खनिजों का अत्यधिक दोहन जमा पूंजी खर्च करने के समान हैःबिस्सा

खनिजों का अत्यधिक दोहन जमा पूंजी खर्च करने के समान हैःबिस्सा

रायपुर/02 जून 2020। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने बताया की श्री नरेंद्र मोदी जी ने सीआईआई को लाइव संबोधित करते हुए कहा की खनिज संसाधनों विशेषकर कोयले को खुलेआम पूरे विश्व में बेचा जा सकेगा, किसानों को सरकार की ओर देखने की जरुरत नहीं है वह अपने उत्पाद कहीं भी बेच सकेंगे तथा आत्मनिर्भर बनो।

बिस्सा ने कहा की केंद्र सरकार को यह समझ नहीं आ रहा की खनिज संपदा को बेचकर क्षणिक जीडीपी तो बढ़ाई जा सकती है लेकिन यह घर फूंक कर तमाशा देखने जैसा ही होगा।

खनिज संपदा लाखों करोड़ों वर्ष में बनकर तैयार होती है। यह हमारी धरोहर है। देश के कुल कोयला भंडारण का 17.91% छत्तीसगढ़ में है। जो लगभग 54912 मिलियन टन होता है। आज जिस गति से कोयले का उपयोग हो रहा है उसी को मापदंड माने तो आने वाले चार पांच दशकों में हम पूरा कोयला खोद चुके होंगे। क्या यह कदम दूर दृष्टि भरा रहेगा, इस दिशा में सोचने की जरूरत है।

बिस्सा ने बताया की छत्तीसगढ़ के पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय श्री रामचंद्र सिंहदेव जी कहा करते थे कि खनिज भंडार हमारी संपत्ति है। उसका उतना ही दोहन होना चाहिए जितना कि हम अपने उत्पादन में कर सकते हैं। क्योंकि खनिज संसाधनों का मनमाना दोहन कर उसे खत्म कर दिया तो आने वाले समय में हमारे पास सिर्फ और सिर्फ लाचारी बचेगी।

बिस्सा कहा की ने इस देश के अर्थशास्त्रीयों, जागरुक व समझदार लोगों को इस विषय पर अपनी नाराजगी जरुर व्यक्त करना चाहिये। खनिज संपदा बैंक में जमा एफडी की तरह होती है जो हमारे लिये भविष्य के उद्योगों, रोजगार के साधनों में उपयोगी होगी। उसे ऐसे ही नहीं बेचा जा सकता।

बिस्सा ने कहा की श्री मोदी जी भाषण का दूसरा बिंदु था किसान अपनी उपज कहीं भी कभी भी बेच सकेंगे। सुनने में तो यह बहुत अच्छा लगता है। लेकिन ये इस बात का घोतक भी हो सकता है कि वे भविष्य में सरकार द्वारा किसानों से निश्चित मूल्य पर सीधी खरीदी को ही हाशिए पर डाल दिया जाये। अगर ऐसा हुआ तो किसान मुश्किल में पड़ जायेगा। अभी सरकारें समर्थन मूल्य पर जो कृषि उपज खरीदती है उसके पीछे कारण यही रहता है कि किसानों की मजबूरियों का गलत लाभ कहीं बिचौलिए व दलाल ना उठा लें, तथा मुनाफाखोर हावी ना हो जाए। जिसका दुष्परिणाम अंततः किसान व देशवासियों को झेलना पड़े ।

बिस्सा ने बताया की तीसरा बिंदु था आत्मनिर्भर बनो। यह बात ऐसी ही लग रही थी जैसे केंद्र सरकार आम जनमानस को गोलमोल शब्दों में यह बताना चाह रही हो कि अब वह जवाबदारियां लेने में अक्षम होती जा रही है। देशवासियों को स्वयं ही संभलना होगा। आत्मनिर्भर बनों जैसा नारा देकर सरकार अपनी जवाबदारी से भाग नहीं सकती।

 

बिस्सा ने कहा की कुल मिलाकर मोदी जी का उद्बोधन चिंता का विषय है जिस पर आम जनमानस को गहराई से चिंतन करना चाहिए वरना आने वाला जीवन बहुत कठिन और दुष्कर हो जाएगा।

 

The News India 24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *