लॉकडाउन में रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए समूह की महिलाएं स्थानीय स्तर पर राखियों की आपूर्ति कर रही

लॉकडाउन में रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए समूह की महिलाएं स्थानीय स्तर पर राखियों की आपूर्ति कर रही

दुर्ग / आपदा को अवसर में बदलने की ताकत छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने दिखाई है। इस साल कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन में रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए समूह की महिलाएं स्थानीय स्तर पर राखियों की आपूर्ति कर रही हैं। इन राखियों में छत्तीसगढ़ की माटी की महक तो है ही साथ ही दर्जनों महिलाओं को घर बैठे काम भी मिला है। स्व-सहायता समूहों की महिलाएं भाईयों के लिए हल्दी, कुमकुम, चंदन, गोबर आदि से वैदिक राखियां बनाने के साथ बहनों के लिए खूबसूरत कंगन और झुमके भी बना रही हैं

दुर्ग जिले के भिलाई की स्वयं सेवी संस्था ’छत्तीसगढ़ उड़ान नई दिशा’ की संचालक निधि चंद्राकर समूहों से जुड़ी दर्जनों महिलाओं को पंचद्रव्य में शामिल गोबर और मौली धागा से राखियाँ बनाने का प्रशिक्षण दिया है। गोबर, चंदन, कुमकुम, हल्दी जैसे शुभ सामग्रियों के बनने के कारण इसे वैदिक राखी का नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की परंपराओं को सहेजने की पहल और स्थानीय रोजगार को प्रोत्साहन से इनको हौसला मिला है। महिलाएं गोबर से बनी इस वैदिक राखी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजना चाहती हैं। वैदिक राखी बनाने वाली इन महिलाओं का मानना हैं कि हाथों से बनी राखी जब भाईयों की कलाई में सजेगी तो उसका अलग ही अहसास होगा।

बिहान समूह की दीदियां भी रक्षाबंधन के त्यौहार पर बहनों के लिए झुमके कंगन और भाइयों के लिए राखियाँ बना रही हैं। समूहों से जुड़ी ग्रामीण अंचलों की इन महिलाओं को बिहान योजना के तहत चूड़ी, झुमके और अन्य आर्टिफिशियल ज्वेलरी के साथ राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। जनपद पंचायत द्वारा कच्चा माल क्रय करने राशि भी उपलब्ध कराई गई है। किशोरी बालिकाएं भी इसमें हिस्सा लेकर उत्साह से राखियाँ बना रही हैं। जिले की तीनों जनपद पंचायतों में महिलाओं द्वारा राखियाँ बनाई जा रही हैं। इनके प्रोडक्ट अच्छी गुणवत्ता और कम दाम में उपलब्ध हैं। महिलाओं को उम्मीद है कि उनकी राखियों और आर्टिफिशियल ज्वेलरी को पसंद किया जाए

The News India 24

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