छह घंटे हुई थी गोलीबारी….पुलिस परेड ग्राउंड में क्रांतिकारियों ने भरी थी हुंकार
रायपुर। देश की आजादी के इतिहास के तमाम पन्ने अनगिनत देश भक्तों की कुर्बानियों की गाथाओं से भरे हैं। इससे छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रहा है। हमारे माटी पुत्रों ने ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ जमकर लोहा लिया था। 1857 की क्रांति की चिंगारी ने देशभर में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग का एलान कर दिया था। इस बात का गवाह आज भी राजधानी रायपुर का पुलिस परेड ग्राउंड दे रहा है।
शहर के बीचों बीच स्थित पुलिस परेड ग्राउंड ने गुलामी के ढलते और आजादी के उगते सूरज को सलाम करते हुए स्वतंत्रता का साक्षी रहा है। आज भले ही राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां ध्वजारोहण करेंगे, लेकिन इस मैदान में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुंकार भरी थी। छह घंटे तक अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच जमकर गोलीबारी हुई थी, जिसे छावनी विद्रोह कहा गया।इतिहासकारों की मानें तो फौजी छावनी के नाम से पहचाने जाने वाला पुलिस परेड ग्राउंड में 18 जनवरी 1858 की शाम मैग्जीन लश्कर हनुमान सिंह ने तीसरी टुकड़ी के सार्जेट मेजर सिडवेल की हत्या कर विद्रोह प्रारंभ कर दिया।इसमें 17 सिपाहियों ने हनुमान सिंह का साथ दिया। इस दौरान अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच जमकर गोलीबारी हुई। गोलियां खत्म होने से हनुमान सिंह के 17 सिपाही पकड़े गए। इस बीच हनुमान सिंह किसी तरह बचकर निकल गए थे। वहीं विद्रोह करने वाले 17 सिपाहियों को 22 जनवरी 1858 को वर्तमान रायपुर सेंट्रल जेल के सामने फांसी पर लटका दिया गया था।
कहलाया छत्तीसगढ़ का मंगल पाण्डेय
इतिहासकार आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि इस विद्रोह के बाद ब्रिटीश कंपनी ने हनुमान सिंह पर 500 रुपये का इनाम भी रखा। कंपनी उनकी तलाश में रात दिन एक कर दी, लेकिन आज तक उनका कोई सुराग नहीं मिला। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अवाज बुलंद करने की वजह से हनुमान सिंह को छत्तीसगढ़ का मंगल पाण्डेय भी कहा जाता है। राज्य सरकार उनकी स्मृति में वीर हनुमार सिंह पुरस्कार देती है।
इन 17 क्रांतिकारियों को दी गई थी फांसी
जानकारों की मानें तो मैग्जीन लश्कर हनुमान सिंह इस विद्रोह के नेता थे। उनके साथ 17 सैनिक जिन्हें फांसी दी गई थी, उनमें गाजी खान, अब्दुलहयात, मुल्लू, शिवनारायण, पन्नालाल, मातादीन, बल्ली दुबे, ठाकुर सिंह, अकबर हुसैन, लल्ला सिंह, बुद्घू, परमानंद, शोभाराम, नसर मोहम्मद, शिवगोविंद, देवीदीन और दुर्गा प्रसाद के नाम शामिल हैं।