ईंधन के दर में लगातार वृद्धि कर लोगों को विकास के नाम पर मोहताज कर रही है मोदी सरकार – कांग्रेस

ईंधन के दर में लगातार वृद्धि कर लोगों को विकास के नाम पर मोहताज कर रही है मोदी सरकार – कांग्रेस
सड़कों में तांडव मचाने वाली भाजपा सरकार अब पेट्रोल गैस के दाम बढ़ने पर क्यों मूक बधिर हो गई है – मो. असलम
 

रायपुर/ 01 नवंबर 2021। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि पेट्रोलियम पदार्थ अब लाइलाज  बीमारी का रूप धारण कर चुकी है। पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतें आम लोगों की मुसीबत बन गई है और समूची महंगाई का कारक ईंधन का दर बन चुका है। लेकिन केंद्र सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है, सरकार के स्तर पर चर्चा तक नहीं की जा रही है। विपक्ष लगातार आवाज उठा रहा है तथा जनता घरों में कोसते हुए बेबस हो गई है। सुनवाई कहीं नहीं है और लगातार महंगाई की अंतहीन आग लगी हुई है। कीमतें बढ़ते ही जा रही है पिस रहा है आम आदमी, आखिर बीमारी का उपचार किसके पास है? मई 2020 से अब तक डीजल में 36 रुपये तथा पेट्रोल में  26.58 रुपये की वृद्धि हो चुकी है। मंत्री भी सरकार ने बदल दिए हैं पर दर में नियंत्रण नहीं है। सरकार के मंत्री जगह-जगह दलील दे रहे हैं कि अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है।


प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने सवाल किया है की क्या सरकार के पास पेट्रोल डीजल और गैस ही देश को मजबूती प्रदान करने का साधन रह गया है? जनता के जेब पर डाका डाल कर ही देश में विकास हो सकता है। कल्याणकारी योजनाओं के लिए लोगों को कंगाल करना ही विकास का पर्याय बन गया है? आज किसान परेशान है, एक रिपोर्ट के अनुसार 1 एकड़ में किसान 30 क्विंटल औसतन धान और 20 क्विंटल गेंहू उत्पादन करता है उसमें प्रति एकड़ 118 लीटर डीजल धान के उत्पादन में तथा 86 लीटर डीजल गेंहू की पैदावारी में खपत होता है अर्थात किसानों को लगभग डेढ़ वर्ष में धान की पैदावारी में 4248 रूपये का अतिरिक्त बोझ डीजल के कारण प्रति एकड़ बढ़ चुका है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है, कि आम आदमी का दम निकल रहा है। लोगों के पास रोजगार नहीं है, कमाई नहीं है, किंतु दाम बढ़ता ही जा रहा है। पड़ोसी देशों सहित अन्य देशों में पेट्रोल डीजल के दाम अधिकतम 90 रूपये प्रति लीटर है। पूरी दुनिया में पेट्रोल – डीजल पर टैक्स सबसे अधिक भारत में है। आज  कापर का दर दोगुना हो गया है, स्टील की कीमतें दोगुनी हो गई है। क्या-क्या गिनाया जाय सभी सामानों की कीमतें आसमान छू रही है, किंतु विडंबना है कि केंद्र सरकार बेफिक्र है। आखिर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा है? क्या यही कॉरपोरेट घरानों को मदद करने का तरीका रह गया है। अब तो बर्दाश्त की हद हो गई है। कांग्रेस सरकार के शासन काल में थोड़े से दाम बढ़ने पर सड़कों में तांडव मचाने वाली बीजेपी की सरकार अब मूकबधिर क्यों हो गई है?

The News India 24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *