चापलूसी पर भूपेश का वार…..

रायपुर/31 जुलाई 21019। देश में कांग्रेस ऐसी पार्टी है जहां चापलूसी, चमचागिरी और मक्कारी का लंबे समय से बोलबाला रहा है। इसके चलते पार्टी बेहद खराब दौर से गुजर रही है। इसे उबारने तीनों ही बुराइयों को खत्म करने की बेहद जरूरत है। दरअसल, इस वजह से पार्टी आम जनता से दूर होते जा रही है। इसके लिए शीर्ष पदों पर रहने वाले नेताओं को आगे आना होगा। इस दिशा में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अच्छी शुरुआत की थी लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद वे पद तो छोड़े ही कांग्रेस में व्याप्त कमियों को दूर करने के अपने अघोषित मिशन को भी विराम लगा गए। सूबे में ये तीनों ही सियासी बुराइयां काफी कम हो गई थी, लेकिन जैसे ही सरकार बनी जिले व ब्लॉक स्तर के नेता व कार्यकर्ता पुन: पुराने दिनों की ओर लौटने लगे। भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनते ही ये मैदानी शासकीय अमले पर रौब झाडऩे लगे, लेकिन सियासी पैंतरों से वाकिफ अफसर एक हद के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने तैयार नहीं हैं। भूपेश बघेल के प्रदेश अध्यक्ष रहते तक इन बुराइयों में काफी कमी आई थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं में चापलूसी की होड़ लग गई। इसके पूर्व अविभाजित मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह व दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में भी ये तीनों ही बुराइयां चरम पर थीं।

छत्तीसगढ़ बनने के बाद मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में तो सारी सीमाएं लांघ दी गई। तब तो उनके खासमखाम नेता अथवा कार्यकर्ता का रूतबा जोगी से कम नहीं था। ये गुर्गे के सरीखे थे जिनसे प्रशासन के अफसर खौफ खाते थे। तब ये आलम था इन खासमखासों के बच्चों के जन्मदिन जैसे विशुद्ध पारिवारिक आयोजन में जोगी खुद शामिल होकर पूरी कांग्रेस पार्टी व प्रशासन को यह संदेश देते थे कि अमुख कांग्रेस नेता उनका खास कार्यकर्ता है, जिसका ख्याल रखा जाए। इसके अनरूप उन नेताओं को प्रशासन में तवज्जो मिलती थी। इससे कांग्रेस को बेहद नुकसान हुआ। लगातार तीन बार पार्टी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई। तब कांग्रेस के सियासत के इस विद्रुप चेहरा को भूपेश बघेल ने करीब से देखा था। इसलिए वे कार्यकर्ताओं की सुन तो रहे हैं लेकिन संतुलन बनाने के लिहाज से अफसरों को भरपूर महत्व दे रहे हैं। इसके चलते कोई भी नेता अथवा कार्यकर्ता सीमा रेखा लांघ नहीं पा रहा है।

पुराने दिनों की ओर लौटते हुए कांग्रेस के नेता, कार्यकर्ता आर्थिक हितों को साधने व रूतबा कायम करने सर्वप्रथम मुख्यमंत्री बघेल के आगे पीछे चक्कर काटने शुरु किए फिर बात न बनी तो उनकी फोटो के साथ खुद की फोटोयुक्त होर्डिंग्स लगवाए। तब भी दाल गलती न देख भूपेश बघेल के जन्मदिन के मौके पर उनके निवास भिलाई-3 से लेकर राजधानी रायपुर तक जिस मार्ग से वे गुजरते हैं होर्डिंग्स का सैलाब ला दिया। कांग्रेस के नेताओं, कार्यकर्ताओं में चापलूसी की जमकर होड़ लगाी रही। इस पर भूपेश बघेल सहित कांग्रेस के नेताओं की निगाह गई लेकिन मौन रहे। इसे तोडऩे की शुरुआत भूपेश बघेल को ही करनी थी। शनिवार को राजधानी स्थित राजीव भवन में पीसीसी की बैठक थी।

इसमें कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री से अफसरों द्वारा काम न करने की शिकायत की। एक कार्यकर्ता ने यहां तक कहा पिछले 15 साल भाजपा सरकार रही, इसके चलते मैदानी अमला उनकी नहीं सुन रहा। उन्हें हटा दिया जाए। इस पर भूपेश बघेल ने करारा जवाब दिया, कहा सरकार की योजनाएं सही तरीके से धरातल पर नहीं पहुंचा पा रही है। कितनों को हटाएंगे। काम तो इन्हीं अफसरों से लेना है। भूपेश बघेल यहीं तक नहीं रूके नाराजगी के स्वर में कहा मेरे जन्मदिन पर आपने फ्लैक्स, होर्डिग तो बहुत लगाए, लेकिन कितने कार्यकर्ता हैं जिन्होंने सरकारी योजनाओं की होर्डिंग्स लगाई? भाजपा के 15 साल के कुशासन, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के किस्से कितने ने जनता तक पहुंचाईं? किसी ने नहीं, आप हाथ में हाथ धरे बैठे रहे है।

ऐसे में कैसे सरकार की योजनाएं जनता तक पहुंचेगी? इससे बैठक में सन्नाटा पसर गया। चापलूसी कर सियासी व आर्थिक लाभ लेने की दुकान चलाने की सोच रखने वाले कार्यकर्ताओं की बोलती बंद हो गई। उन्हें जमकर झटका लगा। यह भूपेश बघेल का पार्टी में चली आ रही चापलूसी को कम करने कारगर उपाय हो सकता है। दरअसल, झटका के चलते फ्लैक्स व होर्डिंग्सबाज कार्यकर्ताओं ने दूसरे दिन यह निर्णय लिया कि जिले व ब्लॉक स्तर के नेता/कार्यकर्ता अब राज्य सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर आधारित फ्लैक्स और होर्डिग्स लगवाएंगे। यह तो ठीक है फिर भी ये खुद की मुख्यमंत्री के साथ निकटता दिखाने का लोभ संवरण नहीं कर पाएंगे।

वे राज्य सरकार की योजनाएं व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की फोटो के साथ खुद का भी फोटो लगा कर अपना प्रचार-प्रसार करेंगे। इससे कुछ होने वाला नहीं है। कांग्रेस के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री की फोटो के साथ फोटो लगा कर यह जताने की कोशिश करते हैं कि वे उनके करीबी हैं। इसी की आड़ में चंदा से लेकर न जाने कितने तरीके से आर्थिक हितों को ये साधते हैं। इससे जनता की दूरी सरकार व पार्टी से होना शुरू हो जाती है। इस पर पूरी तरह से रोक की जरूरत है। इस दिशा में भूपेश बघेल ने शुरुआत की है लेकिन आगे काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।

The News India 24

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