विकास के रथ पर सवार होकर आई मरवाही की जीत
कांग्रेस के लिए मरवाही में चुनाव जीतना एकदम आसान तो नहीं था। न किसी ने इतनी विराट जीत की उम्मीद की थी। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का यह ऐसा गढ़ था, जिसे न केवल अभेद माना जाता था बल्कि मरवाही और जोगी परिवार एक दूसरे के पर्याय बन गए थे। ऐसी सीट पर कांग्रेस की इतनी बड़ी फतह चौंका रही है। वह भी तब जबकि कांग्रेस को न केवल भाजपा, बल्कि मैदान से बाहर रही जोगी कांग्रेस से भी जूझना पड़ा। अब उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। कांग्रेस ने दंतेवाड़ा, चित्रकोट के बाद अब मरवाही में 38 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर, उप चुनावों में अजेय होने का संदेश भी दे दिया है।
कांग्रेस के लिए मरवाही में चुनाव जीतना एकदम आसान तो नहीं था। न किसी ने इतनी विराट जीत की उम्मीद की थी। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का यह ऐसा गढ़ था, जिसे न केवल अभेद माना जाता था बल्कि मरवाही और जोगी परिवार एक दूसरे के पर्याय बन गए थे। ऐसी सीट पर कांग्रेस की इतनी बड़ी फतह चौंका रही है। वह भी तब जबकि कांग्रेस को न केवल भाजपा, बल्कि मैदान से बाहर रही जोगी कांग्रेस से भी जूझना पड़ा। अब उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। कांग्रेस ने दंतेवाड़ा, चित्रकोट के बाद अब मरवाही में 38 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर, उप चुनावों में अजेय होने का संदेश भी दे दिया है।
जीत का अंतर इतना विशाल होगा इसका अहसास खुद कांग्रेस के दिग्गजों को भी नहीं था। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा था कि मरवाही चुनाव वे 30 हजार वोटों से जीतेंगे। लेकिन लोगों ने उन पर इतना भरोसा किया कि जीत का अंतर उनकी उम्मीद से भी ज्यादा हो गया। वोटरों ने उम्मीद से ज्यादा भरोसा भूपेश बघेल पर जताया है। यह जीत कांग्रेस संगठन और सत्ता की जुगलबंदी का नतीजा है। इसी वजह से मुख्यमंत्री ने जब जीत के बाद ट्वीट किया तो वे मोहन मरकाम के साथ-साथ चुनाव प्रभारी जयसिंह अग्रवाल और संगठन के स्तर पर गिरीश देवांगन और अटल श्रीवास्तव को याद करना नहीं भूले।
नतीजा ऐसे ही नहीं आया। दरअसल यह जीत विकास के रथ पर सवार होकर आई है। सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य के हर कोने की सुध ली। और एक-एक कर इलाकों को संवारना प्रारंभ किया। इनमें मरवाही भी था। दशकों पुरानी पेंड्रा जिले की मांग को पूरा कर उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया। इतना ही नहीं, राज्यपाल अनुसुईया उइके की नाराजगी के बाद भी उन्होंने मरवाही को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत घोषित किया। उस इलाके की मांगों की फेहरिस्त तैयार कर उनको पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री ने खजाना भी खोल दिया। पांच सौ करोड़ रुपए से ज्यादा विकास कार्यों का ऐलान किया। लोगों को यह भरोसा दिलाया कि कांग्रेस उम्मीदवार को चुनना उनके भविष्य को बेहतर करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। शायद यही वजह रही कि जोगी के गढ़ में जोगी परिवार को सहानुभूति के बावजूद कांग्रेस को भारी अंतर से जीत मिली है।
साथ ही 2500 रुपए धान खरीदने के अपने वादे पर कायम रहने का लाभ भी उप चुनाव में मुख्यमंत्री को मिला है। लोग उन पर भरोसा कर रहे हैं कि उनका भविष्य सही हाथों में है। कांग्रेस ने उम्मीदवार भी ऐसे व्यक्ति को बनाया जो वर्षों से मरवाही में बतौर डाक्टर लोगों की सेवा कर रहा था। बिना किसी राजनीतिक जुगाड़ के डा. केके ध्रुव को मैदान में उतारकर संदेश देने का प्रयास किया गया कि मरवाही की सेवा ही उनका प्रथम लक्ष्य है। उसका नतीजा भी सामने हैं।
उपचुनावों में अजेय होती कांग्रेस
इससे पहले राज्य में दो उपचुनाव हुए। दोनों में कांग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी और जीत के झंडे गाड़ दिए। दंतेवाड़ा में भी सहानुभूति पर भूपेश सरकार के विकास के मार्ग पर बढ़े कदम भारी पड़े और श्रीमती देवती कर्मा ने स्वर्गीय भीमा मंडावी की धर्मपत्नी ओजस्वी मंडावी को 11 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। मरवाही की तरह दंतेवाड़ा में भी सहानुभूति भाजपा के काम नहीं आई।
नगर निगमों में 10 में से 10
इसी साल जनवरी में हुए नगरीय निकाय चुनाव में भी जनता ने भूपेश पर भरोसा जताया है। प्रदेश के 10 में सभी 10 निगमों में कांग्रेस के महापौर काबिज हुए। 30 नगरपालिकाओं में से 28 और 103 नगर पंचायतों में 60 में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार हुए चुनावों में कांग्रेस मजबूत हो रही है। साथ-ही-साथ मजबूत हो रहा है लोगों का बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भरोसा।
चित्रकोट में भी जीत
चित्रकोट के तत्कालीन विधायक दीपक बैज लोकसभा का चुनाव लड़कर जीते और विधानसभा सीट खाली हो गई। वहां के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजमन बेंजाम ने भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप को 17 हजार 862 वोटों से हराया था। चित्रकोट चुनाव भूपेश बघेल पर भरोसे की बड़ी जीत मानी गई थी।