संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के समर्थन में सत्ता पक्ष के विधायक अरुण वोरा और देवेन्द्र ने सीएम को लिखा पत्र
रायपुर। पिछले पांच दिन से हड़ताल पर बैठे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की एक सूत्रीय मांग का सभी दलों ने समर्थन किया है। इन्हें विपक्ष के साथ ही अब सत्ता पक्ष का समर्थन मिलने लगा है, अब समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। विपक्ष के बाद सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिख कर इनकी नियमितीकरण की मांग मानने का अनुरोध किया है।
सीएम के गृह जिले दुर्ग के दो विधायकों अरुण वोरा और देवेन्द्र यादव ने उन्हें पत्र लिखा है। अरुण वोरा ने अपने लिखे पत्र में कहा है कि पिछले 7 महीने से कोरोना काल में संविदा स्वास्थ्य कर्मी लगातार अपनी सेवाएं देते रहे हैं, इनमें से कई इस दौरान कोरोना की चपेट में आए भी और ठीक होने के बाद भी लगातार ये अपने कर्तव्य को निष्ठापूर्वक पूरा भी कर रहे हैं। कोरोना काल के समय भी इन कर्मचारियों को समकक्ष पर का वेतन और चिकित्सकीय सुविधा नहीं है।
अरुण वोरा ने सीएम को लिखे पत्र में कांग्रेस के जनघोषणा पत्र के वादों को याद दिलाते हुए कहा कि जनघोषणा पत्र में भी संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का उल्लेख है। उन्होंने सीएम से इनकी नियमितीकरण की मांग मानने का अनुरोध किया है।
विधायक देवेन्द्र यादव ने भी कोरोना काल में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के योगदान का उल्लेख करते हुए सीएम से सभी 13 हजार कर्मचारियों के नियमितीकरण की अनुशंसा की है।
इन विधायकों ने भी किया समर्थन
आपको बता दें इससे पहले बसपा विधायक इंदू बंजारे, सौरभ सिंह, विनय भगत ने भी सीएम को पत्र लिखकर इनकी नियमितीकरण की मांग पूरी करने का आग्रह किया था। वहीं कल राजनांदगांव में इनके धरना प्रदर्शन का समर्थन करने विधायक दलेश्वर साहू और निगम महापौर पहुंचे थे। हालांकि पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने इन हड़ताली कर्मचारियों पर हो रही बर्खास्तगी को जायज ठहराया था।
इस्तीफों का दौर जारी
आपको बता दें प्रदेश के 13 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी पिछले पांच दिन से हड़ताल पर हैं। सरकार ने एस्मा के तहत इऩके खिलाफ कार्रवाई शुरु कर दी है। प्रदेशाध्यक्ष हेमंत कुमार सिन्हा सहित कई पदाधिकारियों को सरकार ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया है तथा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने का आदेश दिया गया था। सरकार की इस कार्रवाई के विरोध में सभी कर्मचारियों ने इस्तीफा देना का निर्णय लिया था। जिसके बाद प्रदेश भर से इस्तीफा देना का दौर शुरु हो गया था। संघ के मुताबिक अब तक पांच हजार से ज्यादा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है।