लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण तथा विपणन आदि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर जोर….राजधानी में राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण सम्पन्न

लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण तथा विपणन आदि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर जोर….राजधानी में राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण सम्पन्न
रायपुर, 08 अक्टूबर 2021/राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन तथा मॉनिटरिंग संबंधी साफ्टवेयर के उपयोग के संबंध में 6 और 7 अक्टूबर को दो दिवसीय राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रायपुर में किया गया था।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में लघु वनोपजों के संग्रहण के साथ-साथ प्रसंस्करण तथा विपणन आदि की व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर विशेष जोर दिया गया। इस दौरान प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री संजय शुक्ला ने बताया कि राज्य में वर्ष 2021-22 में लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण, भण्डारण तथा विपणन आदि व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाने के लिए संघ मुख्यालय द्वारा एक मॉनिटरिंग साफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस साफ्टवेयर को 22 अक्टूबर तक समस्त जिला यूनियनों में उपयोग में लाया जाना है। उन्होंने इसका सुव्यवस्थित संचालन कर राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण तथा विपणन के माध्यम से आदिवासी-वनवासी संग्रहाकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर अपर प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री बी. आनंद बाबू ने साफ्टवेयर के उपयोग के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों के संग्रहण के मामले में विगत दो वर्षों से देश में लगातार अव्वल बना हुआ है। ‘द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राईफेड)’ द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार राज्य में चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान प्रथम तिमाही माह अप्रैल से जून तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 80 करोड़ 12 लाख रूपए की राशि के 2 लाख 77 हजार 958 क्विंटल लघु वनोपजों की खरीदी की गई है। जो देश में इस दौरान 93 करोड़ रूपए मूल्य के कुल संग्रहित लघु वनोपजों में से 88.36 प्रतिशत लघु वनोजपों का संग्रहण छत्तीसगढ़ में हुआ है।
राज्य में वर्तमान में 52 लघु वनोपजों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इन 52 लघु वनोपजों में साल बीज, हर्रा, ईमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, काल मेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेल गुदा, शहद तथा फूल झाडू, महुआ फूल (सूखा) शामिल हैं। इसके अलावा जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा), करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज सहित) तथा फूल ईमली (बीज रहित), गिलोय तथा भेलवा, वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, इमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया तथा नीम बीज शामिल हैं। इसी तरह कुसुमी बीज, रीठा फल (सूखा), शिकाकाई फल्ली (सूखा), सतावर जड (सूखा), काजू गुठली, मालकांगनी बीज तथा माहुल पत्ता शामिल है। इसमें पलास (फूल), सफेद मूसली (सूखा), इंद्रजौ, पताल कुम्हड़ा, तथा कुटज (छाल), अश्वगंधा, आंवला कच्चा, सवई घास, कांटा झाडू, तिखुर, बीहन लाख-कुसमी, बीहन लाख-रंगीनी, बेल (कच्चा), तथा जामुन (कच्चा) भी शामिल है। राज्य सरकार द्वारा कुसुमी लाख, रंगीनी लाख और कुल्लू गोंद की खरीदी में समर्थन मूल्य के अलावा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।

The News India 24

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