अंग्रेजों के रास्ते पर चलने वाले लोग अब कृषि कानून जो लाए हैं, वो पूरे ठेके में देकर पूरे हिंदुस्तान के किसानों को वो लूटना चाहते हैं:भूपेश बघेल
रायपुर/04 अक्टूबर 2021। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की विशेष पत्रकार वार्ता में मेरे साथ राष्ट्रीय प्रवक्ता, गौरव वल्लभ जी, प्रणव झा जी और संजीव जी उपस्थित हैं। मैं सभी पत्रकार साथियों का स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं। कल लखीमपुर की जो घटना है, उससे पूरा देश आंदोलित है। जो घटना घटी सबने मीडिया के माध्यम से देखा कि किस प्रकार से किसानों के साथ बर्बरता की गई, गोलियां चलाई गई, गाड़ियां जलाई गई और गाड़ी चढ़ा दी गई।
दरअसल ये भारतीय जनता पार्टी की सोच रही है। ये सही मायने में कहा जाए तो भारतीय जनता पार्टी अंग्रेजों से प्रेरित, उसकी प्रेरणा लेकर ही ये राजनीति कर रहे हैं। आपको स्मरण होगा कि 1917 में गांधी जी ठेका खेती का विरोध करने चंपारण गए थे। 1919 के जलियांवाला बाग को कोई भूला नहीं। 1921 में शांतिगंज में वहाँ भी अंग्रेजों ने गोलियां चलाई थी, जिसका विरोध नेहरु जी करने गए थे रायबरेली।
आदरणीय साथियों, ये जो आंदोलन है, वो 3 काले कानून, जो बनाए गए, उसके विरोध में पूरे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान अन्य प्रदेशों में इसका विस्तार हुआ। ये तीन काले कानून के खिलाफ में विभिन्न राज्यों ने विधानसभा में भी प्रस्ताव पारित किया, जिसमें पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडू जैसे राज्यों में इसके खिलाफ में प्रस्ताव पारित किए गए। लेकिन इनकी हठधर्मिता, आपने देखा कि किस प्रकार से ये बात कर रहे हैं, खासकर खट्टर साहब की बात, उन्होंने कहा कि किसान आंदोलनाकारियों को लाठी भांजो, जेल जाओ, बड़े नेता बन जाओ। लखीमपुर में जो केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हैं, उन्होंने कहा “सुधर जाओ नहीं, तो हम सुधार देंगे”। फिर भारतीय जनता पार्टी के जो ऑफिशियल सोशल मीडिया पोस्ट है, उसमें हमारे जो किसान नेता हैं, राकेश टिकैत जी, उनके लिए किस प्रकार से, किस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया, सभी जानते हैं और लखीमपुर की घटना से ये बात तय हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी को किसान बिल्कुल पसंद नहीं हैं। वो किसानों को दबा देना चाहते है, कुचल देना चाहते हैं, रौंद देना चाहते हैं, विरोध के स्वर को कतई पसंद नहीं करते। ये एक तानाशाही रवैया और इसके विरोध में कल जो घटना घटी, तो हमारे राष्ट्रीय महामंत्री और यूपी की प्रभारी, आदरणीय प्रियंका गांधी जी, वहाँ लखनऊ से सड़क मार्ग से जा रहीं थी। सीतापुर में उन्हें रोका गया, बिना वारंट के रोका गया और उन्हें वहाँ डिटेन किया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। उसी प्रकार से जब ये घटना घटी तो मुझे भी क्योंकि अब जरूरत है, मुझे एआईसीसी से निर्देश हुआ कि मैं उत्तर प्रदेश जाऊं और वहाँ लखनऊ से मैंने जाने की व्यवस्था की और मुझे भी लखनऊ उतरने नहीं दिया गया। सारे विपक्षी नेताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया गया है या घर में नजरबंद कर लिया गया। हर किसी को लखीमपुर जाने से रोका जा रहा है।
सवाल ये उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश में आम नागरिक के अधिकार छीन लिए गए हैं? क्या उत्तर प्रदेश जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा की जरुरत है। इस प्रकार की घटनाएं घटती हैं तो राजनीतिक दल के लोग, सामाजिक संगठन के लोग, विभिन्न संगठन के लोग जाते हैं, उस घटना के बारे में जानकारी लेते हैं और उनके न्याय की बात करते हैं। लेकिन लखीमपुर जाने ही नहीं दिया जा रहा है। ना प्रियंका जी को जाने दिया जा रहा है, ना अन्य राजनीतिक दल के लोगों को जाने दिया जा रहा है। हम लोगों को भी, पंजाब के उप मुख्यमंत्री भी जाना चाहते थे, उनको भी वहाँ लखनऊ में प्लेन उतरने से मना कर दिया गया है।
तो ये स्थिति बताती है कि किसानों के खिलाफ किस कदर भारतीय जनता पार्टी है और वो किसी भी विरोध को बर्दाश्त नहीं करना चाहते। ये अंग्रेजों के रास्ते पर चलने वाले लोग अब कृषि कानून जो लाए हैं, वो पूरे ठेके में देकर पूरे हिंदुस्तान के किसानों को वो लूटना चाहते हैं और उसे दबाने के लिए किसी स्तर पर जा सकते हैं, जिसका एक उदाहरण लखीमपुर का है और हमारी मांग है; कि सबसे पहले जो गृह राज्य मंत्री हैं, उन्हें बर्खास्त किया जाए और वहाँ जो उनके साथ गए थे, उस मंत्री को भी बर्खास्त किया जाना चाहिए।
जो लोग आंदोलन कर रहे थे और जिन्हें कुचलने की कोशिश की गई, उन सब की गिरफ्तारी होनी चाहिए क्योंकि ये साधारण घटना नहीं है, बल्कि ये सीधे-सीधे हत्या है और उस अपराध में, सम्बद्ध धारा में अपराध पंजीबद्ध करके कार्रवाई की जानी चाहिए।
मृतकों के परिवारों को मुआवजा 1 करोड़ दिया जाना चाहिए।
एक प्रश्न पर कि आपने पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए दो बार अनुमति मांगी लेकिन आपको नहीं मिली, आपको क्या लगता, आपको क्यों रोका जा रहा था?, श्री भूपेश बघेल ने कहा कि सीधी सी बात है कि कांग्रेस पार्टी हर अन्याय के खिलाफ लड़ती आई है और इस प्रकार की घटना में लगातार हमारे नेता, चाहे राहुल जी हों, चाहे प्रियंका जी हों, लगातार जाकर पीड़ित परिवारों से मिलते रहे हैं और अभी भी जाकर उससे मिलते, उस घटना की जानकारी लेते और सरकार पर ये दबाव डालते कि उनके साथ न्याय हो।
जिस प्रकार से कल केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री का बयान आया कि मेरा बेटा वहाँ था ही नहीं, तो बचाने की जो कोशिश हो रही है, तो सबसे पहले तो उसे हटाना चाहिए, बर्खास्त किया जाना चाहिए और जिस प्रकार से बचाने की कोशिश कर रहे हैं, अपने बेटे को, तो उनके खिलाफ भी, क्योंकि वो साक्ष्य छुपाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उनके खिलाफ भी वही धाराएं लगानी चाहिए, जो उनके बेटे के खिलाफ लगानी चाहिए।
दूसरी बात ये है कि हमें क्यों रोका जाना चाहिए? एक चुने हुए जन प्रतिनिधि हैं और वहाँ कोई आंदोलन, प्रदर्शन या सरकार को ऐसी स्थिति में लाने के लिए जा नहीं रहे थे, हम तो केवल पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे। लखीमपुर की घटना से, उन लोगों से मिलते, किसान आंदोलनकारियों से मिलते, पीड़ित परिवार से मिलते, उनके दुख में सहभागी बनने जा रहे थे, उससे रोका तो ये अमानवीयता है।
एक अन्य प्रश्न पर कि अगर ये हालात आपके प्रदेश में होते तो क्या आप विपक्ष को जाने देते, श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अभी कुछ दिनों पहले, सिलगेर में घटना घटी थी, पुलिस फायरिंग में वहाँ जो आंदोलनकारी थे, उनके बीच में नक्सली क्षेत्र में इस प्रकार की घटना घटी थी, तीन लोगों की मौत हुई थी। विपक्ष जाना चाहता था, पत्रकार जाना चाहते थे और सामाजिक संगठन वहाँ जाना चाहते थे, सबको जाने दिया। भाजपा का डेलिगेशन गया और सिलगेर तक वो नहीं गए, हम तो सिलगेर तक उसको ले जाना चाहते थे, वो उससे पहले लौट कर आ गए। हमने किसी को नहीं रोका, बल्कि सत्ताधारी दल के सांसद के नेतृत्व में 8 विधायक उस घटनाक्रम की जानकारी लेने, वहाँ लोगों से मिलने हमारे दल के लोग गए थे और मिलकर आए। पीड़ित परिवारों को बुलाकर हमने बात की, क्योंकि वो धुर नक्सली क्षेत्र है, सुरक्षा का मामला है, इस कारण से, उन परिवारों के लोगो से मैंने भी बात की। टेलीफोन से बात की, वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बात की और समय बीतने के बाद हमने उनको बुलाकर उनसे बात की।
तो इस प्रकार की घटना मेरे राज्य में यदि होती; ऐसी बात नहीं है कि घटना नहीं हुई, लेकिन हमारा एप्रोच ये रहा कि सबको जाने दिया जाए। तथ्य वो सामने आना चाहिए कि है क्या चीज? उसके हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए।
एक अन्य प्रश्न पर कि इस घटना को लेकर भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है, क्या कहेंगे, श्री बघेल ने कहा कि बिल्कुल सही बात है कि जब इतनी बड़ी घटना घट गई, प्रधानमंत्री की तरफ से न कोई ट्वीट आया है, न ही भाजपा की सत्ताधारी दल के, उनके द्वारा से कोई वक्तव्य आया है, बल्कि हमारी तो मांग है कि उस मंत्री को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।
भाजपा के एक मंत्री का बयान आया है कि विपक्ष लाशों की राजनीति कर रहा है, क्या कहेंगे, श्री बघेल ने कहा कि लाशों की राजनीति ये लोग करते हैं, हम लोग नहीं करते हैं। हम लोग शहादत देने वाले लोगों में से हैं। ये लोग सत्ता की राजनीति करते हैं। देश के लिए कुर्बानी देने का काम अगर किसी ने किया है, तो वो कांग्रेस पार्टी ने किया है, उसकी लंबी फेहरिस्त है। महात्मा गांधी से लेकर इंदिरा जी और राजीव जी तक ने देश के लिए अपनी कुर्बानियाँ दी हैं। भाजपा के लोग बता दें आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक कभी नाखून भी कटाया हो।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री बघेल ने कहा कि ये तो एआईसीसी तय करेगी। लेकिन हम तो इस मंच के माध्यम से सीधा प्रधानमंत्री से यही कहेंगे कि जो ये कहते हैं कि आप सुधर जाओ नहीं तो ठीक करवा दूँगा, ऐसी भाषा बोलने वाले व्यक्ति केन्द्रीय मंत्रिमंडल में हो, इससे ज्यादा शर्मनाक बात मोदी सरकार के लिए क्या हो सकती है।
एक अन्य प्रश्न पर कि पश्चिमी यूपी में खासकर किसानों का एक बहुत बड़ा मसला और इस तरह की घटना हुई है, आपको लगता है कि ये एक चुनावी मुद्दा भी बनेगा, श्री बघेल ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता, हमारे लिए राजनीतिक विषय नहीं है। हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि महात्मा गांधी ने कहा कि देश की आत्मा गांव में बसती है। राहुल जी लगातार किसानों के लिए न्याय की बात वो करते रहे हैं और आज भी कांग्रेस पार्टी इस वर्ग के लिए लड़ाई लड़ रही है, तो हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि देश का ये मुद्दा है। किसानों का मुद्दा, मतलब, 70-80 प्रतिशत आबादी का मुद्दा है। हम सबके जीवन से जुड़ा हुआ मुद्दा, इसलिए इसे केवल राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप राहुल गांधी जी के साथ दिल्ली से लखीमपुर खीरी जाएंगे, श्री बघेल ने कहा कि मैं तो वहाँ जाना चाहता था, लखीमपुर, मुझे उतरने नहीं दिया गया, मैं अब भी कोशिश करूँगा कि मुझे लखीमपुर जाने दिया जाए। मैं फिर दिल्ली आया हूँ, तो दिल्ली में आपसे चर्चा करने के बाद शायद योगी आदित्यनाथ जी कुछ उस निर्णय में बदलाव करें, हमें अनुमति मिले, विपक्ष के लोगों को। मैं ही नहीं, बहुत सारे साथी जाना चाहेंगे क्योंकि इतनी बड़ी घटना है, जिसमें किसानों को रौंद दिया गया है। इतना दर्दनाक, इतना वीभत्स कोई और दृश्य नहीं हो सकता।
एक अन्य प्रश्न पर कि इस घटना के बाद क्या आप सरकार से निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं, श्री बघेल ने कहा कि जिस प्रकार से मौन साधे हैं, राज्य सरकार; जिस प्रकार से मौन साधे है, सत्तापक्ष के लोग, उससे लगता नहीं कि ये निष्पक्ष होगा।
एक अन्य प्रश्न पर कि यूपी पुलिस से क्या उम्मीद करते हैं आप, श्री बघेल ने कहा कि यूपी पुलिस के मामले में जब हाथरस की बात हो, चाहे अभी गोरखपुर की बात हो, वो सब पूरा देश देख रहा है कि किस प्रकार से वो मिसबिहेविंग कर रहे हैं और किस प्रकार से योगी आदित्यनाथ के राज में वो निरंकुश हो गए हैं, उसके बारे में सब देख रहे हैं, इससे उम्मीद नहीं की जा सकती है और जिस प्रकार से प्रियंका जी के साथ जो व्यवहार किया गया है, वो बेहद निंदनीय है। किसी महिला के साथ इस प्रकार का व्यवहार करना, मैं समझता हूँ, उचित नहीं है।
एक अन्य प्रश्न पर कि यूपी सरकार ने फैसला किया है, कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस से इसकी जांच कराई जाएगी, क्या कहेंगे, प्रो. गौरव वल्लभ ने कहा कि कल इस बारे में हमने हमारी स्थित स्पष्ट कर दी थी। कल ही हमने ये मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में इसकी जांच की जाए।
ये घटना कोई एक आईसोलेटेड घटना नहीं है, जैसा आदरणीय भूपेश बघेल जी ने बताया है। आप इसकी क्रोनोलॉजी समझिए। कुछ दिन पूर्व यूपीबीजेपी के हैंडल में एक कार्टून आता है, उस कार्टून में ये दिखाया जाता है और लिखा जाता है, राकेश टिकैत के बारे में कि यूपी आए तो खाल उधेड़ दी जाएगी। वो कार्टून है, आप भी जाकर देखिए, उस कार्टून को। खाल उधेड़ी दी जाएगी, वो कार्टून है, यूपीबीजेपी के हैंडिल से। फिर सप्ताह भर पहले देश के गृह राज्य मंत्री, सुधर जाओ, वरना सुधार देंगे। लोकतंत्र में उनको किसने ये बोलने का अधिकार दिया? संविधान के कौन से अनुच्छेद में उनको ये बात कहने का अधिकार मिला? उसके बाद हरियाणा के संवैधानिक चुने हुए मुख्यमंत्री, जिसने संविधान की शपथ ली, वो अपने कार्यकर्ताओं को कहते हैं, आदोंलनकारी किसानों का सिर फोड़ो, जेल जाओ और नेता बनो। लीडर बनने के लिए अन्नदाताओं का सिर फोड़ो, जेल जाओ और लीडर बनो। क्या बीजेपी इस तरह अपने लीडर बनाती है?
हम मांग करते हैं कि जब-तक गृह राज्य मंत्री, अजय मिश्रा अपने पद पर हैं, कोई भी जांच को कॉन्स्टीट्यूट करना बेमानी है। तो सबसे पहले तो उनको बर्खास्त किया जाए।
दूसरा, उनके ऊपर, उनके बेटे के ऊपर और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के ऊपर हत्या के मुकदमें दर्ज होने चाहिए और अभी तक वो गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ उनका पुत्र, क्योंकि कई ऐसी सोशल मीडिया के क्लिप्स आ रहे हैं, जहाँ पर यूपी पुलिस के लोगों ने स्वीकार किया कि जब ये हुआ, तो उस गाड़ी में गृह राज्य मंत्री के बेटे थे। अभी तक वो गिरफ्तारी क्यों नहीं हो पा रही है?
आप हमको तो रोक रहे हो, अपना पुलिस बल लगाकर, हमारे नेताओं को जाने से रोक रहे हो, प्रियंका गांधी जी को जाने से रोक रहे हो, भूपेश बघेल जी को प्लेन की लैंडिंग की अनुमति नहीं दे रहे और वो जो यूपी पुलिस के जो व्यक्ति ने कहा कि घटना स्थल पर गृह राज्य मंत्री का पुत्र था, वो कहाँ है, वो क्यों नहीं गिरफ्तार हुआ अभी तक?
आज सिर्फ एक साल पूर्व हाथरस की घटना हुई, कहाँ गए वो कल्प्रिट? कहाँ गए वो कल्प्रिट, क्या अभी जेल में हैं? किसने उस बच्ची के साथ दुष्कर्म किया, वो लोग कहाँ हैं? उनके ऊपर क्या-क्या केस चले, क्या एक कार्रवाई हुई है, एक साल हो गया, एक कार्रवाई ही बता दे, उत्तर प्रदेश सरकार।
लीपा-पोती से सरकार और संविधान और लोकतंत्र नहीं चलेगा। आपने कल किसानों के ऊपर अपनी गाड़ी के टायर नहीं चढ़ाए हैं, आपने लोकतंत्र और संविधान को कुचलने का प्रयास किया। भारत की अंतरात्मा को कुचलने का प्रयास किया। जिसको कोई भी भारतीय सहन नहीं करेगा।
हम मांग करते हैं कि तुरंत और अभी तक इतने घंटे के बावजूद क्यों भारत सरकार के कोई व्यक्ति का कोई बयान नहीं आता है। अरे भारत सरकार का एक मंत्री डायरेक्टली इंवॉल्व है, उसके खिलाफ प्रधानमंत्री हो, भाजपा अध्यक्ष हो, देश के गृहमंत्री हो, कैबिनेट हो, वो क्यों मौन धारण करके बैठे हैं? ऐसी क्या मजबूरी है, उनके, इन सब बातों का जवाब देश चाहता है, अन्यथा ये लड़ाई हम जिस तरह अंग्रेजों को कांग्रेस पार्टी ने भगाया था, आजादी के बाद ये जो जनरल डायर की सरकार है, उसको भी देश की जनता भगाकर मानेगी।
तीन कृषि कानूनों को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री बघेल ने कहा कि वे तीन काले कानून हैं, उसके खिलाफ में पूरी कांग्रेस पार्टी रही है, पूरे किसान संगठन रहे है, जिसकी लड़ाई किसान पिछले 8 महीने से लड़ रहे हैं। कांग्रेस शासित राज्यों की विधानसभा में ये प्रस्ताव ही पारित हुआ है उसके खिलाफ में, तो निश्चित रुप से ये काले कानून वापस लिए जाने चाहिए।