मुख्यमंत्री के निर्देश पर नियमों को किया गया शिथिल:छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम में हुआ संशोधन
- प्रदेश के नागरिकों को मिली बड़ी राहत: अब आसानी से अनधिकृत निर्माण कार्यों को करा सकेंगे नियमित
- नगरीय निकाय सीमा के भीतर नगर निगम, नगर पालिका तथा सीमा के बाहर निवेश क्षेत्र के भीतर नगर निवेश कार्यालय में किए जा सकेंगे आवेदन
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नए नियम में पार्किंग के लिए कड़े प्रावधान: पार्किंग के लिए निर्धारित स्थलों पर अन्य निर्माण को हतोत्साहित करना तथा पार्किंग व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखना है
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आमजन को इस संशोधन का अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने कलेक्टर करेंगे नियमित समीक्षा
रायपुर, 10 सितम्बर 2022/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में अनियमित निर्माण कार्यों को नियमित कराने के लिए नियमों में पारदर्शिता लाने और सरलीकरण करने के निर्देश दिए है। इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम में संशोधन किया गया है। संशोधित अधिनियम, 2022 छत्तीसगढ़ के राजपत्र में 14 जुलाई 2022 को प्रकाशित होने के साथ ही यह पूरे प्रदेश में प्रभावशाली हो गया है। इसके नियमों का भी प्रकाशन 02 अगस्त 2022 को हो गया है। नियम प्रकाशित होने के बाद अब नये नियमों के तहत आवेदन लिए जा रहे है। इस नए नियम से प्रदेश के नागरिकों को राहत मिलेगी और वे आसानी से निर्माण कार्यों को नियमित करा सकेंगे।
नगर निगम सीमा के भीतर नगर निगम तथा नगर पालिकाओं में तथा निगम, पालिका के सीमा के बाहर तथा निवेश क्षेत्र के अंदर नगर निवेश विभाग के कार्यालय में आवेदन जमा होंगे। आवेदक को आवेदन के साथ मकान के कागजात, मकान के फोटोग्रॉफ्स आर्किटेक्ट द्वारा बनाए गए मकान का नक्शा और सम्पत्ति कर या बिजली बिल की रशीद की कॉपी संलग्न करनी होगी।
इस अधिनियम में किए गए नए संशोधन के अनुसार निवेश क्षेत्र के अंतर्गत आए हुए आवेदनों के निराकरण के लिए जिम्मेदारी तय कर दी गई है। ऐसे ग्राम/विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, जो नगरीय निकाय सीमा के बाहर आता है। वहां आवेदन नगर या ग्राम निवेश विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों में लिए जाएंगे। सत्यापन परीक्षण के पश्चात इन आवेदनों को नियमितिकरण के लिए जिम्मेदार अधिकारी को प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सदस्य सचिव की होगी। इसी तरह नगर-निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत जो निवेश क्षेत्र के अंतर्गत आते है। इन जगहों पर स्थानीय निकायों द्वारा आवेदन लिए जाएंगे और जिला नियमितिकरण प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
अधिनियम में संशोधन के बेहतर क्रियान्वयन और आमजन को इस संशोधन का अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए कलेक्टर, नगरीय निकाय अधिकारी, नगर एवं ग्राम निवेश अधिकारियों द्वारा नियमित समीक्षा की जाएगी।
गौरतलब है कि शहरों की बढ़ती आबादी, वाहनों की बढ़ती संख्या और यातायात की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए राज्य शासन ने शहरी क्षेत्रों में पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 में संशोधन करते हुए अब कड़े प्रावधान किए हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य पार्किंग के लिए निर्धारित स्थलों पर अन्य निर्माण को हतोत्साहित करना तथा पार्किंग व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखना है। अधिनियम में यह संशोधन छत्तीसगढ़ अनाधिकृत विकास का नियमितिकरण (संशोधन) विधेयक 2022 के अनुसार किए गए हैं। इस संशोधन के जरिये अपीलार्थियों को राहत भी दी गई है। उन्हें अपील लंबित रहने की अवधि में अब अधिकतम एक वर्ष का ही भाड़ा देना होगा, जबकि पूर्व में उन्हें नियमित भाड़ा देना होता था।
अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि यदि अधिकृत विकास निर्धारित पार्किंग हेतु आरक्षित भू-खण्ड/स्थल पर किया गया है, तो नियमितिकरण की अनुमति तभी दी जाएगी जब आवेदन द्वारा पार्किंग की कमी हेतु निर्धारित अतिरिक्त शास्ति राशि का भुगतान कर दिया गया हो।
जारी अधिसूचना के अनुसार विधेयक में छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम 2002 के मूल अधिनियम की धारा 04 की उपधारा (2) के खण्ड (पांच) को प्रतिस्थापित करके नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का जिले का प्रभारी अधिकारी/संयुक्त संचालक/उपसंचालक/सहायक संचालक किया गया है। अधिनियम के खण्ड(चार) (क) में निर्धारित प्रयोजन से भिन्न भूमि के उपयोग परिवर्तन करने पर उस क्षेत्र की भूमि के लिए वर्तमान में प्रचलित कलेक्टर गाईड लाईन दर का 5 प्रतिशत अतिरिक्त शास्ति लगाने का प्रावधान किया गया है।
अधिनियम में कहा गया है कि 01 जनवरी 2011 के पूर्व अस्तित्व में आये ऐसे अनाधिकृत विकास/निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनाधिकृत भवन, जिसके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, तो पार्किंग हेतु निम्नानुसार अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि पार्किंग में 25 प्रतिशत कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये, 50 प्रतिशत से अधिक एवं 100 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु दो लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। नए प्रावधानों के अनुसार 01 जनवरी 2011 अथवा उसके पश्चात् अस्तित्व में आये ऐसे अनधिकृत विकास/निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिनके लिए संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्किंग उपलब्ध नहीं है, तो पार्किंग हेतु अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितिकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि पार्किंग में 25 प्रतिशत तक कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रूपये, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। खण्ड (चार) में कहा गया है कि शमन योग्य पार्किंग की गणना इस प्रकार की जायेगी कि 500 वर्ग मीटर तक आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी। गैर आवासीय क्षेत्र में पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगी जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्किंग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगी।
प्रावधान में कहा गया है कि (ग) ऐसी गैर लाभ अर्जन करने वाली सामाजिक संस्थायें, जो लाभ अर्जन के उद्देश्य से स्थापित न की गई हो, के अनधिकृत विकास के प्रत्येक प्रकरण में शास्ति प्राक्कलित राशि के 50 (पचास) प्रतिशत की दर से देय होगा। छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 के नियम 39 में निर्धारित प्रावधान के अनुसार, मार्ग की चौड़ाई उपलब्ध नहीं होने के कारण, स्थल पर विद्यमान गतिविधियों में किसी प्रकार का लोकहित प्रभावित न होने की स्थिति में, नियमितीकरण किया जा सकेगा।