सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सुनवाई हुई

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सुनवाई हुई

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राज्य में कब तक हालात सामान्य हो जाएंगे

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर, जम्मू, बारामूला और अनंतनाग जाने की इजाजत दी। लेकिन इस दौरान वे कोई भाषण नहीं दे सकते और न ही कोई रैली करेंगे। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि जरूरी हुआ तो मैं खुद जम्मू-कश्मीर का दौरा करूंगा।

शीर्ष अदालत ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से दो हफ्ते में कश्मीर के हालात पर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राज्य में कब तक हालात सामान्य हो जाएंगे। कोर्ट ने सरकार से कहा कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य जनजीवन सुनिश्चित करें, लेकिन इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए। यह मामला काफी गंभीर है। इस मामले में अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एमडीएमके प्रमुख वाइको की याचिका (हैबियस कार्पस) पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक जवाब मांगा है। वाइको ने याचिका में कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को 15 सितंबर को चेन्नई में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई की 111वीं जयंती में शामिल होना था। लेकिन 6 अगस्त के बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।

कश्मीर में मीडिया के कामकाज में कोई परेशानी नहीं: सरकार

कश्मीर टाइम्स की संपादक की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि कश्मीर में इंटरनेट बंद है, मीडिया सही काम नहीं कर पा रही है। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि कश्मीर में न्यूज पेपर 5 अगस्त से पब्लिश हो रहे हैं। दूरदर्शन, लोकल टीवी चैनल और रेडियो भी चालू हैं।

मीडियाकर्मियों को इंटरनेट और टेलीफोन समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। राज्य में लैंडलाइन और अन्य संचार साधन चालू हो गए हैं। तमाम पाबंदियां हटा ली गई हैं। चिकित्सा सुविधाओं बेहतर तरीके से संचालित हो रही हैं। 5.5 लाख लोग ओडीपी में इलाज करा चुके हैं।

सरकार ने कोर्ट को बताया कि 5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर में एक भी गोली नही चली है, कोई जान नहीं गई। जबकि 1990 से लेकर 5 अगस्त तक यहां 41,866 लोगों की मौत हुई। हिंसा की 71,038 घटनाएं सामने आईं और 15,292 सुरक्षाबलों को जान गंवानी पड़ी।

माकपा नेता त्रिगामी को भी जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत

माकपा नेता सीताराम येचुरी की याचिका पर सीजेआई ने पूछा- आपकी पार्टी के नेता एमवाई त्रिगामी की तबियत कैसी है? इस पर वकील राजू रामचंद्रन ने बताया कि एम्स में एंजियोग्राफी के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है। वे दिल्ली में हैं। कोर्ट ने त्रिगामी को जम्मू-कश्मीर लौटने की इजाजत दी है, लेकिन उन्हें जम्मू-कश्मीर में बिना किसी रोक के घूमने या फिर सुरक्षा मुहैया कराने पर कोई आदेश देने से इंकार किया। पिछली सुनवाई में अदालत ने त्रिगामी को कश्मीर से दिल्ली शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे।

केंद्र 2 हफ्ते में कश्मीर के हालात पर जवाब दाखिल करे: कोर्ट
अटॉर्नी जनरल ने कश्मीर में बड़े पैमाने पर पाकिस्तान हाईकमीशन द्वारा आतंकियों को फंडिंग का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से जहूर वटाली को कश्मीर में माहौल बिगाड़ने और पत्थरबाजों को पैसा देने के लिए पैसा भेजा जा रहा है। कुछ पाबंदियां सुरक्षा कारणों से हैं। अलगाववादी और सीमा पार से आए आतंकियों ने कुछ लोगों और सुरक्षाकर्मियों को मार डाला है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कश्मीर की स्थिति को लेकर दो हफ्ते में जवाब दायर करने को कहा है।

The News India 24

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