धान उपार्जन केंद्रों में हलचल तेज हो गई है
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनाव अभियान और उसके साथ दिवाली पर्व के संपन्न होने के बाद अब धान उपार्जन केंद्रों में हलचल तेज हो गई है. किसान ट्रेक्टर, पिकअप, ट्रक के अलावा बैल और भैस गाड़ियों में धान लादकर उपार्जन केंद्रों में पहुंच रहे हैं. इस कड़ी में सोमवार को सीजन के दौरान सबसे अधिक धान की खरीदी हुई है.
प्रदेश में अब तक 1.61 लाख किसानों ने 6.32 लाख मीट्रिक टन धान की बिक्री की है, जिसके एवज में किसानों को 1604 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. 1 नवंबर से 31 जनवरी तक चलने वाली धान खरीदी की प्रक्रिया में सरकार ने 130 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है.
इन जिलों में सबसे अधिक आवक
राज्य में 20 नवंबर को सबसे अधिक धान की खरीदी जिन जिलों में हुई, उनमें कांकेर, बिलासपुर, मुंगेली, सारंगढ़-बिलाईगढ़, बालोद, बेमेतरा, दुर्ग, कवर्धा, राजनांदगांव, खैरागढ़-छुईखदान- गंडई, बलौदाबाजार, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, रायपुर, जिले शामिल हैं. ये सभी जिले राज्य के मैदानी जिलों में शामिल हैं.
इन जिलों में सबसे कम खरीदी
एक तरह जहां राज्य के मैदानी इलाकों के जिलों में धान की आवक काफी तेज है, वहीं सरगुजा और बस्तर संभाग के कई जिलों में काफी कम धान आया है. जिन जिलों में सबसे कम धान बिक्री के लिए आया है, उनमें बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, गौरेला- पेंड्रा – मरवाही जांजगीर चांपा, कोरबा, रायगढ़, सक्ती, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सरगुजा, सूरजपुर, शामिल है.
इन जिलों में नहीं हुई अब तक बोहनी
कुछ ऐसे जिले भी हैं, जहां अब तक धान खरीदी की बोहनी भी नहीं हो पाई है. ऐसे जिलों में दंतेवाड़ा, सुकमा, और मनेंद्रगढ़ चिरमिरी शामिल हैं. खाद्य सचिव टीपी वर्मा का कहना है कि बस्तर तथा सरगुजा संभाग के कुछ जिलों में धान कटाई में देर के कारण ये स्थिति बनी है.
चुनाव और त्योहार के कारण पड़ा असर
राज्य में सरकार ने 1 नवंबर से धान की खरीदी शुरू करवाई थी, लेकिन इसी बीच 7 नवंबर को राज्य में पहले चरण और 17 नवंबर को दूसरे चरण के लिए मतदान हुआ. चुनाव की प्रक्रिया के बीच 12 नवंबर को दीपावली होने के कारण उसके पहले और बाद के कुछ दिनों तक त्योहारी माहौल के कारण धान बेचने कम संख्या में किसान आए, लेकिन जैसे ही चुनाव और त्योहार निबटे, तो किसान धान बेचने के लिए सोसाइटियों की ओर उमड़ पड़े हैं.