रायपुर/26 जुलाई 2019। राजधानी रायपुर में यातायात व्यवस्था को चकना-चूर करने के साथ -साथ सरकारी अपव्यव और भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में आए “स्काई वॉक” की उपयोगिता पर शुक्रवार को जमकर माथापच्ची हुई। हालांकि आम जनता को “गुमराह” कर इसके निर्माण पर कांग्रेसी “मुहर” लगाने के लिए यह कदम जरुरी भी था। दरअसल “स्काई वॉक” की उपयोगिता को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी कई सवाल खड़े कर चुकी है। कांग्रेस के कई नेताओ ने तो इसे तोड़े जाने और “सरकारी तिजोरी” में हुए नुकसान के भरपाई की वसूली जिम्मेदार अधिकारियों और तत्कालीन PWD मंत्री से वसूले जाने की मांग भी की थी। “स्काई वॉक” के निर्माण में “भारी भ्रष्टाचार” के आरोपों को लेकर कांग्रेस के कई नेताओ ने विधानसभा के अंदर और बाहर जमकर प्रदर्शन भी किया था। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद “हुजूर ” बदले -बदले से नजर आ रहे है। ऐसे में इसकी उपयोगिता को लेकर “क्लीन चिट” दिए जाने से और भी बवाल मच सकता है। लिहाजा PWD विभाग के “कर्णधारो” ने “माथापच्ची” का रास्ता निकाल कर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के “स्काई वॉक” निर्माण के सपने को साकार करने के फैसले को यथावत रखा है। यह पूरी तरह से साफ़ है कि “स्काई वॉक” का निर्माण हर हाल में पूरा होगा। भले ही कांग्रेस समेत इसका विरोध करने वालो को यह पसंद हो या ना हो।
दरअसल यह संभव हो सका है उस आईएफएस अफसर की कार्यप्रणाली से जो PWD विभाग में दस साल तक कार्यरत रहने का “पट्टा” लेकर आया है। बीजेपी सरकार के कार्यकाल में जारी हुआ यह “पट्टा” कांग्रेसी शासनकाल में भी प्रभावशील है। इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी कि “स्काई वॉक” का निर्माण फिर से शुरू होगा। यही नहीं “स्काई वॉक” निर्माण करने वाले एक ठेकेदार का दावा है कि जैसा बीजेपी शासनकाल में “कल्चर “चलता था वैसा ही कांग्रेस कार्यकाल में भी है। बस “सेटिंग” नहीं होने से गतिरोध उत्पन्न हुआ था। “माथापच्ची” के जरिए अब इस गतिरोध को दूर कर लिया गया है। इस ठेकेदार को उम्मीद है कि अब “स्काई वॉक” निर्माण पर कांग्रेसी “मुहर” भी जल्द ही लग जाएगी।
गौरतलब है कि रायपुर में बढती आबादी और यातायात के दबाव के चलते मुख्य मार्गो में पैदल चलना काफी “जोखिम” भरा हो गया है। इसके चलते पूर्वर्ती सरकार के कार्यकाल में यातायात की “सुगम और वैकल्पिक” व्यवस्था किए जाने पर जोर दिया गया था। लेकिन पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार को भी उम्मीद नहीं थी कि एकाएक इस मुख्य मार्ग पर “स्काई वॉक” आकार ले लेगा। PWD के “तिकड़मी” अफसरों की गैंग ने अचानक “स्काई वॉक” के निर्माण की नींव रख दी। इसकी उपयोगिता को लेकर ना तो बीजेपी में एक राय थी और ना ही मुख्यमंत्री रमन सिंह के मंत्रिमंडल में। तत्कालीन कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल समेत रायपुर जिले के कई विधायकों ने इसके निर्माण पर कड़ी “आपत्ति” जाहिर की थी। बीजेपी नेताओ से शहर पर बदनुमा दाग बताते हुए कमीशनखोरी उपक्रम भी करार दिया था। लेकिन तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए तत्कालीन “सरकार” ने अपने “लाडले” PWD मंत्री राजेश मूणत का “झंडा” गाड़े रखा।
“स्काई वॉक” की लागत अब तीन गुना से ज्यादा बढ़ चुकी है। इसके निर्माण में जुटी एजेंसियों को आधे से ज्यादा रकम का “भुगतान” भी पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में प्राप्त हो चूका है। बची-कूची रकम की अदाएगी को लेकर PWD विभाग के आलाधिकारी ठेकदारों के साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़े हुए है। वरना इसके निर्माण में जुटी तमाम एजेंसिया अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकती है। इन एजेंसियों के पास बाकायदा “वर्क ऑडर” समेत तमाम वैधानिक दस्तावेज है। ऐसे में उनके “भुगतान” का दावा सरकार पर भारी पड़ सकता है। ठेकेदारों को “मय ब्याज” पूरी रकम की अदाएगी भी करनी पड़ सकती है। लिहाजा “स्काई वॉक” के निर्माण का विरोध करने वालो को PWD विभाग के अफसरों ने अपने परंपरागत “नुस्खे” से शांत कर दिया है। इसलिए कहा जा रहा है कि पूर्व PWD मंत्री राजेश मूणत बीजेपी शासनकाल में जितने “भारी” थे उतने ही “भारी” मौजूदा कांग्रेस शासनकाल में भी है। उनका “जलवा” अभी भी बरक़रार है। तभी तो कहा जा रहा है “PWD” विभाग में “होइ वो ही जो राजेश मूणत लिखी राखा”।