मड़वा ताप विद्युत संयंत्र के निर्माण काल से ही भारी भ्रष्टाचार-कांग्रेस
- कंपनी के कुप्रबंधन से बार-बार तकनीकी खराबी से करोड़ों के नुकसान का जिम्मेदार कौन?
- जुलाई 15 में कन्वेयर बेल्ट में लगी आग से करोड़ों के नुकसान का जिम्मेदार कौन?
रायपुर/13 मार्च 2021। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने अपने बयान में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी का मड़वा ताप विद्युत संयंत्र 2012 से बनना शुरू हुआ उस दिन से आज तक विवादों का मूल कारण उस समय मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. रमन सिंह थे जो भ्रष्टाचार के जनक थे। वास्तविकता में मड़वा प्लांट गले की हड्डी बन गया है। मड़वा में 500-500 की दो यूनिट है जिसमें से पहली यूनिट 31.03.2016 को 42 माह विलंब से चालू हुई, दूसरी यूनिट 31.07.2016 को 44 माह विलंब से शुरू हुई दोनों यूनिट की प्रारंभिक लागत 7086 करोड़ रू. थी, परंतु विलंब होने के कारण 9500 करोड़ रू. इसकी लागत हो गयी। इस तरह लगभग 3500 करोड़ रू. का भारी नुकसान हुआ जो जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा था। 14 जुलाई 2015 को मड़वा प्रोजेक्ट को प्रेशर हाउस एवं सीएचपी कन्वेयर बेल्ट में आग लग गयी जिससे लगभग 2500 करोड़ रू. का नुकसान हुआ। इन दोनों यूनिट के निर्माण के लिये Bhel कंपनी को तथा अन्य कार्य के लिये हैदराबाद के बीजीआर कंपनी को ठेका दिया गया था।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने आरोप लगाया है कि 2500 करोड़ रू. के नुकसान की भरपाई के लिये बीजीआर कंपनी हैदराबाद से वसूली क्यों नहीं की गयी एवं विद्युत उत्पादन कंपनी के खर्च पर इसका सुधार क्यों किया गया? प्रश्न यह है कि इस नुकसान की भरपाई बीजीआर कंपनी से होनी चाहिये थी इस अग्निकांड की रिपोर्ट को क्यों छुपाया गया? इस अग्निकांड की जांच रिपोर्ट उस समय की भाजपा सरकार ने सार्वजनिक क्यों नहीं किया?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने बयान में कहा कि भाजपा सरकार के भारी भ्रष्टाचार के कारण मड़वा की बिजली अन्य पावर प्लांट से बहुत महंगी हो गयी। मड़वा प्लांट के आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार ने तेलंगाना सरकार प्रदेश से अनुबंध कर 1 अप्रैल 2017 से बिजली सप्लाई करने का करार किया था, बिजली सप्लाई के एवज में तेलंगाना प्रदेश पर लगभग 2000 करोड़ रू. का बकाया अब भी है। मड़वा प्लांट सुचारू रूप से नहीं चल पाने का प्रमुख कारण कंपनी का कुप्रबंधन है। अभी पिछले दिनों मड़वा ताप संयंत्र की लाईन ट्रिप होने की वजह से 500-500 मेगावाट क्षमता के दोनों विद्युत सहित बंद हो गये थे जिसे भारी मशक्कत करके चालू किया गया जिसकी जांच विशेष टीम से कराई जाये एवं भविष्य में होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।