कोरोना आपदा काल में भी झूठे वादे और खोखले दावे कर जनता का विश्वास खो चुकी है मोदी सरकार
विश्व बैंक से मिली तत्काल राहत सहायता राशि और पीएम केयर फंड में जमा राशि राज्यों को जारी करें मोदी सरकार
रायपुर/20 मई 2020। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि करोना आपदा काल में भी झूठे वादे और खोखले दावों से जनता का विश्वास खो चुकी है मोदी सरकार। कोरोना संकट राहत पैकेज के लिए प्रधानमंत्री ने टीवी पर आकर जीडीपी का लगभग 10%, ₹20 लाख़ करोड़ खर्च करने का वादा किया। उनसे एक कदम आगे बढ़ते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 5 एपिसोड में विस्तृत राहत पैकेज की घोषणा की। अंत में यह बताया कि कुल राहत करीब 21 लाख करोड़ रुपए की है। पर जैसे ही उन्होंने अंत में व्यय पत्रक प्रस्तुत किया, इनके झूठ की पोल खुद-ब-खुद खुल गई। इनके ही व्यय पत्रक के अनुसार सरकार के खजाने से मात्र 0.8% से 1.4% ही नगद खर्च हो रहा है। बाकी का तो उद्योगपतियों, व्यवसायियों और जरूरत मंदो को दिया जाने वाला कर्ज है, जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों के द्वारा दिए जाएंगे। इसमें सरकार का ₹1/- भी नहीं लगना है। मूल सवाल यह है कि जब सरकार को पता है कि वह जीडीपी का लगभग 1% ही राहत पैकेज में खर्च कर रही है, तो फ़िर प्रधानमंत्री के द्वारा इस प्रकार से ढोल पीटकर जीडीपी के 10% खर्चने की बात जानबूझकर बोला गया झूठ है। ऐसे कृत्यों से निश्चित ही सरकार और सरकार के मुखिया की विश्वसनीयता पर सवाल है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि 3 अप्रैल 2020 को वर्ल्ड बैंक ने कोरोना संकट से निपटने तत्काल आर्थिक सहायता के रूप में भारत सरकार को एक अरब डॉलर, अर्थात लगभग 76 अरब रुपए मंजूर किया है। कोरोना महामारी के लिए फंड की व्यवस्था के लिए ही मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री सहायता कोष को बाईपास करके एक नया पीएम केयर फंड बनाया है। 2 महीने बीतने के बाद आज तक इस फंड के आय और व्यय की कोई भी ठोस जानकारी नहीं दी है। बताया यह जा रहा है कि उक्त पीएम केयर फंड के लेखा परीक्षण का अधिकार कैग को भी नहीं होगा। देशभर के खनन क्षेत्र में कार्यरत सार्वजनिक और निजी संस्थानों के साथ ही उद्योगों के द्वारा स्थानीय सामाजिक जिम्मेदारी निर्वहन हेतु बनाए गए सीएसआर फंड की राशि इस पीएम केयर फंड में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा दबावपूर्वक जमा करवाई गई है। उल्लेखनीय है कि सीएसआर मद बनाया ही इसलिए गया है कि खनन और उद्योग से प्रभावित क्षेत्र के लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्किल डेवलपमेंट जैसे मूलभूत सुविधाओं की समुचित व्यवस्था और स्थानीय स्तर पर सामाजिक जिम्मेदारी इन उद्योगों की तय की जाए। राज्यों के मुख्यमंत्री सहायता कोष जो कि संवैधानिक फंड है, उनको भी इस सीएसआर फंड से दुर्भावनापूर्वक वंचित रखा गया है। आज पूरे भारत में कोरोना महामारी कोविद-19 के खिलाफ जंग जिला स्तर पर कार्य योजना बनाकर प्रदेश सरकार द्वारा उनके स्वास्थ्य, सफाई, सुरक्षा, और स्थानीय प्रशासन अमला अग्रिम पंक्ति पर लड़ाई लड़ी जा रही है। अतः केंद्र सरकार वर्ल्ड बैंक, पीएम केयर फंड और देश विदेश के विभिन्न माध्यमों से प्राप्त आपदा राहत की राशि को सभी प्रदेश सरकारों को उचित अनुपात में जारी करें।