कोरोना की तीसरी लहर को सभी के सहयोग से देंगे मात: नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. डहरिया….कोविड टेस्टिंग बढ़ाने और होम आईसोलेशन के मरीजों को दवाई किट वितरित कराने के निर्देश
- कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराया जाए
- सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर जिले में की जा रही तैयारियों की समीक्षा
रायपुर, 08 जनवरी 2022/ नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कहा है कि कोविड के पहली और दूसरी लहर के समान ही हम लोग सभी वर्गों, समाज सेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से कोरोना की तीसरी लहर को मात देंगे। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्य के सभी जिलों में कोविड संक्रमण से बचाव और उपचार के लिए तैयारियां की जा रही है। अस्पतालों में आवश्यक उपकरण और सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की जा रही है। डॉ. डहरिया आज अपने प्रभार के तीन जिलों सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर में कोविड संक्रमण से बचाव और उपचार के लिए की जा रही तैयारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा कर रहे थे। वर्चुअल बैठक में स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव, संसदीय सचिव श्री पारसनाथ राजवाड़े, विधायक श्री चिन्तामणि महाराज और श्री बृहस्पति सिंह भी शामिल हुए।
डॉ. डहरिया ने वर्चुअल बैठक में अधिकारियों से कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराया जाए। नागरिकों को कोविड टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जाए। इसी प्रकार स्कूली बच्चों का भी अधिक से अधिक टीकाकरण कराया जाए। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की कोरोना जांच करायी जाए। सार्वजनिक स्थानों रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड आदि में कोरोना जांच की व्यवस्था की जाए। कोरोना से बचाव और उपचार के लिए स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाए।
डॉ. डहरिया ने प्रभार क्षेत्र के तीनों जिलों में कोविड की तीसरी लहर से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि अस्पतालों के कोविड वार्ड में आक्सीजन प्लांट, आक्सीजन सिलेण्डर, एम्बुलेंस एवं अन्य उपकरणों को दुरूस्त कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि जुलूस, रैलियां, पब्लिक गेदरिंग, सामाजिक, सांस्कृति, धार्मिक और खेल आयोजनों को प्रतिबंधित किया जाए। जहां पर पाजीटिविटी, की दर 4 प्रतिशत से अधिक होने की स्थिति में स्कूल, आंगनबाड़ी, पुस्तकालय एवं सार्वजनिक स्थानों को बंद किया जाए। सार्वजनिक स्थानों, भीड़-भाड़ वाले बाजारों, दुकानों में मास्क एवं सेनेटाईजर का उपयोग सख्ती से लागू किया जाए। डॉ. डहरिया ने समीक्षा के दौरान तीनों जिलों के कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों, मीडिया, औद्योगिक, व्यापारिक, धार्मिक, शैक्षणिक संस्थानों, किसान मजदूर एवं विभिन्न समाज के प्रतिनिधियों से चर्चा की और कोरोना से बचाव और उपचार के कार्यों में आवश्यक सहयोग देने का आग्रह किया।
डॉ. डहरिया ने समीक्षा के दौरान कलेक्टरों से शासकीय एवं निजी अस्पतालों के बेड, दवाईयों के स्टॉक, आक्सीजन, उपलब्धता सहित विभिन्न तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को होम आईसोलेशन में रहने वाले मरीजों को दवाईयों का किट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन मरीजों की प्रतिदिन चिकित्सकों के माध्यम से निगरानी भी की जाए। गंभीर मरीजों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाए। इसी तरह राज्य की सीमावर्ती क्षेत्रों एवं रेलवे स्टेशनों में रेण्डम टेस्टिंग करें और संक्रमण की दर को सीमित करने प्रयास किया जाए। होम आईसोलेशन हेतु अनुमति ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराए एवं सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे कालसेंटर संचालित करें। उन्होंने कहा कि समस्त निजी अस्पतालों को आई.सी.यू. बेड, आक्सीजन युक्त और सामान्य बेड एवं दवाईयों के लिए शासन द्वारा निर्धारित दर पर मरीजों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। जिले में कोरोनाके पाजीटिविटी दर को ध्यान में रखते हुए यथा स्थिति आवश्यकता पड़ने पर पूर्व में संचालित कोविड सेन्टर को पुनः प्रारंभ किया जाए। औद्योगिक संगठनों से आग्रह किया कि इस महामारी में अपने कर्मचारियों को उन्हें सवैतनिक अवकाश दे।
स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने बैठक में भाग लेते हुए कहा कि कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो गई है और तेजी से संक्रमण देखने को मिल रही है। वैश्विक स्तर पर माना जा रहा है कि यह संक्रमण व्यापक होगा लेकिन कम नुकसान पहुंचाएगा। इससे निपटने के लिए हम सभी को कोविड उपयुक्त व्यवहार अपनाना होगा। पॉजिटिव केस की लेट रिपोर्टिंग ना हो तथा अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था हो। सरगुजा जिले में वर्तमान में 2.59 पॉजिटीविटी दर देखी गई है जो आने वाले समय में बढ़ सकती है। जिले के अस्पतालों में कोविड 690 बेड की उपलब्धता है। उप स्वास्थ्य केन्द्र के पास के स्कूल को चिन्हांकित कर प्राथमिक स्तर पर भर्ती के लिए व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो ताकि बड़े अस्पतालांे पर दबाव कम हो।