कैट द्वारा 10 जून से चलाए जा रहे चीनी सामान के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान “ भारतीय सामान – हमारा अभिमान “
रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा गत 10 जून से चलाए जा रहे चीनी सामान के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान “ भारतीय सामान – हमारा अभिमान “ में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में कैट के आवाहन पर किसान,ट्रांसपोर्ट,लघु उद्धयोग, उपभोक्ता आदि के राष्ट्रीय संगठनों ने चीनी सामान के बहिष्कार का प्रबल समर्थन करते हुए एकजुट् होकर देश भर में इस अभियान को तेजी से आगे बड़ाने के संकल्प की घोषणा कर इस अभियान में सभी संगठन सहयोगी दृष्टिकोण से आक्रामक रूप से एक तरफ चीनी उत्पादों के बहिष्कार और दूसरी तरफ आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भारतीय सामानों के उत्पादन को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करेंगे और देश के उपभोक्ताओं को चीनी सामानों के बजाय भारतीय वस्तुओं का उपयोग करने के लिए जागरूक करने के लिए सभी कदम उठाएँगे।
कैट के साथ इस अभियान में जुड़ने वाले महत्वपूर्ण संगठनों में इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन, राष्ट्रीय किसान मंच, कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन, ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज, एमएसएम ईडेवलपमेंट फोरम, ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया कॉस्मेटिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ,नॉर्थ ईस्ट डेवलपमेंट फोरम , वुमन एंटरप्रीनियोर एसोसिएशन ऑफ इंडिया आदि शामिल हैं।
इन सभी संगठनों ने संयुक्त रूप से एक मंच के रूप में और अपने स्वयं के क्षेत्रों में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान का समर्थन और नेतृत्व करने का निर्णय लिया है। विभिन्न वर्गों के नेताओं ने सर्वसम्मति से कहा कि चीन को जवाब देने के लिए स्थानीय संसाधनों के विकास को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। एक स्वर में इसके प्रति प्रतिबद्दता जाहिर करते हुए सभी ने कहा की चीनी वस्तुओं के बहिष्कार और भारतीय वस्तुओं के उपयोग को हम इसे करने और भारत में यह बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी क्रम को आगे बड़ाते हुए कैट देश भर में अन्य सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों, बुद्दजीवियों के समूह आदि को भी इस अभियान से जोड़ेगा।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों ने एक साथ हाथ मिलाया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत किसी भी तरह चीन पर निर्भर न रहे और स्वयं प्रतिस्पर्धी मूल्य पर गुणवत्ता के सामान के उत्पादन में निर्भर है। देश में पर्याप्त भूमि और कामगार संसाधन, और प्रौद्योगिकी है, जिसका उपयोग अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घकालिक रणनीतिक नीति के तहत किया जाना चाहिए।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों ने चीनी सामान के बहिष्कार के लिए एक साथ हाथ मिलाया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत किसी भी तरह से चीन पर निर्भर न रहे और अपने बाल पर ही देश में प्रतिस्पर्धी मूल्य पर गुणवत्ता के सामान के उत्पादन में निर्भर ही सके । देश में पर्याप्त भूमि और कामगार संसाधन तथा प्रौद्योगिकी बहुतायत में है जिसका उपयोग देश में भारतीय वस्तुओं के उत्पादन के लिए एक अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घकालिक रणनीतिक नीति के तहत काम किया जाना जरूरी है और कैट इस मुद्दे पर जहां व्यापार एवं उधयोग को प्रेरित करेगा वहीं दूसरी ऑर सरकार से भी आवश्यक सहूलियतें प्रदान करने का आग्रह करेगा।
एक मिथक कि भारत मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है को तोड़ते हुए इंड़ीयन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रू ने कहा कि पिछले 6 वर्षों के दौरान मोबाइल हैंडसेट निर्माण में तेजी से वृद्धि हुई है। 2014-19 के दौरान मोबाइल निर्माण में 1100 प्रतिशत की वृद्धि और 2016-19 के दौरान निर्यात में 3000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मोबाइल फोन और अन्य उपकरण के निर्माण में असाधारण विकास हुआ है। 2014 में मात्र 2 विनिर्माण इकाइयों से आज इस खंड में 200 से अधिक विनिर्माण इकाइयां चल रही हैं और 7 लाख से अधिक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार दिया गया है। 2014 में 78ः जहां आयातित होते थे वो वर्ष 2019-20 में केवल 3 प्रतिशत ही रह गया है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स में जिसमें आईटी हार्डवेयर, कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों के मुख्य घटक, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, फाइबर ऑप्टिक्स, प्वज् प्रोडक्ट्स आदि निकट भविष्य में दिखाई देंगे।
राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश सिरोही ने चीनी के उत्पादों का बहिष्कार करने के आह्वान का समर्थन करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए, भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संवर्धित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत भूमि पूर्ण रूप से कृषि संसाधनों से समृद्ध है क्योंकि भारत के कुल 32.87 करोड़ हेक्टेयर भूमि में से लगभग 56ः भूमि कृषि के लिए अच्छी है जो विश्व में सबसे बड़ा भू- भाग है।
पूरे विश्व में 64 प्रकार की मिट्टी हैं जिसमें से भारत में 46 प्रकार की मिट्टी उपलब्ध हैं, जबकि दूसरी ओर भारत में बारिश हर साल लगभग 4000 बिलियन क्यूबिक मीटर दर्ज की जाती है और भारत में 445 नदियाँ हैं जिनकी संचयी लंबाई लगभग 2 लाख किलोमीटर है, सभी छह मौसम भारत में मौजूद है और इसलिए भारत में अन्य कृषि संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन विभिन्न प्रकार के सामानों के उत्पादन के लिए ऐसे संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने की अधिक आवश्यकता है और जिससे चीन पर काफी हद तक निर्भरता बनी हुई है। भारत चीन के मुकाबले कुछ भी बना सकता है।
ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने कहा कि चीन ने तो एक अच्छा पड़ोसी है और न ही एक अच्छा व्यापार देश है। उन्होंने कोरोना वायरस की तरह भारतीय व्यापार प्रणाली में प्रवेश किया है। अब समय आ गया है कि जब चीन को हमारे सिस्टम से पूरी तरह से बाहर निकाल दें। देश का परिवहन उद्योग इस अभियान को सभी तरह से समर्थन देगा और ट्रकों को चलाने में उपयोग किए जाने वाले सभी चीनी दामनों का बहिष्कार करेगा ।हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ट्रकों के निर्माता भी स्वदेशी स्रोतों से आगे बढ़ें। उपभोक्ता ऑनलाइन फाउंडेशन के संस्थापक और भारत में उपभोक्ता आंदोलन के अग्रणी
नेता ने बिजोन मिश्रा ने कहा कि “भारतीय उपभोक्ता अब चीनी उत्पादों और सेवाओं की खरीद नहीं करेंगे। चीनी वस्तुएँ न केवल माणकों पर खरी नहीं उतरती बल्कि असुरक्षित भी हैं। हम उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं को भारतीयों द्वारा निर्मित और वितरित करना चाहते हैं, भले ही इसके लिए हमें ज्यादा कीमत ही क्यों न देनी पड़े। हमें विश्वास है कि हमारा व्यावसायिक समुदाय चीन उत्पादों के बहिष्कार का समर्थन करते हुए केवल गुणवत्ता वाली वस्तुएँ वाजिब कीमतों पर उपलब्ध कराएगा।
स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक दीपक शर्मा ने कहा की भारत को अपनी शक्ति को पहचानना होगा और कोरोना से उपजी आपदा को एक सुनहरी अवसर में विकास के लिए कृषि को विकास का आधार बनाकर विकास का केन्द्र गाँव को बनाकर किया जा सकता है। कृषि, मवेशी, जिले के प्राकृतिक संसाधन, शहरों से लौटे स्किल्ड नागरिक इन सबका सही नियोजन जैविक उत्पाद, प्रसंस्करण इकाइयाँ के द्वारा विश्व के 400 करोड़ नागरिकों को जैविक उत्पाद उपलब्ध करवाया जा सकता है व प्राकृतिक संसाधन उद्योग के द्वारा भारत को समृद्ध बनाया जा सकता है। आने वाले समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ही उज्जवल भविष्य है। इसको ध्यान में रखते हुए “स्वदेशी स्वावलम्बन अभियान” देश भर में चलाया गया है। सर्व समाज के साथ मिलकर इसमें सफलता प्राप्त होगी ऐसा विश्वास है और पूर्ण रूप से हम चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर पाने में सफल होंगे।
इंटरनेशनल सोसायटी फोर स्मॉल एंड मीडीयम एंटर्प्रायज के महामंत्री सुनील शर्मा ने कहा की चीन और हांगकांग पर हमारी आयात निर्भरता को कम करने के लिए कुछ छोटी-लंबी योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता है। वियतनाम, जापान, कोरिया, मैक्सिको, अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों जैसे देशों से कच्चे माल और कुछ महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक, वाहन और दवा बनाने के लिए वैकल्पिक आयात स्रोतों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और बिक्री मूल्य को नियंत्रित करने के लिए तैयार माल के आयात पर उच्चतम दर और कच्चे माल पर कम कर लगाया जाना चाहिए। साथ ही, पटाखे जैसे अधिकांश श्रम-गहन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा जीएसटी दर को कम किया जाना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को सार्वजनिक अधिप्राप्ति (मेक इन इंडिया के लिए ऑर्डर), 2017 का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए।