कृषि बिल भारत जैसे 86 प्रतिशत लघु एवं सीमांत कृषकों के जीवन के साथ खिलवाड़ है – कांग्रेस
कृषि कानून से मंडी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी, कालाबाजारी होगी और कृषि उपज की दर में अस्थिरता आएगी – कांग्रेस
रायपुर 19 सितंबर 2020। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि लोकसभा में पारित दो कृषि बिल भारत जैसे कृषि प्रधान देश के 86 प्रतिशत लघु एवं सीमांत कृषकों के हकों के साथ कुठाराघात है और उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाला है। सरकार द्वारा बहुमत का फायदा उठाते हुए अध्यादेश लागू करने के समय से हो रहे विरोध के बावजूद महज चंद घंटों की बहस करा कर आनन-फानन में बिना किसानों को विश्वास में लिए बिल को पास कराया गया है। विधेयक के खिलाफ विभिन्न राज्यों के किसान आंदोलनरत हैं, उनकी भावनाओं एवं आशंकाओं का सम्मान तथा समाधान नहीं किया गया और ना ही भरोसे में लिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि यह कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर करेगा। इस कानून से मंडी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और खाद्य सुरक्षा खत्म हो सकती है। यह भी आशंकाएं हैं कि देश के छोटे किसानों का शोषण होगा, खेती पर निजी कंपनियों का अधिकार हो जाएगा, जमीन के मालिकाना हक पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा और आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी होगी तथा कृषि उपज की दर में अस्थिरता आएगी। यह बिल निजीकरण को बढ़ावा देगी जिससे किसान मजदूर बनने मजबूर हो जाएंगे।
प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा कि सदन में बिल पास कराए जाने की जल्दबाजी से साफ हो गया है कि एनडीए की सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है और किसानों के हितों के संरक्षण,संवर्धन और उन्हें सुविधा प्रदान करने के प्रति गंभीर नहीं है। कई राज्यों के आंदोलनरत किसानों ने भी सरकार की नीयत पर संजीदा सवाल खड़ा किए हैं। बिल पारित कराते समय सत्तापक्ष ने इसे सुरक्षा कवच बताया है जबकि यह बिल किसानों के लिए गले का फांस साबित हो सकता है।