बीमारी का डर बताकर बनाया लूट का जरिया

बीमारी का डर बताकर बनाया लूट का जरिया

बीमारी का डर बताकर बनाया लूट का जरिया

काढ़ा को कोरोना की दवा बताकर बेचने की साजिश

चिटफंड कंपनियों ने अपना रूप बदला

अधिकतर उड़ीसा की फर्जी कंपनियों ने पूरे देश में जाल फैलाया

गरीब जनता और दूर दराज अंचल में आम जनता को लूटने के नया तरीका इजाद छत्तीसगढ़, विदर्भ, झारखंड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश फर्जी कंपनियों के टारगेट में

रायपुर । मलकान गिरी के ग्रामीण इलाकों में आदिवासियों को कोरोना की दवा बताकर त्रिफला के सिरुप को मनमाने दामों में बेचा जा रहा है। भोले-भाले आदिवासी बीमारी से बचने के लिए 50 रुपए की दवा को 250 से 300 रुपए में खरीद रहे है। कुछ मार्केटिंग एजेंसियां कोरोनाकाल के दौरान दूरदराज के इलाकों में भोले-भाले ग्रामीणों और बुजुर्गों को बरगला कर और बीमारी का डर बताकर अपना प्रोडक्ट मनमाने कीमत पर बेचकर उन्हें लूट रहे है।

जानकारी के अनुसार उड़ीसा में कई कंपनियां है जिसका दूसरे प्रांतों और शहरों में भी शाखाएं हैं, के प्रतिनिधि आदिवासी अंचल के गांव में जाकर बुजुर्ग आदिवासी को कोरोना का भय दिखाकर इम्युनिटी बढ़ाने के लिए 50 रुपए की दवा को 300 रुपए में बेच रहे है। देखने वाली बात यह है कि एजेंसी के प्रतिनिधि 18 से 20 साल के ही होते है। जिन्हे इस दवा को सेल करने ग्रामीण इलाकों में भेजा जाता है। ये प्रतिनिधि बुजुर्ग आदिवासी को ही अपने जाल में फंसाकर उन्हें ज्यादा कीमत पर दवा बेचते है। एजेंसी के प्रतिनिधि पढ़े लिखे और युवाओं से संपर्क नहीं करते। पूछने पर ये खुद को एच.आर.एम कोर्स करने वाले और प्रैक्टिकल कोर्स के लिए गांव में आने का हवाला देते है।

 

झारखंड,उड़ीसा, आंध्र प्रदेश फर्जी कंपनियों के निसाने पर : राजनांदगांव, कवर्धा, बेमेतेरा, पंडरिया,चारामा, कांकेर, भानुप्रतापपुर, गीदम, मानपुर डोंडीलोहारा, रायगढ़,चांपा, जांजगीर, सूरजपुर, बैकुंठपुर, अंबिकापुर के आदिवासी अंचल सहित कई ऐसे कस्बे है जहां पर कंपनियों व्दारा फर्जी कोरोना बीमारी का डर दिखाकर ग्रामीणों को लूटा जा रहा है। 40 रुपए के दवा को 300 से 400 में बेच रहे : एजेंसी एक आयुर्वेदिक दवा बेचती है जिसे त्रिफला से बना बताया जा रहा है उक्त सिरप को बनाने के लिए बमुश्किल 40 से 50 रुपए खर्च आता होगा जिसे ग्रामीणों को 300 से 400 रुपए में बेच रहे है। कोरोना की दवा के नाम पर कई तरह की आयुर्वेदिक दवाएं बुजुर्गों को बेचीं जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगह मेडिकल स्टोर्स बने हुए है फार्मासिस्ट ही इनका संचालन करते हैं। मगर ये एजेंसी ग्रामीण इलाके में अपने दर्जन भर से अधिक युवक-युवतियों को भेजते है और एक लक्ष्य देकर सभी को चेतावनी दी जाती हैं कि प्रोडक्ट की बिक्री ज्यादा मात्रा में हो और कंपनी को अधिक से अधिक मुनाफा मिले। Also

 

एजेंसी सिर्फ कम उम्र के युवक-युवतियों को ही काम देती है। ग्रामीण इलाकों में प्रोडक्ट को बेचने के लिए एजेंसी कम उम्र के युवक-युवतियों को पैसों का प्रलोभन देकर इस काम में लगाया जाता है। जिससे कंपनी को भी मुनाफा होता है। आयुर्वेदिक दवाई का प्रोडक्ट को कंपनी बाहर से लाकर ग्रामीण इलाकों में युवक-युवतियों द्वारा उचे दाम में बेचा जा रहा है। जिससे कंपनी अपना मुनाफा भी कमाती है। कोरोनाकाल के समय में लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी। और उन लोगों के साथ ये कंपनी और इसके प्रतिनिधि ठगी कर रहे है। लड़के और लड़कियों का ब्रेन वॉश कराकर काम करा लिया जाता है। पैसों का लालच भी दिया जाता है।

 

तस्करी कोरोना का खौफ दिखाकर कर रहे ठगी: कोरोना का कहर भले ही थोड़ा कम हुआ है मरीज़ों की संख्या में गिरावट भी आई है। मगर वही कुछ लालची किस्म के लोग इस आपदा के समय में भी अपना मुनाफा कमाने से नहीं चूकते है। शहर में कोरोना का खौफ दिखाकर निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी मरीज़ों को काफी लूटा था। वही अब उड़ीसा के ग्रामीण अंचल में कुछ फर्जी आयुर्वेदिक दवाई की कंपनियों ने अपना डेरा बना लिया है। बुजुर्गों को कोरोना संक्रमण फैलने का डर बताकर गांव के लोगों से ये कह कर पैसा लूट लेते है कि कोरोना की दवा आ चुकी है और इस दवाई के इस्तेमाल से कोरोना संक्रमण नहीं फैलेगा।

The News India 24

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