धर्मांतरण के नाम पर भावनायेंं भड़काकर विषयांतरण का भाजपा का प्रयास भी जनता ने नकारा :त्रिवेदी
- किसानों के नाम पर भाजपा का छत्तीसगढ़ के इतिहास का विफलतम धरना प्रदर्शन
- 13 सितंबर का मंडल स्तर और 14 सितंबर का जिला स्तर पर भी भाजपा का धरना प्रदर्शन फ्लाप शो
- छत्तीसगढ़ के किसानों ने भाजपा को समर्थन देना छोड़ दिया है : त्रिवेदी
भाजपा द्वारा स्तरीहीन किसानों के नाम पर 13 सितंबर को ब्लाकों और मंडलों में और 14 सितंबर को जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन को विफल करार देते हुये प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि किसानों के नाम पर भाजपा का प्रदर्शन फ्लाप शो रहा। अनेक जगह धरना स्थलों में भाजपा के नेताओं में आपसी मारपीट और झूमाझटकी होती रही।
प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा सरकार में धमतरी में किसानों पर किया गया बर्बर लाठीचार्ज अभी तक छत्तीसगढ़ के लोग नहीं भूले है। भाजपा सरकार में ही अभनपुर के किसान की अश्रुगैस का गोला फटने से मौत की घटना सबका अभी तक याद है। अभनपुर में पुलिस की अश्रुगैस लाठी से किसान केजूराम बारले की मौत हो गयी। आरंग के रीवा गांव का किसान गोकुल साहू सहित सैकड़ों किसान खेतों को पानी नहीं मिलने के कारण और कर्ज के बोझ तले आत्महत्या कर चुके है। हजारों किसानों ने भाजपा के 15 साल के शासनकाल में आत्महत्या की है। भाजपा अपने किसान विरोधी रवैये का फल भुगत रही है और किसानों ने भाजपा पर भरोसा करना बंद कर दिया है। भाजपा ने धान खरीदी पर घोटाले किये है। किसानों को लूटा है। घोटाला और लूट पर रोक लगी है। इसलिये भाजपा द्वारा किसानों का मुखौटा लगाकर आंदोलन करने की कोशिश को जनता ने नकार दिया।
प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि दरअसल भाजपा की किसानों को लेकर की जा रही राजनीति और किसान विरोधी चरित्र बेनकाब हो चुकी है। जब राज्य में भाजपा की रमन सरकार थी तब मोदी सरकार ने कहा था 300 रू. बोनस नहीं देना है तो भाजपा सरकार चिट्ठी लिखकर रह गयी। न किसानों को बोनस दिया न मोदी सरकार के खिलाफ धरना दिया। जब मोदी सरकार ने 300 रू. बोनस देने से रोका तब भाजपा खामोश रही। जब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने कहा कि धान का दाम 2500 रू. देंगे और मोदी सरकार ने रोका तब भी भाजपा ने इस किसान विरोधी फैसले के खिलाफ धरना नहीं दिया। किसानों के हितैषी होते तो तब भी धरना देते। एक बार भी भाजपा ने छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये एक चिट्ठी भी नहीं लिखी। 17 लाख किसानों ने केन्द्र की मोदी सरकार को पत्र लिखा लेकिन भाजपा ने तो धरना देना तो दूर एक चिटी लिखना तक जरूरी नहीं समझा। भाजपा के लोकसभा सदस्यों में से कोई भी किसानों के साथ खड़ा नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ के किसान और गांवों के लोग भाजपा के किसान विरोधी चरित्र को बखूबी समझ चुके है।