श्रम सुधार के प्रस्ताव वापस लेने की मांग को लेकर श्रमिक संगठनों ने किया पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन

श्रम सुधार के प्रस्ताव वापस लेने की मांग को लेकर श्रमिक संगठनों ने किया पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन

रायपुर मे बुढ़ापारा मे संयुक्त प्रदर्शन को संबोधित करते हुए इंटक के अध्यक्ष संजय सिंह, ऐटक के महासचिव हरीनाथ सिंह, सीआईटीयू के अध्यक्ष बी सान्याल,एकटु के महासचिव बृजेन्द्र तिवारी, सी जेड आई ई ए के महासचिव धर्मराज महापात्र, तृतीय वर्ग शा॰कर्म॰संघ के अध्यक्ष राकेश साहू, केंद्रीय कर्म॰ समन्वय समिति के दिनेश पटेल, एस टी यू सी के सचिव एस सी भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार पर पूंजीपतियों के हितों में मजदूरों की बलि चढ़ाने का आरोप लगते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने 23 जुलाई को वेज बिल संहिता 2019 तथा कार्यस्थल सुरक्षा, स्वस्थव कार्यात्मक वातावरण संहिता 2019 लोकसभा मे पेश कर दिया है, इन दोनों ही विधयेक मे श्रमिक संगठनों के अनेक बिन्दुओ पर विरोध और सुझाव को पूरी तरह दरकिनार कर ये पेश कर दिये गए, यह कुछ और नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा चुनावों में उन्हें सहयोग देने वाले कार्पोरेटों के हितो की पूर्ति के लिए कर्ज वापसी और मजदूरों को अंग्रेज़ों के जमाने से भी बदतर मालिकों का गुलाम बनाने का प्रयास है जिसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

इन नेताओं ने केंद्र सरकार पर इन सुधारों के जरिये श्रमिकों के 90 फीसद हिस्से को श्रम कानून के दायरे से ही बाहर करने का आरोप लगाते हुये कहा कि सरकार के इस कदम के खिलाफ देश के हर हिस्से के मजदूर जबर्दस्त प्रतिवाद करेंगे। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार अपने संसदीय बहुमत का दुरुपयोग कर मजदूरों के जनवादी अधिकारो को ही बुलडोज कर रही है जो असंवैधानिक और अप्रजातांत्रिक कदम है. उन्होंने देशभर के परिवहन मजदूरों के देशव्यापी हड़ताल जैसे भारी विरोध के बावजूद मोटर व्हीकल एक्ट मे परिवर्तन का भी तीव्र प्रतिवाद किया। सरकार के इन मजदूर विरोधी कदमो से विक्रय प्रतिनिधि, खान, बीड़ी, भवन निर्माण, श्रमजीवी पत्रकार, समाचार पात्रों के कर्मचारी आदि क्षेत्रो सहित विभिन्न तबको के श्रमिकों को मौजदा कानूनों मे प्राप्त अधिकारो से वंचित कर उन्हें पूरी तरह कारपोरेट मालिकों के अधीन कर देंगे।

केंद्र सरकार ने ऐसे ही न्यूनतम वेतन 4628/- प्रतिमाह की घोषणा कर दी जो कि 7 वे वेतन आयोग कि 18000/- न्यूनतम वेतन आयोग की सिफारिश के भी खिलाफ है। केंद्र सरकार ने रेल, रक्षा, बीमा, मीडिया, जैसी संस्थानो मे भी 100 फीसद एफ डी आई की अनुमति देने और सावजनिक क्षेत्रों के थोक मे निजीकरण का देशविरोधी फैसला का ऐलान किया है। एल आई सी को भी शेयर बाजार मे लिस्ट कर उसे बाजार के हवाले करने का देशविरोधी फैसला ले रही है। इन कदमों से सरकार बाज आए वरना आगामी दिनों में देश के मजदूर वर्ग सड़क पर उतरकर इन नीतियो के खिलाफ जबर्दस्त विरोध कार्यवाही संगठित करेंगे।

The News India 24

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