धान का समर्थन मूल्य मात्र 53 रूपए बढ़ाने पर कृषि मंत्री चौबे का तीखा हमला, कहा-केन्द्र सरकार क्वॉरंटाइन से बाहर नहीं निकल पा रही

धान का समर्थन मूल्य मात्र 53 रूपए बढ़ाने पर कृषि मंत्री चौबे का तीखा हमला, कहा-केन्द्र सरकार क्वॉरंटाइन से बाहर नहीं निकल पा रही

रायपुर/02 जून 2020। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने धान का समर्थन मूल्य मात्र 53 रूपए बढ़ाने के केन्द्र सरकार के फैसले पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना महामारी का प्रकोप है। केन्द्र सरकार खुद क्वॉरंटाइन में हैं। यदि क्वॉरंटाइन से निकलकर घोषणा की जाती, तो कुछ उम्मीद की जा सकती थी। यह कहा गया कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकता है। लॉकडाउन के पहले भी किसान अपनी पैदावार को बाहर बेचते रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों को एक रूपए की रियायत तक केन्द्र सरकार नहीं दी गई है।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने मीडिया से चर्चा में कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री से आग्रह किया गया था कि समर्थन मूल्य घोषित करने के लिए केन्द्र सरकार की एजेंसियां नाफेड और अन्य के माध्यम से किसानों की उपज को खरीदने के लिए सप्लाई चेन बनाने घोषणा किये जाने की मांग की गयी थी, लेकिन केन्द्र सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। उन्होने कहा कि धान का समर्थन मूल्य 53 रूपए बढ़ाए जाने पर छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को जो धान की जितनी कीमत दे रही है, वहां तक पहुंचने में केन्द्र सरकार को 16 साल लगेंगे।
कृषि मंत्री ने राहत पैकेजों पर सवाल खड़े किए और कहा कि केन्द्र सरकार की तरफ से 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया गया है, लेकिन किसी भी योजना में किसानों को एक रूपए की रियायत या सहायता केन्द्र सरकार की तरफ से नहीं दी गई है। ये समर्थन मूल्य जो घोषित किया गया है, यह किसानों का अपमान है। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ धोखा किया गया है।
केन्द्र सरकार द्वारा यह कहा जाना कि किसानों को दिया जाने वाला धान का समर्थन मूल्य स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के हिसाब से दे रहे हैं, यह कहना पूरे देश के धान उत्पादक किसानों के साथ वादाखिलाफी और किसानों के साथ धोखा है। उपकरण के दाम किसी के नियंत्रण में नहीं, उर्वरक के दाम बढ़ रहे हैं।
कृषि मंत्री चौबे ने कहा कि प्रधानमंत्री असत्य बात बोल रहे है कि उन्होंने किसानों को अपनी फसल दूसरे राज्य में बेचने का अधिकार दिया है। प्रदेश से बाहर के प्रदेश में फसल बेचने का अधिकार मोदी सरकार ने दिया है, जबकि किसानों को पहले भी अपनी फसल बेचने का अधिकार था। मक्का का समर्थन मूल्य 1100 रुपये से ज़्यादा किसानों को नहीं मिल रहा है, क्योकि केंद्र सरकार इससे खरीद नहीं रही है।
कृषि मंत्री चौबे ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों के हित में कोई भी सकारात्मक पहल नहीं कर रही है। छत्तीसगढ में किसानों को 2500 रुपये धान का समर्थन मूल्य मिल रहा है। इस साल सम्मान निधि पौने दो लाख किसानों तक पंहुची है, इसमें 1 रुपये की रियायत भी केंद्र सरकार द्वारा नहीं दी गई है। 52394.1 करोड़ एक साल में छत्तीसगढ़ ने किसानों को दिया।  पूरे देश में जहां लोग एक-एक रुपये के लिए मोहताज हो वहां छत्तीसगढ़ सरकार के सकारात्मक कार्यो से छत्तीसगढ़ की बाजार गुलज़ार है।

मंत्री रवीन्द्र चौबे ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा है कि जहां धान की एमएसपी की बात है। अगर छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा किसानों को जो देय राशि 2500 रूपये प्रति क्विंटल पिछले साल से दे रहे है। लगातार भाजपा के नेता इसके खिलाफ अनर्गल प्रलाप करते है। मोदी सरकार का 53 रूपये की वृद्धि, नरेन्द्र मोदी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2500 रूपये धान की कीमत की बराबरी कर रहे है तो केन्द्र सरकार को 16 साल लगेगा। जो योजना छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 साल पहले शुरू कर दिया है। किसानों के हित में कई फैसले लिये गये है। छत्तीसगढ़ में लगभग 27 लाख पंजीकृत किसान है। केन्द्र सरकार द्वारा किसान सम्माननिधि में बढ़ोत्तरी नही की गयी। मोदी सरकार द्वारा दिये गये 20 लाख करोड़ के पैकेज में किसानो के कुछ नही है।
मंत्री रवीन्द्र चौबे ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा है कि जहां धान की एमएसपी की बात है। अगर छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा किसानों को जो देय राशि 2500 रूपये प्रति क्विंटल पिछले साल से दे रहे है। लगातार भाजपा के नेता इसके खिलाफ अनर्गल प्रलाप करते है। मोदी सरकार का 53 रूपये की वृद्धि, नरेन्द्र मोदी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2500 रूपये धान की कीमत की बराबरी कर रहे है तो केन्द्र सरकार को 16 साल लगेगा। जो योजना छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 साल पहले शुरू कर दिया है। किसानों के हित में कई फैसले लिये गये है। छत्तीसगढ़ में लगभग 27 लाख पंजीकृत किसान है। केन्द्र सरकार द्वारा किसान सम्माननिधि में बढ़ोत्तरी नही की गयी। मोदी सरकार द्वारा दिये गये 20 लाख करोड़ के पैकेज में किसानो के कुछ नही है।
किसानों के लिए मोदी सरकार ने कुछ नही किया। केन्द्रीय कृषि मंत्री से मैने आग्रह किया है। जैसे हम छत्तीसगढ़ में रकबा का उत्पादन बढ़ा रहे है। इस साल लगभग सवा से साढ़े सात लाख रकबा का उत्पादन हो रहा है। लेकिन मक्का मिनीमम प्राईज सपोट कीमत 1765 रूपये था। केन्द्र सरकार द्वारा बाजार में किसी भी एजेंसी द्वारा नही खरीदने के कारण 1100 रूपये से अधिक नही मिल रहा है। केन्द्र की एजेंसी होती है। हमारे किसानो के उत्पादों को खरीदे। कोई सकारात्मक पहल नही दिखाई दिया।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वे किसानों के साथ छलावा कर रही है। वर्तमान में मोदी किसानों के हित में फैसला नही ले रही है। इसके जो विसंगतिया और कमजोरिया है। इसको देश के सामने, किसानों के सामने, आपके सामने लाना है। किसानों के पास धान बोने के लिए पैसा नही था और महामारी कोरोना फैल चुकी थी कमी नही थी।  14 फसलो का समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। उनमें 2 को छोड़कर सब 5 प्रतिशत उससे कम है। किसानो को 7 प्रतिशत की दर पर कर्ज दिया जाएगा। यह जबकि पुरानी योजना है। जब किसान दबाव और तनाव में है मोदी सरकार ने किसानों का भला करने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाए है। समर्थन मूल्य में न्यूनतम बढ़ोत्तरी करते हुए यह कहा कि किसान को लागत डेढ़ गुना मूल्य  मिल रहा है। दरअसल सरकार ने लागत का आकलन ही गलत किया है। किसानों को ब्याज में छूट नही बल्कि ब्याज पटाने के समय में छूट मिली है। कर्ज चुकाने पर 3 प्रतिशत सब्सिडी देने की बात कही है जबकि यह छूट पहले से मिलते आ रही है। समर्थन मूल्य में 53 रूपये बढ़ाया गया है लेकिन अगर प्रतिशत में देखे तो पिछले साल की तुलना में सर्मथन मूल्य सिर्फ 2.92 प्रतिशत बढ़ा है। छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहा जाता है। समर्थन  मूल्य में 53 रूपये बढ़ाया गया है। पिछले साल की तुलना में 3 रूपये की वृद्वि किया गया है। आखिर  3 रूपये होता क्या है। 53 रूपये की कीमत बढ़ाने से धान की कीमत 1868 हो गया है। ये पूरा हिंदुस्तान में धान उत्पादक किसानों के साथ वादाखिलाफी है। केन्द्र सरकार का धोखा भी है। केन्द्र सरकार लगातार किसानों के साथ इस प्रकार व्यवहार कर रही है। महंगाई का आंकड़ा लगातार लंबा होता जा रहा है। जरूरी सामान की कीमतों को कंट्रोल नही किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दो वर्षो में किसानों को दी गयी राशि के आंकड़े मंत्री रवीन्द्र चौबे ने जारी किये।

विवरण वर्ष किसान संख्या (लाख में ) राशि (करोड़ में)
अल्पकालीन कृषि ऋण माफ 2019-20 17.00 8700.00
समर्थन मूल्य में धान खरीदी 2018-19  

15.77

14073.31
प्रोत्साहन राशि 2018-19 6021.69
समर्थन मूल्य में धान खरीदी

प्रोत्साहन राशि (न्याय योजना)

2019-20     18.35 15280.00
2019-20     1500.00
शेष भुगतान योग्य      4200.00
समर्थन मूल्य में गन्ना खरीदी 2018-19  

0.10

315.03
प्रोत्साहन राशि 2018-19 50.00
समर्थन मूल्य में गन्ना खरीदी 2019-20  

0.34

206.69
प्रोत्साहन राशि   2019-20 83.83
फसल बीमा (खरीफ) 2018-19 6.53 1070.63
  2019-20 4.57 634.57
(उद्यानिकी) 2019 0.10 14.39
योग 52149-94
सिंचाई जलकर माफ 2019-20 170.05 244.18
महायोग 52394.14

’कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने’ प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी सरकार को किसानों के साथ अन्याय करने वाली सरकार करार दिया। कांग्रेस भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में रविंद्र चौबे ने आरोप लगाया कि कोरोना संकट में जो 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान केंद्र सरकार ने किया था, उस पैकेज का एक पैसा भी किसानों के खाते में नहीं आया है। 20 लाख करोड़ का पैकेज सिर्फ लोन मेला का हिसाब जैसा साबित हुआ।
उन्होंने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों से वादाखिलाफी की है। केंद्र से किसानों को कुछ नहीं मिला। यहां तक कि जो किसान सम्मान निधि देने की बात की जा रही है, वो भी प्रदेश के महज पौने दो लाख किसानों तक पहुंच पाया है, जबकि प्रदेश में 27 लाख रजिस्टर्ड किसान हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश की बात की, उस हिसाब से किसानों को समर्थन मूल्य करीब 2350 रुपये से ज्यादा होना चाहिये थे। मंत्री रविंद्र चौबे ने इस मामले में किसानों के समर्थन मूल्य पर दोबारा विचार करने को कहा है।
सब्सिडी का षडयंत्र मंज़ूर नहीं
खेती की लागत बढ़ रही है तो धान का दाम उसी अनुपात में क्यों नहीं बढ़े?
लगातार कृषि आदानों खाद कीटनाशक दवा कृषि उपकरणों में जीएसटी लगने से दाम बढ़े।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन ने कहा है कि एक और षडयंत्र किसानों के खिलाफ चल रहा है। वो यह कि किसानों को मिलने वाली सारी सब्सिडी को ख़त्म करके उसे नकद के रूप में किसान के खातों में डाल दिया जाए। यह किसानों को ठगने का एक और षडयंत्र है। सब्सिडी की राशि आज के मूल्य पर गिनकर खातों में डाल दी जाएगी और किसानों को बाज़ार मूल्य पर खाद आदि ख़रीदने को कहा जाएगा। बाज़ार की क़ीमतें बढ़ती जाएंगीं और सब्सिडी स्थिर रहेगी। अगर मोदी सरकार में हिम्मत है तो किसानों के लिए यह योजना लागू करने के साथ उद्योगों में भी लागू करें कम से कम अपने चहेते उद्योगपतियों पर लागू करे और उन उद्योगों से कहा जाए कि ज़मीन, बिजली, पानी और टैक्स की छूट ख़त्म करके नकद दे देंगे और वे भुगतान बाज़ार दर पर करें। क्या उद्योग ऐसा कर पायेंगे?? अगर उद्योग ऐसा नहीं सकते तो किसानों के साथ सब्सिडी का यह षड़यंत्र क्यों? कृषि आदानों खाद, कीटनाशक दवाओं और कृषि उपकरणो पर जीएसटी लगाने से इनकी लागत बढ़ गयी है। कृषि के यंत्रीकरण के साथ ट्रेक्टर हारवेस्टर का उपयोग बढ़ा है। डीजल के दामों में एक्साइज लगातार बढ़ाकर किसानों के जेब से पैसे निकालने का काम केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। खेती में श्रम लागत भी बढ़ रही है। यदि किसानों की लागत बढ़ेगी तो उसी अनुपात में धान का दाम क्यों नहीं बढ़ाया केन्द्र सरकार ने? ऐसे तो किसान की आय 2022 तक दुगुनी करने का लक्ष्य नहीं प्राप्त होगा। चूंकि अभी लोकसभा या विधानसभा चुनाव नहीं है भाजपा का चाल चरित्र चेहरा है कि किसानों को लगातार धोखा, छल करने का काम करती है। इसीलिये अभी 53 रू. प्रतिक्विंटल बढ़ाकर किसानों के साथ छल कर रही है।

प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री चंद्र शेखर शुक्ला  ने केंद्र द्वारा धान पर बढ़ाए गए समर्थन मूल्य पर कहा कि बढ़ोत्तरी धान पर बेहद कम और अपर्याप्त है। किसी भी फसल में 10 प्रतिशत से ज़्यादा की वृद्धि नहीं की गई जबकि लागत वृद्धि बढ़ गई है. यह किसानों से छलावा है, केंद्र बताये कैसे कीमत डेढ़ गुनी हुई? धान का मूल्य 2560 रुपये होना चाहिए।

पत्रकारवार्ता में संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, वरिष्ठ नेता राजेन्द्र तिवारी, पूर्व विधायक एवं संचार विभाग सदस्य रमेश वर्ल्यानी, विधायक बृहस्पति सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष प्रतिमा चंद्राकर, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, विकास तिवारी, एम.ए. इकबाल, सुरेन्द्र वर्मा, मीडिया समन्वयक अजय गंगवानी, प्रकाशमणिवैष्णव, स्वपनिल मिश्रा भी उपस्थित थे।

संलग्नः- पत्रकारवार्ता के प्रमुख बिन्दू 02.06.2020

मंत्री रविन्द्र चौबे]संचार विभाग अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी]प्रदेश उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन और प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला की पत्रकारवार्ता 02 जून2020

 

मोदी ने फिर किसानों को ठगा, समर्थन मूल्य महंगाई से भी कम बढ़ा

 

  • अभूतपूर्व संकट पर पांच वर्षों में सबसे कम वृद्धि
  • धान का लागत मूल्य ग़लत ढंग से निकाल कर डेढ़ गुना मूल्य बता रहे हैं
  • किसानों से माफ़ी मांगे भाजपा और केंद्र की सरकार

 

 

–       नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के किसानों को एक बार फिर ठग लिया है.

–       इस बार की ठगी पिछले पांच सालों की सबसे बड़ी ठगी है. धान का समर्थन मूल्य पिछले पांच वर्षों में सबसे कम बढ़ाया गया है.

–       धान का समर्थन मूल्य वैसे तो53 रुपए बढ़ाया गया है लेकिन अगर प्रतिशत में देखें तो पिछले साल की तुलना में समर्थन मूल्य सिर्फ़ 2.92 प्रतिशत बढ़ा है.

–       नरेंद्र मोदी सरकार ने कल चार कथाकतिथ बड़ी घोषणाएं की हैं. लेकिन चारों में झूठ और ठगी छिपी हुई है.

–       पहले तो समर्थन मूल्य में न्यूनतम बढ़ोत्तरी करते हुए यह कहना कि किसान को लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिल रहा है. दरअसल सरकार ने लागत का आकलन की ग़लत किया है.

–       जिन 14 फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया है उनमें दो को छोड़कर सब पांच प्रतिशत या उससे से कम हैं.

–       धान और अन्य फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि तो बाज़ार में बढ़ी महंगाई की दर से भी कम है.

–       दूसरी घोषणा यह है कि किसानों को 7 प्रतिशत की दर पर कर्ज़ दिया जाएगा. सच यह है कि यह पुरानी योजना है.

–       तीसरी घोषणा समय पर कर्ज़ चुकाने पर तीन प्रतिशत सब्सिडी देने की है. इसका सच भी यह है कि यह छूट पहले से मिलती आ रही है.

–       चौथी घोषणा यह है कि किसानों के लिए ब्याज़ में छूट 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. सच यह है कि किसानों को ब्याज़ से छूट नहीं है बल्कि पटाने के समय में छूट मिली है.

–       ऐसे समय में जब किसान दबाव और तनाव में है मोदी सरकार ने किसानों का भला करने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाए हैं.

मूल्य का ग़लत आकलन

–       20 जून, 2018 को नमो ऐप पर किसानों से बातचीत करते हुए खुद मोदी जी ने ‘लागत+50 प्रतिशत’ का आंकलन ‘C2’ के आधार पर देने का वादा किया था.

–       उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि फसल की लागत मूल्य में किसान के मज़दूरी व परिश्रम  + बीज  + खाद + मशीन   +   सिंचाई   +   ज़मीन का किराया आदि शामिल किया जाएगा।

–       लेकिन लागत का आकलन करते हुए इस फ़ॉर्मूले को दरकिनार कर दिया गया.

–       केंद्र सरकार कह रही है कि धान की प्रति क्विंटल लागत 1245 रुपए है. अगर इसमें सारे खर्च जोड़ दिए जाएं तो किसी भी सूरत में धान की लागत इससे बहुत अधिक पड़ती है.

–       यानी मोदी जी का किसानों की आय दोगुनी करने का वादा आज फिर से जुमला बन गया।

 

 

यूपीए बनाम एनडीए

 

–       भाजपा की अटल बिहारी बाजपेई सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 6 वर्षो में 490 रू. से 550 रू. किया था। यानी मात्र 60 रू. की वृद्धि की थी.

–       अब मोदी सरकार ने शुरुआत के चार वर्षो में मात्र 200 रु.की वृद्धि की थी. चूंकि 2018-19 चुनावी साल था तो उस साल 200 रू. की वृद्धि हुई और चुनाव ख़त्म होते ही वृद्धि 85 रू. पर सिमट गई.

–       इस वर्ष सिर्फ 53 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि.

–       जबकि कांग्रेस ने 10 वर्षो में समर्थन मूल्य में 890 रू. की वृद्धि की।

–       यूपीए-1 में धान का समर्थन मूल्य 5 वर्षों में 2004 से 2009 तक 450 रूपए बढ़ाया गया। और धान का मूल्य 550 रू. प्रति कि्ंवटल से 900 रू. प्रति कि्ंवटल हो गया.

–       यूपीए-2 में 2009 से 2014 तक 5 वर्षों में धान का समर्थन मूल्य440 रूपए बढ़ाया गया।

 

सब्सिडी का षडयंत्र मंज़ूर नहीं

 

खेती की लागत बढ़ रही है तो धान का दाम उसी अनुपात में क्यों नहीं बढ़े?

 

लगातार कृषि आदानों खाद कीटनाशक दवा कृषि उपकरणों में जीएसटी लगने से दाम बढ़े।

–       एक और षडयंत्र किसानों के खिलाफ चल रहा है। वो यह कि किसानों को मिलने वाली सारी सब्सिडी को ख़त्म करके उसे नकद के रूप में किसान के खातों में डाल दिया जाए।

–       यह किसानों को ठगने का एक और षडयंत्र है। सब्सिडी की राशि आज के मूल्य पर गिनकर खातों में डाल दी जाएगी और किसानों को बाज़ार मूल्य पर खाद आदि ख़रीदने को कहा जाएगा। बाज़ार की क़ीमतें बढ़ती जाएंगीं और सब्सिडी स्थिर रहेगी।

–       अगर मोदी सरकार में हिम्मत है तो किसानों के लिए यह योजना लागू करने के साथ उद्योगों में भी लागू करें कम से कम अपने चहेते उद्योगपतियों पर लागू करे और उन उद्योगों से कहा जाए कि ज़मीन, बिजली, पानी और टैक्स की छूट ख़त्म करके नकद दे देंगे और वे भुगतान बाज़ार दर पर करें। क्या उद्योग ऐसा कर पायेंगे?? अगर उद्योग ऐसा नहीं सकते तो किसानों के साथ सब्सिडी का यह षड़यंत्र क्यों?

–       कृषि आदानों खाद, कीटनाशक दवाओं और कृषि उपकरणो पर जीएसटी लगाने से इनकी लागत बढ़ गयी है।

–       कृषि के यंत्रीकरण के साथ ट्रेक्टर हारवेस्टर का उपयोग बढ़ा है। डीजल के दामों में एक्साइज लगातार बढ़ाकर किसानों के जेब से पैसे निकालने का काम केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।

–       खेती में श्रम लागत भी बढ़ रही है।

–       यदि किसानों की लागत बढ़ेगी तो उसी अनुपात में धान का दाम क्यों नहीं बढ़ाया केन्द्र सरकार ने?

–       ऐसे तो किसान की आय 2022 तक दुगुनी करने का लक्ष्य नहीं प्राप्त होगा।

–       चूंकि अभी लोकसभा या विधानसभा चुनाव नहीं है भाजपा का चाल चरित्र चेहरा है कि किसानों को लगातार धोखा, छल करने का काम करती है। इसीलिये अभी 53रू. प्रतिक्विंटल बढ़ाकर किसानों के साथ छल कर रही है।

The News India 24

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