देश जानना चाहता है कि वित्तमंत्री की आज की घोषणाओं से करोना का क्या सरोकार ?
जुमलों की चौथी किश्त ने किया मोदी सरकार के गरीब विरोधी चरित्र को किया बेनकाब
कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण की विपरीत परिस्थिति में 137 करोड़ जनता की मदद के बजाय देश के आत्म सम्मान और स्वाभिमान को चंद उद्योगपतियों के हाथ बेचने का काम कर रही है मोदी सरकार
पीपीपी और निजी निवेश के नाम पर चंद पूंजीपतियों के हाथों देश बेचने की तैयारी में है मोदी सरकार
70 साल के परिश्रम, दूरदर्शिता, सोंच और जतन से हासिल देश के संसाधनों को निजी हाथों में बेचने की साजिश!
रायपुर/16 मई 2020 । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज ली गयी चौथी पत्रकार वार्ता पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने पूछा है कि देश जानना चाहता है कि वित्तमंत्री की आज की घोषणाओं से करोना का क्या सरोकार है ? आज वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणाएं चंद चहेते उद्योगपतियों के हित में हो सकती हैं लेकिन करोना संकट के समाधान से वित्त मंत्री द्वारा आज की गई घोषणाओं का क्या संबंध है ? देश के आम आदमी गरीब मजदूर किसान ठेले खोमचे वाले फुटकर व्यापारी छोटे व्यापारी छोटे उद्योग धंधे वालों से इसका क्या संबंध है ?
औद्योगिक पार्कों को जीआईएस मैपिंग करने का प्लान की घोषणा को दिखावा मात्र निरूपित करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने तो छत्तीसगढ़ के 1661 का गोठान का जीआईएस मैपिंग पहले ही कर दी है! किस उपलब्धि पर ढोल पीट रहे हैं आप? बिना तैयारी के जीएसटी लागू करना मोदी सरकार का गलत कदम था जिसका खामियाजा पूरे देश के व्यापारी भुगत रहे हैं । जिस पर देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए लेकिन उन खामियों का पत्रकार वार्ता में ढोल पीटकर अपनी उपलब्धि बता रहे है! केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली प्रोजेक्ट भी मोदी सरकार निजी हाथों में बेचने का फैसला ले चुकी हैं!
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जुमलों की चौथी किश्त ने किया मोदी सरकार के गरीब विरोधी चरित्र को किया बेनकाब। कुल मिलाकर मोदी सरकार कोरोना संक्रमण की विपरीत परिस्थिति में 137 करोड़ जनता की मदद के बजाय देश के आत्म सम्मान और स्वाभिमान को चंद उद्योगपतियों के हाथ बेचने का काम कर रही है । मोदी सरकार पीपीपी और निजी निवेश के नाम पर चंद पूंजीपतियों के हाथों देश के बहुमूल्य खनिज संसाधन बेचने की तैयारी में है । 70 साल के परिश्रम, दूरदर्शिता, सोंच और जतन से हासिल देश के संसाधनों को निजी हाथों में बेचने की साजिश आज बेनकाब हो गयी है। ऑर्डिनेंसफैक्ट्री का निगमीकरण, डिफेंस में FDI 49% से बढ़ाकर 74%, इसरो, कोल इंडिया लिमिटेड, एनएमडीसी, एयरपोर्ट को भी निजी हाथों में बेचकर मोदी सरकार आत्मनिर्भरता का स्वांग रच रही हैं ।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि करोना आपदा काल में मोदी सरकार के घोषित जुमलों और तथाकथित राहत की चौथी किश्त पूरी तरह से देश के संसाधनों के निजीकरण और पूंजीवाद को स्थापित करने का षड्यंत्र मात्र है।
करोना आपदा काल में पीड़ित और व्यथित जनता का ध्यान भटकाकर राहत के नाम पर सिर्फ़ और सिर्फ़ देश के संसाधनों को बेचने की साजिश रची जा रही है! कोल इंडिया लिमिटेड और एनएमडीसी जैसे नवरत्न कंपनी के हक और अस्तित्व पर कुल्हाड़ी चलायी जा रही है! ओपन मार्केट में खदान की नीलामी कर देश के बहुमूल्य खनिज संसाधनों को चंद पूंजीपति मित्रों के हाथों में सौंपना चाहती है मोदी सरकार!
कोयले के ओपन मार्केट में नीलामी वह भी स्टील और पावर सेक्टर के लिए रिजर्व ब्लॉकों की! बहुत गंभीर चिंता का विषय है! प्रथम दृष्टया तो राजस्व बढ़ा हुआ दिख सकता है, पर इसका दुष्परिणाम यह होगा कि स्टील और पावर के लिए रिजर्व ब्लाकों की मार्केट दर पर नीलामी होने से उनकी उत्पादन लागत बढ़ेगी जिससे स्टील और पावर महंगा होगा, जिसका असर पूरी इकॉनोमी पर पड़ेगा l आम उपभोक्ता को बिजली लोहे और दिनप्रतिदिन की उपयोगी वस्तुओं के लिए ज्यादा कीमत चुकाना पड़ेगा!
बॉक्साइट और कोल ब्लॉक की संयुक्त नीलामी भी दुर्भावना पूर्वक टारगेट किया हुआ कदम है! ज्वाइंट ब्लॉक आवंटन होगा l बॉक्साइट और कोयले का अल्मुनियम प्लांट के लिए देने का फ़ैसला केवल निजी क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने की साज़िश है!
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का भी निगमिकरण? डिफेन्स सेक्टर में एफडीआई की लिमिट 49% से बढाकर 74% किया जाना बेहद आपत्तिजनक है! यही हकीकत है इनके लोकल से वोकल और आत्मनिर्भरता के ढोंग का! केवल यही तो कर रही है पूंजीपतियों की गुलाम मोदी सरकार! हाथी के दांत खाने के अलग और दिखाने के अलग, असलियत यही है इनकी l पीपीपी मॉडल अर्थात सार्वजनिक निजी भागीदारी के नाम पर पुनः एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने की साजिश है तीन चरणों में, पहले 6 फिर 12 फिर 6 एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपा जाएगाl आज का पूरा फोकस केवल सरकारी कंपनियों, सरकार के संसाधनों, सरकारी उपक्रमों और गवर्नमेंट इंटरप्राइज कंपनियों के निजी करण का ही रहा! देश नहीं मिटने दूंगा जुमले की हकीकत, मैं पूरा देश बेच खाऊंगा आज स्पष्ट दिखने लगा! केंद्र शासित प्रदेशों में विद्युत क्षेत्र में भी निजीकरण हो रहा है l
राहत पैकेज के नाम पर आज की चौथी किश्त असल मायने में देश के संसाधनों का निजीकरण और पूंजीवाद को स्थापित करने का षड्यंत्र है l 70 साल के सोच, दूरदर्शिता और परिश्रम, जतन को केवल बेचने का काम कर रही है मोदी सरकार l अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी निजी निवेश, इसरो की सुविधा सेवा और खोज का भी निजी इस्तेमाल का अधिकार? शर्म आनी चाहिए एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में भी निजी, प्राइवेट, पब्लिक पार्टनरशिप दुखद और आपत्तिजनक है! आपदा राहत के नाम पर इंडस्ट्रियल ये इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन की बात करते हैं, असल में बुनियादी औद्योगिक ढांचा बनाने के लिए लैंड बैंक बनाकर किसानों की जमीन छीनने की साजिश है!