मोदी जी के 20 लाख करोड़ के पैकेज’ का खुमार 24 घंटे में उतर गया
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने जब मंगलवार 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया और कहा कि इस पैकेज का इस्तेमाल देश के हर वर्ग किसान, मजदूर, लघु उद्योगों और कामगारों की मदद के लिए किया जाएगा तो पूरे देश में एक अजीब सी ख़ुशी की लहर दौड़ती दिखायी दी। लोगों ने सोचा कि अब दूध की नदी बहेगी. अब तक जो अच्छे दिन नहीं आये थे वे बस आने वाले ही हैं।लेकिन जैसे ही बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर को लेकर टीवी पर प्रगट हुईं और बजट सरीखा उबाऊ भाषण शुरू किया तो प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ की उम्मीद लगाये लोगों के चेहरे उतरने शुरू हो गए और 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में मात्र 4.4 लाख करोड़ के अप्रत्यक्ष पैकेज को देख और सुनकर उनमें मुर्दनी छा गयी।
दरअसल मोदी जी के 20 लाख करोड़ के पैकेज’ का खुमार 24 घंटे से भी कम में आज उतर गया। दरअसल वित्त मंत्री ने जो भी घोषणाएं कीं वह मोटे तौर पर सिर्फ लोन गारंटी की हैं, तो सवाल है कि असली राहत कहां है? सरकार के पास वित्तीय गुंजाइश है नहीं, अगर होती तो शायद लाखों मजदूरों को पैदल सड़कों पर नहीं निकलना पड़ता?
आज जैसे ही इस पैकेज की डिटेल सामने आई तो पता चला कि 20 लाख करोड़ के पैकेज का आधा तो पहले ही खर्च हो चुका था और उसका कोई भी सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुल मिलाकर 4.4 लाख करोड़ के ऐलान किए, लेकिन इसमें से बड़ा हिस्सा एमएसएमई यानी छोटे और मझोले उद्योगों को कर्ज देने के नाम पर चला गया। इस मद में करीब 3 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान का ऐलान कर दिया गया। इसी तरह बिजली वितरण और उत्पादन कंपनियों के लिए 90,000 करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया गया, बाकी बचा 50,000 करोड़ उसे टीडीएस में 25 फीसदी की कमी और ईपीएफ आदि में दे दिया गया।
इस तरह कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ का 70 फीसदी तो ठिकाने लग गया या खर्च करने का तरीका सामने रख दिया गया, लेकिन बुरी तरह प्रभावित हुए असंगठित क्षेत्र और ऐसे गरीबों के लिए तो कुछ है ही नहीं जो इस कोरोना संकट में अपनी आजीविका खो चुके हैं। शाम तक डैमेज कंट्रोल के तहत प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 करोड़ केयर्स फंड से देने की सरकारी घोषणा सामने आई। वित्त मंत्री के पास खर्च करने को अब सिर्फ करीब 6 लाख करोड़ ही बचे हैं क्योंकि 70 फीसदी तो ठिकाने लग चुका है।
गौरतलब है कि सिर्फ कोरोना संकट से ही देश की अर्थव्यवस्था या सरकार की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं हुई, यह पहले से ही बुरी हालत में थी। 2019-20 में ही संकेत दिखने लगे थे कि सरकार का राजस्व घट रहा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े बेहद बुरी तस्वीर सामने रखते हैं। मौटे तौर पर देखें तो सरकार 2020-21 के बजट में टैक्स से आमदनी का लक्ष्य 24.23 लाख करोड़ रखा था जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 12 फीसदी अधिक था। लेकिन अब इन आंकड़ों को छू पाएंगे, इसकी दूर दूर तक संभावना नहीं दिखती।
बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो भी ऐलान किए उसकी हेडलाइन एमएसएमई और बिजली कंपनियां हैं, लेकिन सवाल यहां यह है कि अगर मांग ही नहीं होगी तो फिर एमएसएमई उत्पादों को खरीदेगा कौन। इसके अलावा वित्त मंत्री ने टीडीएस दरों में 25 फीसदी कटौती का ऐलान किया है, इससे सरकार पर किसी तरह का बोझ नहीं पड़ता यानी इस पर कोई पैसा खर्च नहीं होता, हां इससे यह जरूर होगा कि लोगों के हाथ में कुछ पैसा जरूर अतिरिक्त होगा जिसे वे खर्च करना चाहेंगे। लेकिन एक बात ध्यान रखना होगी, वित्त वर्ष के अंत में आपको पूरा ही टैक्स चुकाना होगा, भले ही अभी कुछ कम टैक्स कटे।
वित्त मंत्री ने कहा कि एक बार सारी घोषणाएं होने दीजिए उसके बाद विस्तार से वह इस बारे में बात करेंगी की पैसा कहां से आएगा, कहां जाएगा। लेकिन फिलहाल जो घोषणाएं सरकार कर चुकी है उसके लिए पैसा कहां से मुहैया होगा, इसकी तस्वीर साफ नहीं है। फिलहाल तो वित्त मंत्री ने इन सवालों को टाल दिया कि इस सबके लिए पैसा कहां से आएगा, लेकिन जवाब तो देने ही होंगे। सरकार ने इसी महीने अपनी कर्ज की सीमा को 7.8 लाख करोड़ से बढ़ाकर 12 लाख करोड़ कर लिया है, जिससे उसके पास करीब 4.2 लाख करोड़ अतिरिक्त आ जाएंगे। बार्कलेज के एक अनुमान के अनुसार सरकार की बैलेंस शीट में सिर्फ 1.9 लाख करोड़ की गुंजाइश थी, जिसमें अब 4 लाख करोड़ का गैप दिख रहा है।
प्रेस कांफ्रेंस में निर्मला सीतारमण इस सवाल को तो टाल गईं कि अब तक कितना पैसा खर्च हो चुका है, लेकिन एक मोटे अनुमान के अनुसार करीब 8 लाख करोड़ पहले ही खर्च हो चुका है जिसमें 6 लाख करोड़ से ज्यादा आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों और उपायों का है। इसके अलावा पीएम गरीब कल्याण पैकेज के रूप में 1.70 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान पहले ही सरकार कर चुकी है, जिसका जिक्र बार-बार निर्मला सीतारमण ने किया।
निर्मला सीतारमण का पॅकेज आने के साथ ही विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज के ऐलान पर निशाना साधा है। पी चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो कुछ कहा उसमें लाखों गरीबों, भूखे प्रवासी श्रमिकों के लिए कुछ नहीं है जो पैदल चलकर अपने घर जा रहे हैं। यह हर दिन कड़ी मेहनत करने वालों पर कुठाराघात है। इसके अलावा सरकार की तरफ से 13 करोड़ गरीब परिवारों के खाते में कैश ट्रांसफर को लेकर भी कुछ नहीं कहा गया है, जिन्हें विनाश की ओर धकेला जा रहा है।
चिदंबरम ने सरकार से कई सवाल भी किए और पैकेज की धज्जियां उड़ा दीं । चिदंबरम ने पूछा कि राजकोषीय प्रोत्साहन कहां है? लोगों की जेब में डालने के लिए पैसा कहां से आएगा? उन्होंने कहा कि यह पूरा पैकेज लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये का लिक्विडिटी पैकेज है, हम पूछते हैं कि कल प्रधानमंत्री द्वारा घोषित बाकी 16 लाख करोड़ रुपये कहां हैं? देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘आज वित्त मंत्री ने जो कुछ भी कहा उसमें लाखों गरीबों, भूखे और तबाह प्रवासी श्रमिकों के लिए कुछ भी नहीं था। कई हजार लोग अभी भी अपने गृह राज्य वापस जा रहे हैं। यह उन लोगों के लिए एक झटका है।
चिदंबरम ने कहा कि क्रेडिट गारंटी फंड संपूर्ण फंड नहीं है, जो वास्तव में खर्च किया जाएगा। यह खर्च व्यय एमएसएमई की बकाया गारंटीकृत क्रेडिट में एनपीए की सीमा तक सीमित होगा। 20-50 फीसद के एनपीए स्तर को मानते हुए, ऋणों की अवधि (जो कई साल हो सकती है) पर वास्तविक व्यय अधिकतम 3,00,000 करोड़ रुपये होगा। उन्होंने कहा कि, एनबीएफसी को 30,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी भी गिनाएंगे। इसलिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में 3,60,000 करोड़ रुपये को भी शामिल किया जाएगा।आर्थिक पैकेज को लेकर चिदंबरम ने कहा कि बाकी के 16.4 लाख करोड़ रुपये कहां हैं?
सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने भी वित्तमंत्री की पैकेज को लेकर ब्रीफिंग के बाद ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि लोगों का ही पैसा उनको ही देकर इसे राहत पैकेज बताया जा रहा है। येचुरी ने लिखा कि क्या पैकेज है… लोगों का अपना पैसा, वापस उन्हीं को रिफंड्स और बूस्ट के तौर पर दिया जा रहा है। लोगों की अपनी सेविंग्स और इनकम टैक्स रिफंड उन्हें वापस दिया जा रहा है।
आर्थिक पैकेज को लेकर तृणमूल पार्टी की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ममता ने कहा-लोग राहत की उम्मीद लगा रहे थे…लेकिन उन्हें बड़ा जीरो मिला है। पैकेज में राज्यों के लिए कुछ भी नहीं है।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2020 भाषण में घोषणा की थी कि सरकार अगले 5 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ खर्च करेगी। इसके तहत प्रत्येक वित्त वर्ष में 20 लाख करोड़ खर्च होना था। अब यह स्पष्ट नहीं है कि जिस 20 करोड़ के पैकेज की घोषणा पीएम ने किया है वह दरअसल बजट भाषण की घोषणा का ही हिस्सा है या अलग से है।