केन्द्रीय बजट में देश के आम आदमी, किसान, मजदूर, बेरोजगार, नौजवान, छोटे व्यापारी के लिये कोई राहत नहीं : मोहन मरकाम
रायपुर/01 फरवरी 2021। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि केन्द्रीय बजट में देश के आम आदमी, किसान, मजदूर, बेरोजगार, नौजवान, छोटे व्यापारी के लिये कोई राहत नहीं है। यह जनविरोधी और किसान विरोधी बजट है। कोरोना काल में लाकडाउन के कुप्रबंधन के चलते करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं और कल-कारखाने और बुनियादी संरचना क्षेत्र के करोड़ों प्रवासी मजदूर बेरोजगारी का दंश झेलते हुए, पैदल अपने घर जाने को मजबूर हो गए, ऐसे लोगों के लिये बजट में राहत पैकेज की कोई घोषणा नहीं होने से वे स्वयं को छला और ठगा महसूस कर रहे हैं। देश में डिमांड एंड सप्लाय के बीच संतुलन बनाने के लिये यह आवश्यक है कि आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़े। क्रय शक्ति बढ़ाने के लिये नगदी प्रवाह को बढ़ाना होगा जो नगद राहत पैकेज अथवा टैक्स बेनीफेट के माध्यम से दिया जा सकता है। इन दोनों बिंदुओं पर बजट में कोई प्रावधान नहीं है। पेट्रोल-डीजल के मूल्य एक्साइज ड्यूटी के कारण आज उच्चतम स्तर 85-90 रू. प्रति लीटर पर पहुंच चुके हैं जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनके मूल्य न्यूनतम स्तर पर हैं। लेकिन केन्द्र सरकार ने इसमें राहत देने के बजाए पेट्रोल पर 2.50 रू. और डीजल पर 4 रू. प्रति लीटर कृषि सेस आरोपित कर दिया। यूपीए सरकार में 300 रू. में मिलने वाला घरेलू गैस सिलेंडर आज 750 रू. तक पहुंच गया। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने प्रत्येक घर की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है।
जीडीपी दर में गिरावट से उबरने का प्रावधान नहीं
देश की अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी और कोरोना काल के चलते लगातार गिरावट की ओर है। इसे वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में भी स्वीकार करते हुये कहा कि राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत रहेगा। लेकिन इससे उबरने की कोई कार्ययोजना बजट में दृष्टिगत नहीं है। देश के 18 बड़े कार्पोरेटघरानों का लगभग 20 लाख करोड़ रू. का लोन राइट आफ किया जाता है और कार्पोरेट टैक्स में 1 लाख 45 हजार करोड़ रू. की छूट दी जाती है लेकिन करोड़ों बेरोजगारों को रोजगार, छोटे उद्योगों और व्यापारियों को राहत देने के लिये बजट मौन है।
किसानों से विश्वासघातः एम.एस.पी. गारंटी नहीं
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि देश में किसान आंदोलन के चलते यह उम्मीद थी कि केन्द्रीय बजट में किसानों को राहत प्रदान करने के लिये एम.एस.पी. की गारंटी दी जाएगी और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की जाएगी। लेकिन केन्द्र सरकार ने अपने तानाशाही अहंकार के कारण इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। किसानों की फसल की सुरक्षा के लिये गोदाम निर्माण, फल-साग सब्जी संरक्षण के लिये शीत-गृह तथा फूड प्रोसेसिंग प्लांट के लिये कोई प्रावधान नहीं किया गया जबकि कोरोना काल में कृषि क्षेत्र ने ही देश के जीडीपी में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया है।
फ्री वेक्सीन नहीं
केरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल व्यवस्था को देश की जनता ने झेला और भोगा है। देश के सरकारी अस्पतालों में बेड की कमी और आक्सीजन, वेंटीलेटर तथा टेस्टिंग की सुविधाओं के अभाव से रूबरू हुए है। इसके बावजूद स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस बजट में साधारण बढ़ोतरी की गई जो कि जीडीपी का एक प्रतिशत है जबकि चीन में यह 3 प्रतिशत और ब्राजील में 4 प्रतिशत है। सबसे बड़ा दुखद पहलू यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव में वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बिहार वालों को कोरोना वेक्सीन फ्री में देने की घोषणा की थी। लेकिन आज के बजट में देश के सभी नागरिकों के लिये फ्री वेक्सीन की घोषणा नहीं की गई। भाजपा की केन्द्र सरकार के लिये कोरोना वेक्सीन भी चुनाव कार्ड है। इन्हें देश के आम आदमी के जीवन की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है।
सार्वजनिक संस्थानों को बेचने में तत्पर
सार्वजनिक क्षेत्र में लगातार लाभ की स्थिति में रहने वाली नवरत्न कंपनियों को बेचने की दिशा में केन्द्र सरकार अग्रसर है। जीवन बीमा निगम जैसी अग्रणी कंपनी में विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की घोषणा की गई है। नारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ का लेकिन काम विदेशी निवेशकों को लाभ पहुंचाने का।
खाद्य-सुरक्षा गारंटी खत्म करने की ओर
देश में खाद्य सुरक्षा गारंटी योजना के तहत गरीब लोगों को राशन दुकानों के माध्यम से सस्ते दरों पर अनाज प्रदाय किया जाता है। यह अनाज भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से राज्यों को दिया जाता है। अब इस योजना को भी बंद करने की दिशा में बजट में संकेत दिया गया है कि भारतीय खाद्य निगम को भविष्य में नेशनल स्माल सेविंग फंड से लोन प्रदाय नहीं किया जाएगा। यह सीधा आम गरीब आदमी को खाद्य सुरक्षा गारंटी से वंचित करने का प्रयास है।