमको हमेशा की तरह न्याय ज़रूर मिलेगा।