अब झीरम के शहीदों के हत्यारे अब सीखचों के पीछे जायेंगे – कांग्रेस
रायपुर/14 अगस्त 2019। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि झीरम घटना की जांच कर रहे जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग के कार्य क्षेत्र में इन बिंदुओं को जोड़े जाने और अधिसूचना जारी करने लोगों से जानकारी मांगे जाने का कांग्रेस स्वागत करती है। कांग्रेस कार्यकर्ता और शहीदों के परिजन 2013 से आज तक इस षड्यंत्र के पीछे छुपी सच्चाई का इंतजार करते रहे, जिसकी अब जाकर जांच संभव होगी। झीरमघाटी की घटना एक आपराधिक और राजनैतिक षड्यंत्र की घटना थी। इसकी एनआईए की जांच में षड्यंत्र की जांच की गयी और न ही झीरम घाटी की घटना की जांच कर रहे जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की न्यायिक जांच में जांच के बिन्दुओं में इसे शामिल किया गया। कांग्रेस की सरकार ने अधिसूचना जारी कर न्यायिक जांच आयोग जस्टिस प्रशांत मिश्रा की जांच में नए आठ बिंदुओं को शामिल किया गया है। इन बिंदुओं पर जानकारी रखने वाले लोगों से शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी मांगी गई है।
एनआईए की जांच में पूर्व की रमन सिंह सरकार द्वारा बनाये गये नोडल अधिकारियों ने जांच में रोड़ा अटकाने का काम किया था। जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो झीरम के षड़यंत्र की जांच ही नहीं की गई। न्यायिक जांच आयोग भी जांच में इन बिंदुओं को शामिल नहीं किये जाने को लेकर अब तक जांच नहीं कर पा रहा था, लेकिन अब झीरम के षड़यंत्र की जांच भी होगी और सच्चाई भी सामने आएगी। एनआईए अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर चुकी है और फ़ाइल को लेकर एनआईए के समक्ष बात रखी जायेगी।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि इस अधिसूचना के मुताबिक बहुचर्चित झीरम घाटी कांड की न्यायिक जांच के लिए जांच के बिन्दुओं में बदलाव किया गया है। नये 8 बिंदुओं जोड़े जांच उन सवालों पर केंद्रित किया गया है जो पिछली सरकार के दौरान गायब थे। कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए इन्हीं सवालों पर झीरम घाटी कांड की सीबीआई जांच की मांग करती रही है। झीरम घाटी कांड की जांच के लिए न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में गठित विशेष न्यायिक जांच आयोग ने यह बिंदु तय किए है। राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो इस घटना के संबंध में जानकारी रखते हैं वह आयोग के कैंप कार्यालय बिलासपुर या सचिव से एडिशनल रजिस्ट्रार उच्च न्यायालय बिलासपुर में जानकारी लिखित में दे सकते है।
झीरमघाटी की जांच के लिए अब सार्वजनिक अधिसूचना जारी की गई। इस घटना के बारे में जानकारी रखने वाले कोई भी व्यक्ति अपनी गवाही दे सकते हैं। शपथपत्र भरकर न्यायिक जांच आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। 27 कांग्रेसियों समेत 31 लोगों की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इस कांड से संबंधित आम लोगों, स्थानीय निवासी, सुरक्षा कर्मी, किसान से लेकर सभी लोगों से खुलेआम जानकारी के संबंध में अधिसूचना जारी की गई। प्रमुख 8 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई, जो छत्तीसगढ़ सरकार ने तय की थी। इसमें ज्यादातर बिंदु राजनीतिक षडयंत्र से संबंधित हैं। यूनिफाइड कमांड के अध्यक्ष की भूमिका के साथ-साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा की सुरक्षा, कांग्रेस नेताओं के काफिले की सुरक्षा, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष स्व. नंदकुमार पटेल पर गरियाबंद में हुए हमले और एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण के दौरान नक्सलियों से हुए समझौते को लेकर भी जांच के बिंदु शामिल हैं। 15 दिनों के भीतर कोई भी व्यक्ति इस जांच में सहयोग कर सकता है।
8 सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर, श्री अलेक्स पाल मेनन के अपहरण एवं रिहाई में किस तरह के समझौते नक्सलियों के साथ किये गये थे? क्या उनका कोई संबंध स्व. महेन्द्र कर्मा की सुरक्षा से था?