यहीं नहीं मंत्री जी ने ईएनसी के पद पर एक निलंबित अफसर को पहले बहाल किया और फिर सीधे उनकी पदस्थापना कर दी। उन्हें ईएनसी बनाते ही विभाग में हड़कंप मच गया। दरअसल छत्तीसगढ़ में इसके पूर्व ऐसी पदस्थापना शायद ही किसी और विभाग में हुई हो।अब एक बार फिर विभाग के एक सहायक यंत्री को लेकर मंत्री जी की दिलचस्पी चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जाता है कि राजनांदगांव में पदस्थ सहायक यंत्री रमेश शर्मा के खिलाफ EOW ने अदालत में चालान पेश कर दिया है। इसके बाद इस दागी अफसर को नियमानुसार निलंबित करने के बजाय उसे प्रभारी बनाने की कवायद जोरों पर है। इस संबंध में बताया जाता है कि हाईकोर्ट बिलासपुर छत्तीसगढ़ को गुमराह कर EOW में दर्ज प्रकरण के खात्मा करने की कवायद की गई थी। इस दौरान आरोपी रमेश शर्मा का निलंबन समाप्त कर उन्हें राजनांदगांव में सहायक अभियंता के पद पर पदस्थ किया गया। हकीकत सामने आने के बाद EOW ने अदालत में दोबारा चालान प्रस्तुत किया।
बताया जाता है कि वर्ष 2018 में EOW ने सहायक यंत्री रमेश शर्मा के ठिकानों पर दबिश दी थी। क़ानूनी दांवपेचों और तिकड़मों से कुछ दस्तावेज समय पर उपलब्ध नहीं हो सके। इसके उपरांत EWO ने 26 फरवरी 2020 को रायपुर में न्यायाधीश की अदालत में प्रकरण क्रमांक – 01/2020 पृथक चालान पेश किया गया। EOW ने विधिवत कार्रवाई के लिए आरोपी रमेश शर्मा के प्रकरण और चालान के जमा होने की सूचना पीएचई विभाग और उसके सचिव को भी भेजी गई। लेकिन यह पत्र रास्ते में कहां खो गया इसकी जानकारी किसी को नहीं है। उधर राजनांदगांव में पदस्थ सहायक यंत्री रमेश शर्मा को निलंबित करने के बजाय पुरुस्कृत कर प्रभारी ई बनाये जाने की चर्चाओं से सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ नीति पर चोट पहुँच रही है |
दरअसल भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अफसर के खिलाफ चालान पेश होने की सूरत में उसे निलंबित किये जाने का नियम है। लेकिन इस मामले में आखिर क्यों नरमी बरती जा रही है , यह लोगों की समझ से परे है। लोग यह भी जानकर हैरत में है कि आरोपी सहायक यंत्री के खिलाफ चालान पेश हुए कई महीने बीत गए इसके बावजूद मंत्री रूद्र कुमार गुरु ने निलंबन की कार्रवाई को रोके रखा। आखिर क्यों ? ये पब्लिक है सब जानती है। विभागीय कर्मियों को लगने लगा है कि दागियों के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं होने से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर हो रही है।