फिर से साबित हुआ भाजपा आदिवासी विरोधी है – कांग्रेस
- नितिन नवीन और भाजपा बयानबाजी करने के बजाय माफी मांगे – मोहन मरकाम
- रमन सरकार की लापरवाही का खामियाजा आरक्षित वर्ग का नुकसान
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि रमन सरकार ने 2012 से 2018 के बीच अनुसूचित जाति के आरक्षण को बढ़ाने के फैसले के संबंध में मजबूत और विशेष परिस्थितियों को अदालत के समक्ष नहीं रखा। इस आरक्षण को बढ़ाने के लिये मंत्रिमंडल की उप समिति बनाई गई थी। समिति की अनुशंसाओं को भी अदालत से छुपाया, यहां तक की मंत्रिमंडल की कोई समिति बनाई गयी थी उसके बारे में भी अदालत में प्रस्तुत शपथ पत्र में रमन सरकार ने उल्लेख नहीं किया था। रमन सिंह भाजपा को जवाब देना चाहिये कि उन्होंने ऐसा क्यों किया था? किस उद्देश्य से मंत्रिमंडल समिति के बारे में अदालत से छुपाया गया था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा के लिये आरक्षित वर्ग के हित सिर्फ चुनावी मसला होता है। भाजपा कभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों के हितों को लेकर योजना बनहीं बनाती, वह सिर्फ इनका शोषण करना और उपयोग करना चाहती है। भाजपा की तत्कालीन रमन सरकार अदालत में सही समय में तर्क प्रस्तुत करती तो 58 प्रतिशत आरक्षण अदालत से रद्द नहीं होता।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि अदालत में हर डॉक्यूमेंट और तर्क प्रस्तुत करने का एक समय होता है। रमन सरकार ने सही समय पर सही तथ्यों को प्रस्तुत नहीं किया। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अंतिम बहस में तर्क प्रस्तुत किया गया लेकिन पुराने हलफनामे उल्लेख नहीं होने के कारण अदालत ने स्वीकार नहीं किया। इस प्रकरण में जब राज्य सरकार की अंतिम बहस हुई तो खुद महाधिवक्ता मौजूद रहे थे। उन्होंने मंत्रिमंडलीय समिति की हजारों पन्नों की रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत किया था। लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि राज्य शासन ने कभी भी उक्त दस्तावेजों को शपथ पत्र का हिस्सा ही नहीं बनाया। लिहाजा, कोर्ट ने उसे सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया और रमन सरकार की लापरवाही के कारण फैसला आरक्षण के खिलाफ आया।