रायपुर/04 जुलाई 2019। भूपेश बघेल, छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री. संघर्ष से गढ़कर तैयार छत्तीसगढ़ माटीपुत्र. राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री के रुप में भूपेश बघेल ने छह महीने का सफर पूरा कर लिया है। सिर्फ एक छोटे से कार्यकाल में जो ऐतिहासिक फैसले भूपेश बघेल ने बतौर मुख्यमंत्री लिए, उसकी चर्चा भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है।
23 अगस्त 1961 को भूपेश बघेल का जन्म दुर्ग में नंदकुमार बघेल और बिंदेश्वरी बघेल के घर हुआ। उनका विवाह मुक्तेश्वरी बघेल से हुआ। उनके चार बच्चे हैं।
बघेल ने अपना राजनीतिक सफर यूथ कांग्रेस के साथ 1990 में शुरु किया। 1991 में जब विवादित ढांचा तोड़ा गया तो भूपेश बघेल ने पूरे दुर्ग की पदयात्रा करके हिंदू मुस्लिम एकता का संदेश दिया। साल 1993 में भूपेश बघेल पाटन से विधायक बने। इसके बाद 1998 में दिग्विजय सिंह की दूसरी पारी में उन्हें अविभाजित मध्यप्रदेश का मंत्री बनाया गया। 2000 में जब छत्तीसगढ़ बना तो अजीत जोगी की सरकार में भूपेश बघेल को राजस्व, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और आपदा प्रबंधन विभाग का मंत्री बनाया गया।
मुख्यमंत्री बनने से पहले राजनीति में बघेल ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। वे छत्तीसगढ़ में सबसे लंबे समय करीब साढ़े पांच साल तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। अध्यक्ष से पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस में कार्यक्रम समन्वयक की ज़िम्मेदारी दी गई। जब 2003 में कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गई तो उन्हें सदन में उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया। अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनवाने में अहम भूमिका भूपेश बघेल की रही।
2013 में जब पार्टी विधानसभा चुनाव हार गई तो पार्टी के सामने एकजुटता को बनाए रखना और फिर उसे अगले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार करना बड़ी चुनौती थी। पार्टी ने भरोसा आक्रामक भूपेश पर जताया। अक्टूबर 2014 में भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने। उन्होंने बिना संसाधनों के जूझ रही पार्टी को भाजपा के मुकाबले मेहनत और कड़े फैसले करके खड़ा किया। भूपेश बघेल ने अपने पांच साल में करीब 1 हज़ार किलोमीटर की यात्रा पैदल की। जबकि इसी दौरान वे करीब 2 लाख किलोमीटर अपनी गाड़ी से दौरे किए। भूपेश बघेल ने इस मिथक को चकनाचूर कर दिया कि अजीत जोगी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ज़रुरत हैं। क्या इत्तेफाक है जिस जोगी को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री बनाने में अहम भूमिका अदा की थी, उसी जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता भूपेश ने दिखाया। भूपेश अपने फैसलों से लगातार ये संदेश देते रहे कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं है।
5 साल में भूपेश बघेल ने अध्यक्ष होने के नाते पार्टी को उस जगह पर पहुंचा दिया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। भूपेश बघेल ने पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में तीन चौथाई की ऐतिहासिक जीत दर्ज कराई। इसके बाद जीत के नायक भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई।
मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल ने जिस तरीके से एक के बाद एक फैसले लिए उससे उनके विरोधी भी प्रशंसक बन गए। बघेल ने 6 महीने के कार्यकाल में किसानों का कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ का सबसे बड़ा चुनावी वादा पूरा कर दिया। उन्होने किसानों को धान का 2500 रुपये क्विंटल देने का वादा भी शुरु में ही पूरा कर दिया। आदिवासियों के लिए तेंदूपत्ता की दर 2500 से बढ़ाकर 4 हज़ार कर दिया। भूपेश बघेल को अभी मुख्यमंत्री बने सिर्फ 6 महीने हुए हैं लेकिन उनकी गिनती देश के सबसे बेहतरीन मुख्यमंत्रियों में होने लगी है।