मनुष्य जीवन मे वृक्षो की क्या महत्त्व है : जयंती नायक
रायपुर:– श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी रायपुर में अध्यनरत बी.ए. एल.एल.बी. प्रथम वर्ष छात्रा (BA.L.LB. ¹St Year student) जयंती(निकिता) नायक ने हमारे जीवन मे वृक्षो की भुमिका बताते हुए अपने विचार व्यक्त किये।
हमारे जीवन मे वृक्षो की महत्व !
पेड़ हमारे जीवन में भोजन और पानी की तरह ही महत्वपूर्ण है। पेड़ के बिना जीवन बहुत कठिन बन जाएगा या हम यह कह सकते है कि जीवन खत्म हो जायेगा क्योंकि हमे स्वस्थ और समृद्ध जीवन देने में पेड़ बहुत मुख्य पहलु है । पेड़ हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जीवन प्रदान करता है क्योंकि ये ऑक्सीजन उत्पादन CO² उपभोग का स्त्रोत और बारिश का स्त्रोत है। प्रकृति की ओर से मानव को दिया गया ये सबसे अनमोल उपहार है जिसका हमे आभारी होना चाहिए तथा इसको सम्मान देने के साथ ही मानवता की भलाई के लिए संरक्षित करना चाहिए। धरती और धरती पर निवास करने वाले प्रत्येक जीव के लिए पेड़–पौधों जीवनदायि महत्व रखते है। बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से निपटने के लिए पेड़–पौधों ही सबसे मजबूत ढाल है। हर व्यक्ति कम से कम एक पौधा जरूर रोपित करे और दूसरों को भी पौधारोपण करने के लिए प्रेरित करे. पेड़–पौधें ही पर्यावरण के रंछक होने के साथ उनको स्वच्छ भी बनाते हैं। इसके बिना कोई भी अपने जीवन की संभावना नहीं कर सकता। इसलिए लोगों को पेड़–पौधे लगाने के कार्य आगे आना चाहिए। लेकिन वर्तमान में लोग अपने भौतिक सुख– सुविधाओं के लिए जंगलों,वनो, को काट कर इस धरती को पेड़ विहीन बना रहे है। यह भी एक प्रकार से पर्यावरण की अवहेलना करना है, इससे पर्यावरण अपमानित हो रही है जिसके परिणाम स्वरूप हमे कई प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। और देखा जाए तो हम कर भी रहे हैं कोरोना वायरस(COVID–19) महामारी से यह भी एक प्रकार से प्राकृति का अभिशाप ही है। इस महामारी के दौरान ऑक्सिजन की अभाव के कारण कई लोगों की मृत्यु हो रही है। अगर लोग अभी भी जागरूक नहीं होंगे तो पृथ्वी संकट में पड़ सकती है। “सांसे चल रही है पर शुद्ध हवा नहीं सब बराबर के गुनहगार है इसमें, दोष किसी एक का नहीं, सम्भल जाओ अभी भी वक़्त है, अभी सब कुछ लुटा नहीं।” सभी पाठकों से मेरी निवेदन है कि वृक्ष रोपण करके पृथ्वी व अपने स्वयं के जीवन को संरक्षित करे। आप मानेंगे बात तभी तो सुधरेंगे ना हालात।
सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामया।।