बेरोजगारों पर मौन क्यों है मोदी जी आपका पत्रः राजेश बिस्सा
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखकर पूछा है कि आपके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के छः वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जारी आप का पत्र बेरोजगारी पर मौन क्यों है? सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआई) की ताजा रिपोर्ट देखे तो 12 करोड़ से अधिक लोगों का रोजगार चला गया है। आपने देश के युवाओं को भरोसा दिलाया था प्रतिवर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का, उस अनुसार तो देश के बारह करोड़ युवाओं को रोजगार मिल जाना था लेकिन हो उल्टा गया है।
बिस्सा ने कहा राष्ट्र से सीधी बात ना कर देशवासियों के नाम संबोधित आपका पत्र बता रहा है कि केंद्र सरकार आज देशवासियों को लेकर उस फिसलन पर खड़ी है जिसके आगे सिर्फ खाई है। लाक डाउन के दौरान जमा पूंजी पर ब्याज दरें घटा दी गई हैं। सरकार डीजल-पेट्रोल से बेदम कमाई कर रही है। किसान खून के आंसू पीकर रह गया है। बेरोजगारी उफान मार रही है। लोग आत्म हत्याएं कर रहे हैं। करोड़ों लोग रोटी कपड़ा मकान के संकट में डूब उतर रहे हैं। फैलती आर्थिक विपन्नता लोगों की खुशियां छीन रही है। बेइंतेहा मुश्किलों का दौर शुरू है। आपका पत्र इन बातों से मुंह छुपाता नजर आ रहा है। पत्र के हर एक शब्द से अट्टहास का भान होता है। यह अफसोस जनक है।
बिस्सा ने कहा की विगत दिनों मोदी जी आप भाजपा के कार्यकर्ताओं, पंचायतों के प्रतिनिधियों, प्रदेश के मुख्यमंत्रियों, देश की नामी गिरामी हस्तियों ईत्यादी से ऑनलाइन बात कर चुके हैं। क्या इन सुरक्षित चेहरों के मध्य मंझदार में पड़े करोड़ो उन बेबस लोगों से जो सड़कों की धूल फांक रहे हैं से बातचीत नहीं करना चाहिये? क्या देश का गरीब या परिस्थितियों का मारा आम नागरिक आपकी दष्टी में अपनी कोई हैसियत नहीं रखता है? क्या उसे सम्मान के साथ जीने का अधिकार नहीं है?
बिस्सा ने कहा कि देश का गरीब भूखा प्यासा सड़कों पर है। ट्रेनों में दम तोड़ रहा है। दर-दर की ठोकरें खा रहा है। उसके लिए आपके पत्र में संवेदनाओं व श्रद्धांजली का एक शब्द ना होना, उनके लिये किसी भी प्रकार की राहत की घोषणा ना करना, लोगों के मन में असुरक्षा की भावना भर रहा है। आपका मौन उन के लिये भी कुठाराघात है, जिन लोगों ने सोचा था की वर्ष पूरा होने पर आप कुछ सौगात उन गरीब व मध्यम वर्गीय लोगों को देंगे जो अपना सब कुछ लुटा कर नए जीवन की तलाश में है।
बिस्सा ने पत्र में लिखा है कि कोरोना संकट के इस दौर में भारत की तस्वीर कहीं आपके पत्र की जंजीर में फंसे शब्दों से ना हो जाए सोचकर बार-बार घबरा उठता हूं। आप के दूर-दृष्टिकोण पर प्रश्न उठने लगता है। इस संकट की घड़ी में पूरा देश व राज्यों की सरकारें आपके साथ खड़ी हैं, लेकिन जब देशवासी व राज्य सरकारें आपकी ओर नजर घूमाती हैं तो दिखता है कि आप अभी भी टास्क का झोला लिए “आत्मनिर्भर बनो” के नारे के साथ जनता के समक्ष खड़े हैं। यह देखकर पीड़ा हो रही है।
बिस्सा ने कहा की जन भावनाओं को इस तरह मत तोड़िये। जो लोग कोरोना आपदा में अपनी रोजी रोटी खोकर अपने कर्म क्षेत्र को छोड़ने मजबूर हुए हैं उनके पुनर्वास के बारे ठोस पहल कीजिये।