नान घोटाला रमन सिंह के कार्यकाल में हुआ, चालान भी उन्हीं के समय में प्रस्तुत हुआ, अधिकांश गवाही भी उन्हीं के समय हुये, रमन सिंह नान घोटाले में अपनी जवाबदारी स्वीकार करें:शैलेश नितिन त्रिवेदी
- 15 साल के कार्यकाल और कार्यकाल में हुये धान घोटाला, नान घोटाला, चावल घोटाला, राशन कार्ड, घोटाला, पीडीएस घोटाला कुछ भी याद नहीं है
- इन घोटालों में रमन सिंह जी को अपनी सरकार की भूमिका भी याद नहीं है क्या?
- सर्वोच्च न्यायालय में सील्ड कवर में दी गयी जानकारी और ईडी के हलफनामे का रमन सिंह का दावा भाजपा के इशारे पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का प्रमाण है
रायपुर/29 सितंबर 2021। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा ली गई पत्रकार वार्ता पर प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि लगता है कि रमन सिंह जी अपनी याददाश्त खो बैठे हैं और 15 साल के अपने कार्यकाल को ही भुला बैठे। नान घोटाला, चावल घोटाला, राशन कार्ड घोटाला, पीडीएस स्कैन में रमन सिंह की सरकार आकंठ डूबी रही। रमन सिंह जी के शासनकाल में लगातार 15 साल तक गरीबों के राशन में घोटाला, घपला करके राजकोट को क्षति पहुंचाई गई, इस क्षति के लिए स्वयं रमन सिंह जी जवाबदार हैं। अभी छत्तीसगढ़ के लोग यह भूले नहीं है कि जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 56 लाख 51 हजार परिवार थे लेकिन रमन सिंह सरकार ने 73 लाख कार्ड बना दिए थे। राशन बांटने वाली संस्था नागरिक आपूर्ति निगम के प्रदेश प्रमुख लीलाराम भोजवानी के घर में तीन तीन बहुओं के नाम पर बीपीएल कार्ड बने हुए थे।
ईडी के ऐसे किसी शपथ पत्र की जानकारी नहीं हैं लेकिन यदि ऐसे किसी शपथ पत्र का अस्तित्व है जिसका दावा रमन सिंह जी ने पत्रकारवार्ता लेकर किया है तो स्पष्ट है कि
ऽ ईडी केंद्र सरकार की एजेंसी है। राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा ईडी के प्रकरण में अपने प्रभाव के दुरुपयोग की बात पूरी तरह से असत्य और निराधार है।
ऽ डॉ. आलोक शुक्ल को राज्य सरकार द्वारा संविदा नियुक्ति द्वारा इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी जो खारिज की जा चुकी है। भाजपा की ओर से एक और अपील इस मामले में की गयी है जिसमें न्यायालय का फैसला अभी नहीं आया है।
ऽ न्यायालयाधीन मामले में, अदालत में विचाराधीन मामले को लेकर राजनैतिक बयानबाजी पूर्व मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देती है। बयानबाजी करते तो भी कम से कम पत्रकारों को यह तो बता देना था कि इस मामले में उच्च न्यायालय का फैसला आ चुका है, याचिका खारिज की जा चुकी है। फिर से अपील लगाई गई है। मामला विचाराधीन है।
ऽ अनिल टुटेजा सचिव नहीं है। संयुक्त सचिव है। रमन सिंह जी 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे है। सचिव और संयुक्त सचिव का अंतर जानते समझते ही होंगे। देश के कानून के मुताबिक दोषी नहीं है जिस पर दोष सिद्ध हो चुका है। किसी को दोष सिद्ध होने के पहले दोषी ठहराकर पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकार जगत को गुमराह करने का प्रयास किया है।
ऽ राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ ईडी, आईटी सहित केंद्र सरकार की एजेंसियों का दुरुपयोग भाजपा की फितरत है। कर्नाटक, महाराष्ट्र, बंगाल, उत्तर प्रदेश में भाजपा ने यह किया है। खासकर चुनावों के पहले किया है। रमन सिंह और भाजपा की छत्तीसगढ़ में दम तोड़ती राजनीति और समाप्त होते जनाधार को देखकर ईडी का दुरुपयोग अपने आप में स्पष्ट है।
ऽ ईडी भाजपा के इशारों पर काम कर रही है। यह इसी बात से स्पष्ट है कि रमन सिंह जी सर्वोच्च न्यायालय में सील्ड कवर में दी गयी जानकारी का न केवल उल्लेख कर रहे हैं बल्कि दूसरी ओर ईडी के उस हलफनामे में क्या लिखा है और सील्ड कवर में क्या है इसे उजागर भी कर रहे है।
ऽ रमन सिंह जी को जब सील्ड कवर में क्या है इसकी भी जानकारी है तो अब रमन सिंह जी को यह भी बता ही देना चाहिये कि क्या यह हलफनामा भी उनके और भाजपा नेताओं के इशारों पर ही तो नहीं बनाया गया है?
ऽ नान के प्रकरण में एसीबी, ईओडब्ल्यू द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष चालान पूर्ववर्ती सरकार के समय में ही प्रस्तुत किया जा चुका है। इस सरकार के मुखिया स्वयं रमन सिंह जी थे।
ऽ 17 दिसंबर 2015 को कांग्रेस की सरकार बनी और अदालत में 36000 करोड़ का नान घोटाले के प्रकरण में जनवरी 2019 तक 151 गवाहों की गवाही हो चुकी थी। उसके पश्चात कोई गवाही नहीं हुयी है। ऐसी स्थिति में रमन सिंह जी द्वारा वर्तमान सरकार पर लगाये गये आरोपों की असत्यता स्वयं प्रमाणित है।
ऽ रमन सिंह सरकार में सरकार के मुखिया और उनके परिवारजनों के लगातार उजागर हो रहे भ्रष्टाचार को छिपाने के लिये आनन-फानन में नान की कार्यवाही हुयी और लीपापोती की जांच की गयी। जब नयी सरकार बनने के बाद जांच दल गठित किया गया तो भाजपा के नेताओं ने जांच रुकवाने के लिये अदालत की शरण ली।
ऽ भाजपा के 15 साल की सरकार में मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में खासकर 2011-2014 के बीच हुये भ्रष्टाचार के दस्तावेजों प्रमाण एसीबी/ईओडब्ल्यू के पास है। जांच के लिये एसआईटी गठित की जा चुकी है। एसआईटी अपनी जांच के प्रतिवेदन माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर रही है। जांच पूरी होते ही परिणाम के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।