त्रिवेदी ने जीरम की साजिशों को लेकर लगाई सरोज से सवालों की झड़ी
महिलायें तो ममता की मूर्ति होती है
सरोज पांडेय ने एक महिला होने के बावजूद कभी जीरम घाटी के शहीदों के परिवारजनों की पीड़ा क्यों नहीं समझा?
रायपुर/25 जून 2020। भाजपा नेता सरोज पांडे ने जीरम घाटी मामले में बयान पर दुख और पीड़ा व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि महिलायें तो ममता की मूर्ति होती है, सरोज पांडे एक महिला होने के बावजूद कभी जीरम के शहीदों के परिवारजनों की पीड़ा को क्यों नहीं समझा? सरोज पांडे जी के केन्द्र सरकार में बड़े पदों में बैठे लोगों से अच्छे संबंध है। सरोज पांडे ने छत्तीसगढ़ की बड़ी नेता होने के बावजूद कभी भी जीरम के आपराधिक राजनैतिक षड़यंत्र की जांच के लिये प्रयास क्यों नहीं किया? जीरम पर बयान देने के बाद सरोज पांडेय जी को पूरी जिम्मेदारी से बताना चाहिये कि आत्मसमर्पित माओवादी नेता गुंडाधुर से एनआईए ने जीरम की साजिश पर पूछताछ क्यों नहीं की? एनआईए ने जीरम के आपराधिक राजनैतिक षड़यंत्र की जांच क्यों नहीं की? रमन्ना और गणपति के नाम एनआईए की पहली चार्जशीट में थे, फाइनल चार्जशीट में क्यों और किसके कहने पर हटा दिये गये? देश के सबसे बड़े और घातक नक्सली हमले में नक्सलियों के शीर्ष नेताओं को बरी कर दिया गया और दंडकारण्य अंचल के नक्सली नेताओं को ही आरोपी बनाया गया जबकि कोई भी साजिश शीर्ष नेताओं की सहमति, अनुमति और भागीदारी के बिना संभव ही नहीं होती। साजिश करने वालों की जांच, गिरफ्तारी और पूछताछ के बजाय उनके नाम हटाकर केन्द्र सरकार की एजेंसी एनआईए ने क्या संदेश दिया है। गूढ़ राजनीति को समझने वाली और करने वाली सरोज पांडे जी इन बातों को नहीं समझती, ऐसी बात नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि क्या सरोज पांडे जीरम की साजिश के सबूत एनआईए को इसलिये सौपवाना चाहती है कि इन सबूतों को भी रमन्ना और गणपति के खिलाफ पहले मिले सबूतों की ही तरह खत्म किया जा सके। 2013 में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा और भाजपा की विकास यात्रा को धमकी देने वाली माओवादी विज्ञप्ति गुड़सा उसेन्डी ने ही जारी की थी। शीर्ष नक्सली नेताओं में एक गुड़सा उसेन्डी के आत्मसमर्पण के बाद से एनआईए ने कभी भी गुड़सा उसेन्डी से जीरम की साजिश के बारे में पूछताछ क्यों नहीं की? छत्तीसगढ़ विधानसभा में जीरम मामले की सीबीआई जांच की घोषणा के केन्द्र सरकार ने सीबीआई जांच नहीं कराने की सूचना राज्य सरकार को पत्र लिखकर 3 दिसंबर 2016 को दे दी थी। इसके बाद रमन सिंह सरकार दो साल तक दिसंबर 2018 तक सत्ता में रही लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा सीबीआई जांच नहीं कराने का फैसला और दूसरी सूचना देने वाले पत्र को जीरम के शहीदों के परिजनों, छत्तीसगढ़ की आम जनता और मीडिया तक से क्यों छुपाकर रखा? यहां तक कि जिसकी मांग पर जांच की घोषणा रमन सिंह सरकार ने विधानसभा के पटल में की थी, उस विपक्षी दल कांग्रेस से भी इस जानकारी को क्यों छिपाया गया?