राजस्थान में लोकतंत्र की सरेआम हत्या के प्रयास में भाजपा का खुला खेल 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने खेला था लोकतंत्र की हत्या का खूनी खेल

राजस्थान में लोकतंत्र की सरेआम हत्या के प्रयास में भाजपा का खुला खेल  2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने खेला था लोकतंत्र की हत्या का खूनी खेल
राजस्थान में लोकतंत्र की सरेआम हत्या के प्रयास में भाजपा का खुला खेल
 
2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने खेला था लोकतंत्र की हत्या का खूनी खेल
 
रायपुर/18 जुलाई 2020। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राजस्थान में लोकतंत्र की सरेआम हत्या के प्रयासों में भाजपा का खुला खेल जग-जाहिर तो हो ही गया था। आज भाजपा ने अपनी प्रेस वार्ता में स्वीकार भी लिया कि खरीद फरोख्त तो हुई है, लोकतंत्र की हत्या भी हुई है, संविधान को कुचला भी गया है, भाजपा को आपत्ति इस बात की है कि रिकॉर्डिंग क्यों हुई? उन्हें इस बात की शिकायत है कि जब यह सब हो रहा था तो उसकी रिकॉर्डिंग क्यों हो रही थी। यानी की चोर मान रहा है कि वह चोरी कर रहा है, मात्र यह जानना चाहता है कि जब वह चोरी कर रहा था तो वहां कैमरा क्यों लगा हुआ था। हत्या का आरोपी यह कहे कि जिस गवाह ने मुझे हत्या करते हुए देखा और पुलिस को सूचित किया, उसने मेरे कमरे में झांक कर मेरी निजता की स्वतंत्रता को भंग किया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भाजपा का चरित्र ही सत्तालोलुप्ता है। 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में झीरम घटी राजनीतिक षड़यंत्र हत्याकांड हुआ। अंतागढ़ उपचुनाव में रमन भाजपा चुनाव हारने के डर से उपचुनाव में खरीद फरोख्त की। निर्दलीय उम्मीदवारों की नाम वापस लेने डराया धमकाया गया। झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी। कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को होटल में नजरबंद करने की कोशिश तक की गयी। होटल की लाईट बंद कर दी गई। दरअसल भाजपा के चरित्र में ही लोकतंत्र के विपरीत कार्य कर सत्ता प्राप्त करना है। 
सवाल ये है कि कांग्रेस के किसी विधायक ने ये आरोप नहीं लगाया कि उनका फ़ोन टैप किया गया। आरोप कौन लगा रहा है? आरोप लगा रहा है भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता ! आरोप लगा रही है भाजपा की केंद्रीय इकाई ! ज़ाहिर है उन्हें भय है कि जाँच के बाद सारा षड्यंत्र सामने आएगा। और ऊपर के नेतृत्व से बहुत सारे तार जुड़े होने के प्रमाण सामने आएँगे इसलिए भाजपा अपने ऊपर लगे लोकतंत्र की हत्या के गंभीर आरोपों का जवाब देने के बजाय उल्टा आरोप लगा कर बचना चाह रही है।
आज यह स्पष्ट हो गया है कि चोर डरा भी हुआ है। चोर को यह भी पता है कि इस प्रकरण में न केवल एक केन्द्रीय मंत्री, बल्कि उस मंत्री के ऊपर के भी कई नेता फंसने वाले हैं। शुक्रवार रात और शनिवार को भाजपा को बेनकाब करते हुए कुछ तथाकथित ऑडीओ टेप सामने आए। तत्पश्चात कुछ लोगों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज हुआ एवं एसओजी की टीम मानेसर के उस होटल में पहुंची जहां मनोहर लाल खट्टर की पुलिस के कब्जे में कांग्रेस के कुछ विधायक बंद हैं।
इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जांच रोकने के लिए भाजपा खुलकर अपने सरकारी अमले का दुरूपयोग करते हुए मैदान में आ गई। कांग्रेस के उन विधायकों का वॉयस सैंपल नहीं लेने नहीं दिया गया, जिनकी आवाज़ इन तथाकथित आडियो टेप में सुनाई दे रही है। उन विधायकों के साथ-साथ बाकी विधायकों को भी पिछले दरवाज़े से निकाल कर गायब करवा दिया गया। यह भाजपा की तड़ीपार संस्कृति है।
आखिर क्या कारण है कि सचिन पायलट जी को राजस्थान पुलिस से ज्यादा भरोसा हरियाणा पुलिस पर है ? आखिर क्या कारण है कि एक तरफ तो आप अदालत में भी कह रहे हैं कि आप कांग्रेस में हैं, और दूसरी तरफ आप भाजपा के संरक्षण में हरियाणा में बैठे हैं ? आखिर क्या कारण है कि एक तरफ तो भाजपा संबंधित नामी-गिरामी वकील कोर्ट में साबित कर रहे हैं कि यह विधायक कांग्रेस में हैं, और दूसरी तरफ भाजपा के संरक्षण में वॉयस सैंपल देने से बचकर पिछले दरवाजे से निकल जाते हो ? सुनने में आया है कि अब इन विधायकों  को भाजपा शासित कर्नाटक में ले जाने के प्रयास हो रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि जिन विधायकों पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई, उन्हें क्यों भाजपा के संरक्षण में गायब करवा गया ?
राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को फोन टेप करना तो दूर, साधारण नागरिकों तक पर स्नूपिंग की गई आम नागरिको के फोन टेप करके उनकी निजता भंग की जा रही है। नीतीश कुमार जी ने ‘हैबिचुअल टेपर’ तक बीजेपी को कहा। ऐसे लोग जब पूछते हैं कि टेपिंग कैसे हुई, क्यों हुई, क्या हुआ? अरे भाजपा तो सत्ता में बने रहने और सत्ता हथियाने के लिए आज तक क्या करती आई है?
महाराष्ट्र हो, कर्नाटक हो, बंगाल हो, जहाँ ममता जी ने भी ये आरोप लगाए हैं कि उनके स्वयं फोन टेप हो रहे है। अनिल देशमुख जी ने भी, कईयों ने आरोप लगाए हैं, तो लगातार आरोप लगते आए हैं जिस पार्टी पर, वो आज शराफत में सामने आकर कह रही है कि फोन कैसे टेप होते हैं, रिकोर्डिंग कैसे आती है और ये कहने के चक्कर में गलती उनसे ऐसी हो गई कि आज  स्वयं स्वीकर कर लिया आज कि हां, चोरी भी कर ली, हत्या भी कल ली, पर आपको कैसे मालूम पड़ा? आपने जो टेपिंग की, जो भी रिकोर्डिंग आई है, ये किसने की है? ये कानूनी है या गैर कानूनी है? अरे जो आपने किया क्या वो कानूनी है? पहले तो उस पर जवाब दीजिए संबित पात्रा जी या जो भी उनके नेता प्रेस वार्ता में हैं? बड़ी रोचक और रहस्यमय बात ये है कि जिन विधायकों पर ये आरोप है, वो ये नहीं कह रहे हैं कि उनका फोन टेप हुआ है, कह कौन रहा है जो दिल्ली से भाजपा के प्रवक्ता। भाजपा के नेता घबराए हुए हैं। जैसा मैंने आपको कहा कि अभी तो एक केन्द्रीय मंत्री है, इनको डर है कि चोर की दाड़ी में तिनका तो होता ही है। अब इनको ये भय है कि ऊपर के भी लोग फंसेगे, जिन-जिनका इसमें योगदान रहा है, भूमिका रही है। जो घबराहट है, उस घबराहट से गलतियां होती हैं, गलतियां वो करने लगे हैं, सामने दिखनी लगी हैं।
आज से एक साल पहले राम माधव जी ने एक चैनल को इंट्रव्यू के वक्त कहा था कि भले हम चुनाव हार जाएं, हमारे पास अमित शाह हैं, बड़े गर्व से कहते हैं। ’ऑपरेशन लोट्स’ का नाम भी इन्होंने ही दिया था। तो जो पार्टी या जो समूह, मैं ये शब्द इस्तेमाल करना चाहूंगा, बेशर्मी से जो ये कहता है कि हां, मैं लोकतंत्र का हत्यारा हूं; हां, हमारे पास अमित शाह हैं, जो लोकतंत्र की हत्या करते हैं; ऑपरेशन लोट्स नए-नए नाम देते हैं और हैरानी की बात है कि ऐसे व्यक्ति को चाणक्य का दर्जा दे देते हैं। अब चाणक्य का अपमान इसी देश में होना था, पिछले 6 साल में, ये तो हैरानी की बात है। जिस व्यक्ति को गर्व है कि चुनाव हारने के बाद भी हारता नहीं है, क्योंकि वो पैसे खर्च करके, प्रलोभन देकर, डरा धमका कर, एजेंसियों का दुरुपयोग करके सत्ता पर किसी ना किसी तरह काबिज हो जाएगा और उस बात को सैलिब्रेट किया जाए, उस बात की तारीफ हो जाए। यह लोकतंत्र के लिये घातक है।

The News India 24

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