मंत्री रविन्द्र चौबे और मंत्री मोहम्मद अकबर की पत्रकार वार्ता में 180 महीनों तक जनता को ठगने वाले रमन सिंह 18 महीने की सरकार से सवाल कैसे पूछ सकते है?

मंत्री रविन्द्र चौबे और मंत्री मोहम्मद अकबर की पत्रकार वार्ता में  180 महीनों तक जनता को ठगने वाले रमन सिंह  18 महीने की सरकार से सवाल कैसे पूछ सकते है?

· ऐसा कोई सगा नहीं जिसे उन्होंने ठगा नहीं

· कमीशनखोरी को स्वीकार करने वाले पहले मुख्यमंत्री

· पहले नान और पनामा घोटालों का जवाब दें

· आत्ममंथन करें और रिटायरमेंट की चिंता करें

 

– संयोगवश मुख्यमंत्री बने रमन सिंह 180 महीनों तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने रहे.

– एक के बाद एक तीन बार उनकी पार्टी और सरकार की ओर से जनता से वादे किए गए और हर बार उन्हें भुला दिया गया.

– भारतीय जनता पार्टी के तीन घोषणा पत्रों को छत्तीसगढ़ के इतिहास में झूठ और फरेब के दस्तावेजों की तरह दर्ज कर लिया गया है.

– रमन सिंह के तीन कार्यकाल में हर बार किसानों से लेकर ग़रीब जनता तक हर किसी को ठगा गया.

– तीनों कार्यकाल ठगी, बेइमानी और लूट के कार्यकाल रहे.

– केंद्र की यूपीए सरकार की योजना का नाम बदलकर वे चाउंरवाले बाबा तो बन गए लेकिन धान पैदा करने वाले किसानों को बदहाल कर दिया.

– रमन सिंह के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ देश का सबसे ग़रीब राज्य बन गया.

– उनके ही कार्यकाल में राज्य सबसे अधिक झुग्गियों वाला राज्य बन गया.

– नक्सली उन्मूलन के नाम पर उन्होंने जो भी किया उससे नक्सलवाद का सबसे अधिक प्रचार प्रसार हुआ.

– किसानों ने सबसे अधिक आत्महत्या उनके कार्यकाल में की.

– प्रदेश महिलाओं के उत्पीड़न और शोषण के लिए बदनाम हुआ. प्रदेश में हॉस्टल में रहने वाली मासूम बच्चियों तक को नहीं बख़्शा गया.

– गाय के नाम पर वोट लेते रहे और उनकी पार्टी के लोग गौमांस से लेकर चमड़े तक के व्यापार के लिए गायों की हत्या करते रहे.

– एक ओर उन्होंने कथित रुप से सबसे अच्छे पीडीएस सिस्टम की वाहवाही लूटी और दूसरी ओर उसी की आड़ में 36,000 करोड़ का नान घोटाला किया.

– ग़रीब राज्य की जनता के पैसों से हेलिकॉप्टर ख़रीदी में भारी भरकम घोटाला किया.

– वे देश के पहले मुख्यमंत्री बने जिनके बेटे का नाम पनामा पेपर्स में आया.

– पहले तो वे झूठ बोलते रहे कि वे अभिषाक सिंह को नहीं जानते, फिर ये कलई भी खुल गई कि उनका बेटा अभिषेक सिंह ही अभिषाक सिंह था.

– केंद्र में मोदी की सरकार नहीं होती तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की तरह अभिषाक सिंह और उनके पिता रमन सिंह भी जेल में होते.

– बेटे तो बेटे दामाद पुनीत गुप्ता ने भी ग़रीबों के इलाज के लिए बने अस्पताल में करोड़ों का घोटाला किया.

– 2013 में जब सरकार जाती हुई दिख रही थी तो एक कथित नक्सली हमला झीरम घाटी में हुआ और कांग्रेस नेताओं की पूरी एक पीढ़ी ख़त्म हो गई.

– झीरम नरसंहार के षडयंत्र की जांच नहीं होने दी गई. पता नहीं रमन सिंह किसे बचाने में लगे रहे.

भाजपा के घोषणा पत्रों में किए गए वादों का सच

2003 में भाजपा का घोषणा पत्र

1. किसानों के उनके उपज का सही मूल्य किसानों का धान पूरा खरीदा जाएगा एवं उन्हे बेचने एवं भुगतान प्राप्ति हेतु सोसायटी एवं दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.

सच: किसानों से सिर्फ़ धान ख़रीदा गया और उसका सही मूल्य कभी निर्धारित किया गया. किसान की परेशानी लगातार बढ़ती रही.

2. प्राकृतिक आपदा की चपेट में आने वाले किसानों को उचित राशि ऋण तकाबी आदि की सहूलियत देने हेतु शीघ्र किसान नीति घोषित की जायेगी। सरकार के मापदंडों का तत्काल क्रियान्वयन।

सच: प्रदेश में किसान नीति कभी बनी ही नहीं. नतीजा यह रहा कि किसान लगातार आत्महत्या करते रहे. एक समय तो ऐसा आया कि प्रदेश किसानों के सबसे अधिक आत्महत्या करने वाले प्रदेशों में शुमार हो गया.

3. गोवध पर होगा पूर्ण प्रतिबंध- पशुधन का होगा संवर्धन, गौ वंश की रक्षा एवं इसकी नस्ल के सुधार के लिए उपबन्ध।

सच: गाय के नाम पर सिर्फ़ वोट लेते रहे। गोवध पर पूर्ण प्रतिबंध की कभी बात नहीं की और न कभी गोवंश की सुध ली। उल्टे गौशालाओं के नाम से भाजपा के लोगों को करोड़ों बांट दिए गए और भाजपा के लोग गौशालाओं में गायों की हत्या करते रहे. उन्होंने गौ माताओं की हत्या की और मांस, हड्डी और चमड़े का व्यापार करते रहे.

4. एक गांव एक प्रहरी योजना के अंतर्गत प्रत्येक गांव के यानि 20,000 गांव में एक युवक या युवती को राज्य सरकार प्रहरी बनाएगी। यानि बीस हजार लोगों को रोजगार।

सच: घोषणा पत्र के बाद यह शब्द ही किसी ने नहीं सुना. उनकी नियुक्ति की बात तो दूर की बात है.

5. कृषि कार्य हेतु 20 घंटे बिजली देने का प्रयास।

सच: किसानों को कभी पूरी बिजली नहीं मिली. उल्टे वे भारी भरकम बिल झेलते रहे.

6. प्रत्येक आदिवासी परिवार को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय देने का वादा।

सच: गाय तो किसी को नहीं मिली. एक एक सांड ज़रूर गांवों में दिए गए लेकिन उस सांड ने गांवों में ऐसी दहशत मचाई कि गांव के लोग उसे ‘रमन सांड’ कहने लगे.

2008 में भाजपा का घोषणा पत्र

1. किसानों के धान पर राज्य सरकार की ओर से 270 रू. प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया जायेगा।

सच: किसानों को बोनस पूरा मिला ही नहीं. स्थिति यह थी कि दूसरा कार्यकाल ख़त्म होने तक किसानों का 3880 करोड़ रुपयों का बोनस बकाया था जो कभी मिला नहीं. जो कुछ मिला वह केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की वजह से हुआ.

2. किसानों को 5 हार्स पावर तक पंपो के बिजली मुफ्त देंगे।

सच: किसानों को कभी पूरी बिजली मुफ़्त नहीं मिली. उलझाने वाले नियम कायदे बनाकर किसानों को ठगा गया.

3. किसानों को ब्याज मुक्त ऋण देंगे।

सच: ब्याज मुक्त ऋण के नाम पर किसानों के साथ ठगी के अलावा कुछ नहीं हुआ. किसानों को ब्याज मुक्त ऋण नहीं मिला.

4. पलायन मुक्त छत्तीसगढ़ बनाएंगे। गांव में रोजगार के वैकल्पित साधन उपलब्ध कराते हुये पारंपरिक शिल्प एवं व्यवसाय को प्रोत्साहन देकर स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करना।

सच: छत्तीसगढ़ से पलायन का सिलसिला लगातार बढ़ता रहा. इसके आंकड़े कभी नहीं आए. अब लॉक डाउन के बाद जब मज़दूर लौटे तब पता चला कि पांच लाख से अधिक किसान देश के कोने कोने में अभी भी काम की तलाश में जाते हैं.

5. गांवो में गोचारण, स्कूल, खेल मैदान, शमशान घाट अन्य उपयोगों के लिए भूमि सुरक्षित रखने का प्रावधान। गौ वंश की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान एवं सतर्कता।

सच: न खेल के मैदान की ज़मीन सुरक्षित हुई और न गोचारण के लिए. उल्टे स्टेडियम बनाने के नाम पर प्रदेश भर में करोड़ों के घोटाले हुए.

6. आदिवासियों के जमीनों की खरीद-बिक्री तथा अवैध कब्जों के मामले में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाया जायेगा।

सच: आदिवासियों की ज़मीन बचाने की जगह उनकी ज़मीन उद्योग बनाने के नाम पर जबरिया हथिया ली गई. लोहांडीगुडा में जो 1700 हेक्टेयर ज़मीन भूपेश सरकार ने आदिवासियों को लौटाई है वह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

2013 में भाजपा का घोषणा पत्र

1. धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2100 प्रति क्विंटल किये जाने की पहल।

सच: किसानों को कभी समर्थन मूल्य 2100 रुपए नहीं मिला. घोषणा पत्र में लिखने के बाद रमन सिंह ने कभी इसका ज़िक्र तक नहीं किया.

2. किसानों के एक-एक दाना धान की खरीदी।

सच: सरकार बनते ही दाना दाना खरीदने का वादा करने वाली रमन सरकार ने प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान ख़रीदने की घोषणा की. कांग्रेस ने किसानों के साथ मिलकर आंदोलन किया तब जाकर इसे प्रति एकड़ 15 क्विंटल किया गया.

3. धान 300 रूपये प्रति क्विंटल बोनस अगले 5 साल तक।

सच: एक साल तो बोनस मिला क्योंकि उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी. 2014 में जैसे ही केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी केंद्र ने बोनस न देने के निर्देश जारी कर दिए कि किसानों को बोनस न दिया जाए. रमन सिंह एक चिट्ठी लिखकर चुप बैठ गए. जब चुनाव का समय आया तो इस नियम को छत्तीसगढ़ के लिए बदला गया. दो बार फिर बोनस मिला और फिर नरेंद्र मोदी सरकार ने इस पर रोक लगा दी. न रमन सिंह कुछ बोले और न छत्तीसगढ़ से चुनकर गए भाजपा के सांसद कुछ बोले.

4. किसानों को किसानी हेतु ब्याज मुक्त ऋण।

सच: जो वादा 2008 के घोषणा पत्र में था, वह पूरा नहीं कर पाए तो अगले साल फिर वादा कर दिया.

5. किसानों को 5 हार्स पावर तक बिजली मुफ्त।

सच: यही वादा 2008 में भी किया था. अब लागू किया तो 6000 यूनिट तक की सीमा तय कर दी गई और किसानों को मनमाना बिल भेजा गया.

6. कृषकों के लिए फसल बीमा गारंटी योजना।

सच: किसानों से फसल बीमा के नाम पर पैसे वसूले गए और फायदा हुआ बीमा कंपनियों को. मुआवज़े के नाम पर किसानों को चंद रुपयों के चेक तक दिए गए.

ठगी, घोटालों और कमीशनखोरी के बोझ से डूबी सरकार

1. करोड़ों का नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाला :- राज्य सरकार के संरक्षण में नागरिक आपूर्ति निगम में 36 हजार करोड़ रूपए का आर्थिक भ्रष्टाचार व घोटाला किया गया। करोड़ों रूपए एसीबी ने जब्त किए। एसीबी द्वारा जब्त डायरी में ‘सीएम मैडम’ सहित प्रमुख मंत्रियों, नेताओं के नाम थे। घोटाले का पैसा नागपुर और लखनऊ तक गया किन्तु कोई जांच नहीं की गई।

2. अगुस्टा हेलिकॉप्टर घोटाला:- रमन सिंह सरकार ने अगुस्टा हेलिकॉप्टर ख़रीदने के लिए बड़े गड़बड़झाले किए. पहले ग़लत टेंडर निकाला. फिर तय दाम से बहुत अधिक क़ीमत चुकाते हुए सेकेंडहैंड हेलिकॉप्टर खरीदा. इसकी कमीशनखोरी के लिए कई फ़र्ज़ी कंपनियां बनीं. और इस सबमें पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की भागीदारी दिखी. इस घोटाले की जांच भी नहीं करवाई गई. उल्टे सुप्रीम कोर्ट तक में जांच का विरोध किया गया.

3. पनामा पेपर्स में रमन सिंह के घर का पता :- पत्रकारों की एक टीम ने दुनिया भर में घोटालों का भंडाफोड़ करते हुए जब ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में बेनामी खातों की सूची जारी की तो उसमें एक नाम छत्तीसगढ़ के कवर्धा ज़िले के अभिषाक सिंह का था. जिसमें उसका पता, रमन मेडिकल स्टोर, विंध्यवासिनी वार्ड, कवर्धा दर्ज था. पहले तो रमन सिंह इनकार करते रहे कि वे अभिषाक सिंह को नहीं जानते. फिर जब कांग्रेस ने सबूत पेश कर दिए कि यह अभिषाक सिंह उनका बेटा अभिषेक सिंह ही है तो वे चुप्पी साधे बैठ गए.

रमन सिंह जी को बताना चाहिए कि उनके पते पर उनके बेटे के नाम से यदि विदेश में कालाधन जमा किया गया है तो वह किसका पैसा है और कहां से आया है. अगर वह उनके बेटे का पैसा नहीं है तो इसके ख़िलाफ़ उन्होंने रिपोर्ट क्यों नहीं लिखवाई? और अगर वह उनका बेटा ही है जिसने कालाधन जमा किया तो वे क्या प्रदेश की जनता से माफ़ी मांगेंगे?

4. किसान आत्महत्या करने को मजबूर :- छत्तीसगढ़ धान का कटोरा था, लेकिन रमन सिंह सरकार ने किसानों के हाथ में कटोरा पकड़ा दिया है। रमन सरकार के 15 वर्षों में राज्य में हज़ारों किसानों ने आत्महत्या कर ली। प्रति वर्ष के आंकड़े देखें तो हर दिन तीन से ज़्यादा किसान आत्महत्या कर रहे थे. सरकार के जिम्मेदार मंत्री कहते रहे कि किसान शराबी हैं जिसके कारण वे आत्महत्या कर रहे हैं। इससे अधिक अपमान किसान का क्या हो सकता था.

5. कृषि यंत्रों की सब्सिडी में लाखों का घोटाला :- कृषि विभाग में किसानों को मिलने वाली सब्सिडी में विभागीय अधिकारियों एवं पंजीकृत डीलरों द्वारा मिलीभगत कर सब्सिडी राशि की जमकर बंदरबांट की गई। शासन द्वारा कृषि उपकरणों पर अनुदान लघु सीमांत कृषकों के लिए 50 प्रतिशत एवं बड़े किसानों के लिए 40 प्रतिशत तय किया गया था, किन्तु कृषि अधिकारियों एवं उपकरण विक्रताओं की सांठगांठ से किसानों की अनुदान राशि को डकार लिया गया।

6. शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी का परीक्षा फर्जीवाड़ा :- रमन सरकार के संरक्षण में व्याप्त फर्जीवाड़े के कारण प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा एवं अविश्वसनीयता लगातार बढ़ती रही। प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी द्वारा अपने राजनैतिक प्रभाव का दुरूपयोग कर विश्वविद्यालयीन परीक्षा के दौरान खुलेआम फर्जीवाड़ा कर अपने स्थान पर दूसरे को परीक्षा में बैठाने से छत्तीसगढ़ की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली संदेह के दायरे में आ गई. जिन लोगों ने इसकी शिकायत की उनको तरह तरह से प्रताड़ित किया गया।

7. कमीशनखोरी पर रमन सिंह की स्वीकारोक्ति :- छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। इस सरकार के घोटालों की लंबी फेहरिस्त है। रायगढ़ में भाजपा कार्यसमिति की बैठक में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा सार्वजनिक मंच से भाजपा नेताओं, मंत्रीगणों को कमीशनखोरी से बाज आने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा था, “कमीशन 1 साल बंद कर दो, 30 साल नहीं हिलेगी सरकार”. पूर्व मुख्यमंत्री जी का यह बयान कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति थी और स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए माना था कि उनकी सरकार कमीशनखोर और भ्रष्ट है.

8. दस हजार करोड़ का चिटफंड घोटाला :- सत्तापक्ष के लोग एवं उनके परिवार के संरक्षण में चिटफंड कंपनी के कार्यालय खोले गये। बकायदा जिले के कलेक्टरों के द्वारा प्लेसमेंट के तहत चिटफंड कंपनियों में राज्य के बेरोजगारों को नौकरी दिलाई गई। पुलिस कंपनियों के डायरेक्टरों को गिरफ्तार ना कर राज्य के गरीब बेरोजगारों के विरूद्ध अपराध दर्ज कर जेल भेजा गया। इस घोटाले में मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह के ख़िलाफ़ भी अपराध दर्ज हुये हैं.

9. बारदाना खरीदी में घोटाला :- प्रदेश में प्रतिवर्ष धान खरीदी हेतु बारदानों की जरूरत के अनुसार 1 हजार करोड़ रूपयों से अधिक के बारदाने खरीदे गए जो कि अमानक स्तर के थे। बारदाना खरीदी में जमकर घोटाला किया गया।

10. रतनजोत घोटाला :- रमन सरकार ने नारा दिया था “डीजल नहीं अब खाड़ी से, डीजल मिलेगा बाड़ी से” इस नारे के साथ पूरे प्रदेश में लोगों को सब्जबाग दिखा कर रतनजोत के पौधों का रोपण किया गया और लगभग 200 करोड़ रूपयों की राशि खर्च की गई। रमन सिंह कुछ दिनों तक एक कार में कथित रूप से बायो डीज़ल डलवाकर घूमने का नाटक करते रहे और प्रचार पाते रहे. लेकिन अंत में निकला यह भी घोटाला।

11. इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला :- इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक बैंक के घोटाले में 25 हजार 716 खाता धारकों के 54 करोड़ 38 लाख रूपए का गबन किया गया। मुख्य आरोपी उमेश सिन्हा ने नार्कों टेस्ट में मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, सहकारिता मंत्री एवं राजधानी के दो मंत्री को एक एक करोड़ देने की बात बताई थी,लेकिन रिपोर्ट को कोर्ट में पेश नहीं किया गया और मामले को दबा दिया गया।

12. झलियामारी दुष्कर्म कांड प्रदेश के माथे पर कलंक :- भाजपा राज में झलियामारी सरकारी आश्रम में 7 ये 13 साल की मासूम बच्चियों के साथ लगातार महिनों दुष्कर्म होता रहा। लोगों ने बड़े भरोसे के साथ अपनी अबोध बच्चियों को सरकारी आश्रमों में भेजा था लेकिन भाजपा सरकार ने इन अभिभावकों के भरोसे को तोड़ा झलियामारी के बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया। आमाबेड़ा, बीजापुर, दंतेवाड़ा के सरकारी कन्या आश्रमों में इस प्रकार की घृणित घटनाओं का दोहराव होते रहा। सरकार बेशर्मीपूर्वक मौन बैठी रही।

13. नक्सली बढ़ते रहे और आदिवासी प्रताड़ित होते रहे :- जब रमन सरकार बनी तो चुनिंदा ज़िले ही नक्सली समस्या से पीड़ित थे. उनके कार्यकाल में प्रभावित ज़िलों की संख्या बढ़कर 16 तक पहुंच गई. नक्सली हिंसा से निपटने के नाम पर मीना खल्को से लेकर मड़कम हिड़में तक सैकड़ों महिलाओं के साथ बलात्कार हुए और उनकी हत्या कर दी गई. आदिवासियों को फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारा गया. उनके गांव सुरक्षाकर्मियों ने जला दिए गए. उन्हें बिना सबूत पकड़कर जेलों में ठूंस दिया गया. अकेले बस्तर में 700 गांव खाली करवा दिए गए.

14. नसबंदी कांड :- शासकीय लक्ष्य को पूरा करने सुविधाविहिन स्थान पर आपरेशन करने, जहरीली दवा की सप्लाई, इलाज में लापरवाही के कारण बिलासपुर जिले के पेंडारी में नसबंदी शिविर में 19 से भी ज्यादा महिलाओं की मौतें हुई। जांच में पाया गया था कि सरकार के द्वारा जो दवाईयां उपलब्घ कराई गई है वह अमानक थी जिसके कारण मौत हुई।

15. आंखफोडवा कांड :- प्रदेश के बालोद एवं महासमुंद सहित कई जिलों में शासकीय नेत्र शिविर में आंखों की रोशनी चली गई. इससे स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का साक्षात प्रमाण मिला। घटिया दवाई एवं सुविधाविहन स्थानों में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश का उल्लंघन कर नेत्र शिविर का आयोजन किए गये थे.

16. गर्भाशय कांड :- प्रदेश में महिलाओं को कैंसर का भय दिखाकर गर्भाशय निकालने का शर्मनाक कांड उजागर हुआ था। सरकार के संरक्षण में राज्य के विभिन्न नर्सिंग होम में सात हजार से ज्यादा आपरेशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत किए गए। इसके लिए शासन के माध्यम से इंश्योरेंश कंपनी ने 7 करोड़ 75 लाख का भुगतान किया गया,जिसमें से 70 फीसदी केवल गर्भाशय की सर्जरी के लिए दिया गया। पैसा कमाने के चक्कर में डाक्टरों ने 28 से 30 साल की महिलाओं का भी आपरेशन कर डाला।

आत्ममंथन कर रिटायरमेंट की चिंता करें रमन सिंह

कांग्रेस ने जो आरोप लगाए हैं उसके पुख़्ता सबूत हैं. केंद्र में मोदी सरकार की आड़ में वे थोड़े समय के लिए तो कुछ मामलों में बच सकते हैं लेकिन अदालतों से उनका बचना कठिन है. रमन सिंह और उनका पूरा कुनबा सज़ा भुगतने के लिए तैयार रहे.

छत्तीसगढ़ की जनता ने 2018 में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए भारतीय जनता पार्टी को 14 सीटों पर समेट दिया है. यह समय है कि राज्य में और अपनी पार्टी में हाशिए पर धकेल दिए गए रमन सिंह आत्ममंथन करें और अपने रिटायरमेंट की चिंता करें. 180 महीनों तक घपले, घोटाले और कमीशनखोरी करने वाली सरकार की मुखिया को किसानों की हाय लगी है. इससे उबर पाने के लिए उन्हें और भाजपा को अभी कई- कई दशक लगेंगे।

 

The News India 24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *