रामविचार नेताम, झूठ बोल रहे छत्तीसगढ़ में कुपोषण से कोई मौत नहीं
रायपुर/16 फरवरी 2022। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम के पत्रकारवार्ता मे प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम झूठ बोल कर राजनीति कर रहे है। छत्तीसगढ़ में कुपोषण से किसी की मौत नहीं हुयी है। ये केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सदन में स्वीकार किया है। 2015-16 की अपेक्षा में नवजात एवं शिशु मृत्युदर में 23 एवं 18 प्रतिशत की कमी आई है। रमन सरकार के दौरान राज्य के 37.71 प्रतिशत बच्चे कुपोषित एवं 41 प्रतिशत महिलाये एनिमिया से पीड़ित थी। मुख्यमंत्री कुपोषण अभियान एवं मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक, मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान से कुपोषण एवं एनिमिया पीड़ितो की संख्या में भारी कमी आई है। कुपोषण एवं एनिमिया के मामले में 32 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है। सुपोषित बच्चो की संख्या में तीन साल में वृद्धि हुयी है। अधिनायकवादी मोदी सरकार में अपनी उपेक्षा के शिकार भाजपा के सांसद रामविचार नेताम अपने निकम्मेपन को छुपाने, मनगढ़ंत आंकड़े प्रस्तुत करके छत्तीसगढ़ में कुपोषण और बाल मृत्यु दर के संदर्भ में तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। विदित हो कि 2014 से 2018 तक केंद्र और छत्तीसगढ़ दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। उस दौरान छथ्भ्ै के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्ष 2015-16 में नवजात मृत्यु दर 42.1 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2020-21 में घटकर 32.4 हो गई, अर्थात भूपेश बघेल सरकार में छत्तीसगढ़ में नवजात मृत्यु दर में 23 प्रतिशत कमी दर्ज हुई है। इसी प्रकार शिशु मृत्युदर वर्ष 2015-16 में 54 प्रति हजार थी, जो घटकर 2020-21 में 44.3 पर आ गई है, इसमें भी 18 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। छथ्भ्ै के ही आंकड़ों में 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर जो वर्ष 2015-16 में 64.3 प्रतिहजार थी जो 2020-21 में 50.4 प्रतिहजार पर आ गई है, अर्थात 22 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह कुपोषण के आंकड़ों में रमन सरकार के दौरान 2012 से 2018 के 7 सालों में केवल 16 प्रतिशत सुधार आया था। जबकि वर्तमान भूपेश बघेल सरकार में केवल 2 वर्षों में 32 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से बाहर आए हैं जनवरी 2019 में चिन्हित 433541 कुपोषित बच्चों में से 140556 बच्चे मई 2021 तक कुपोषण से मुक्त हुए। पूरी दुनिया में सुपोषण अभियान के इससे बेहतर कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में संस्थागत प्रसव में तेजी से बढ़ोतरी हुई है वर्ष 2015-16 में जहां 70.2 प्रतिशत था अब बढ़कर 85.7 प्रतिशत हो गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, रोजगार और आमजनता की समृद्धि के मामले में तेजी से स्थापित होते “छत्तीसगढ़ मॉडल“ से डरे हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनगढ़ंत आंकड़े प्रस्तुत करके केवल मीडिया में बने रहने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। सच यह है कि इसी प्रकार के झूठ भ्रम और गलत बयानी के चलते भारतीय जनता पार्टी के नेता छत्तीसगढ़ में अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के भाजपा के सांसद छत्तीसगढ़ की जनता के अधिकारों की मांग केंद्रीय सदन में रखने में पूरी तरह नाकाम रहे और अब अपने निकम्मे पन को छुपाने अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। 15 साल प्रदेश के आदिवासियों को ठोकते रहे, जल जंगल जमीन से बेदखल किया, लगातार वादाखिलाफी की और अब हितैषी होने का ढोंग कर रहे हैं। लोहारीगुंडा में जमीन वापसी, 7 से बढाकर 61 वनोपाजों की खरीदी, प्रोसेसिंग, वैल्यूएडिशन और मार्केटिंग का लाभ स्थानीय आदिवासियों को मिल रहा है तो भाजपा के नेताओं को पीड़ा हो रही। छत्तीसगढ़ में विगत 3 वर्षों में हेल्थ का इंफ्रास्ट्रक्चर लगभग 240 प्रतिशत अर्थात् ढ़ाई गुना बढ़ा है। आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या बढ़ी है सरकारी विभागों में नियमित भर्ती किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया की समृद्धि और समाजिक न्याय का मॉडल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को हजम नहीं हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेता केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोकतंत्र के पवित्र मंदिर संसद में झूठे तथ्य प्रस्तुत करने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदेश सरकार पर आरोप लगाने के बजाय भाजपा के सांसद यह बताएं कि छत्तीसगढ़ के हित और अधिकार के लिए उनके द्वारा अब तक क्या प्रयास किए गए?