ओणम् त्याग के प्रतीक का पर्व: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
- ओणम् त्याग के प्रतीक का पर्व: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
- मुख्यमंत्री श्री बघेल ने केरला समाजम् द्वारा आयोजित ओणम् महोत्सव में शिरकत की
- ‘अनुशासन, शिक्षा और सेवा का भाव केरला समाज से सीखना चाहिए‘
रायपुर/ ‘ओणम् पर्व राजा महाबलि को याद करने का अवसर है, जिन्होंने अपने वचन का पालन करने के लिए खुद को ईश्वर के सामने सौंप दिया था। जब वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने उनसे तीन पग जमीन मांगा और विराट रूप धरकर दो पग में पृथ्वी और आकाश को नाप लिया था तो तीसरा पग धरने के लिए राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया था। यह एक तरह का त्याग और वचनबद्ध के अनुशासन को सीखता है। ओणम् पर्व त्याग के प्रतीक का पर्व है।‘ यह बातें मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ओणम् महोत्सव के अवसर पर कहीं। मुख्यमंत्री श्री बघेल बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे थे। ओणम् महोत्सव का आयोजन आज राजधानी रायपुर में रायपुर केरला समाजम् की ओर से किया गया था। इस दौरान जिला रायपुर सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री पंकज शर्मा, रायपुर नगर निगम में पार्षद श्री श्रीकुमार मेनन, रायपुर केरला समाजम् के अध्यक्ष श्री वी. जी. शशिकुमार, उपाध्यक्ष श्री बी. गोपाकुमार, महासचिव श्री टी.सी. शाजी एवं कोषाध्यक्ष श्री थॉमस के. एन्टोनी विशेष रूप से मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सबसे पहले सभी को ओणम् पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस मौके पर कहा कि, केरल राज्य की कल्पना करने से ही स्मृति में जो छवि उभरकर आती है कि एक ऐसा प्रदेश जहां बहुत सुंदर हरियाली है। यह हरियाली वहां मनुष्यों ने बनाई हैं। केरल में औषधीय पौधों का भंडार है। केरल शिक्षा में सबसे अग्रणी राज्य है। लिंगानुपात के मामले में केरल सबसे आगे है। यह देखकर खुशी होती है कि वहां लड़के और लड़की के बीच भेद नहीं किया जाता। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, केरल को याद करते हैं तो त्याग व वचन के लिए अपना सर्वस्व भेंट कर देने वाले राजा महाबलि और जगतगुरु शंकराचार्य का नाम आता है। जगतगुरु शंकराचार्य ने ही भारत देश को जोड़ने का काम किया।
ऐतिहासिक घटनाक्रमों पर बात करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि, विदेशी भी जब पहली बार भारत आए तो यहां केरल पहुंचे और केरल के मसाला लेकर गए। देश से लेकर विदेशों तक केरल से मसालों की सप्लाई होती है। आज दुनिया के हर कोने में केरल के लोग मौजूद हैं। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ में सघनता इतनी बढ़ रही है कि कई शहरों का विस्तार दूसरे शहर तक हुआ है तो केरल में गांवों का विस्तार दूसरे गांवों तक हो चुका है।