केंद्र की मोदी सरकार के बाद भाजपा की राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी रवैया सामने आया : कांग्रेस

केंद्र की मोदी सरकार के बाद भाजपा की राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी रवैया सामने आया : कांग्रेस
मजदूरों के खून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद
केंद्र की मोदी सरकार के बाद भाजपा की राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी रवैया सामने आया
 दरअसल भाजपा का ही चरित्र मजदूर विरोधी किसान विरोधी और गरीब विरोधी है
रायपुर/14 मई 2020। मजदूरों की दुर्घटनाओं में मौत के लगातार मिल रहे  दुखद समाचारों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि खून के यह धब्बे भूलेंगे कितनी बरसातों के बाद !
महाराष्ट्र में औरंगाबाद की रेल दुर्घटना में 14 मजदूरों के मौत के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मध्य प्रदेश के गुना में अपने घर गांव लौट रहे 14  मजदूरों के मारे जाने और 71 मजदूरों के घायल होने के दुखद समाचार मिले हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि केवल चार घंटे के नोटिस पर आनन-फानन में लगाए गए लाॅकडाऊन के बाद प्रवासी मजदूरों की हुई दुर्दशा एवं उनके साथ किए गए अमानवीय व्यवहार का खौफनाक मंजर पूरे देश ने देखा। पूरे देश में लाखों प्रवासी मजदूर  खाने, रहने की जगह इलाज दवाई या किसी भी सहयोग के बिना हजारों किलोमीटर दूर स्थित अपने गांवों को लौटने को मजबूर हो गए, ताकि उन्हें सरकार की बेपरवाही एवं सौतेले व्यवहार का शिकार न होना पड़े।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कोविड-19 की महामारी के समय पहले से ही मुसीबतों के बोझ तले दबे गरीब मजदूरों व श्रमिकों को राहत देने की बजाए भाजपा की राज्य सरकारें कोरोना की आड़ में उन्हें उनके ही अधिकारों से वंचित कर रही हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने केंद्र सरकार को प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाए जाने के लिए ट्रेन चलाने को मजबूर तो कर दिया, लेकिन मोदी सरकार के कुप्रबंधन द्वारा निर्मित इस आपदा के चलते मजबूर हुए प्रवासियों से टिकट का शुल्क लेने के घिनौने प्रयास ने केंद्र सरकार के मनसूबों का भंडाफोड़ कर दिया। पूरे देश ने देखा कि किस प्रकार दिशाहीन सरकार ने अचानक ट्रेनों को निरस्त किया, लेकिन विपक्ष के दबाव के चलते उन्हें अपने इस आदेश को फिर से वापस लेने को मजबूर होना पड़ा। सूरत बड़ौदा सहित प्रधानमंत्री मोदी के गृह प्रदेश गुजरात में अनेक स्थानों से  लगातार मज़दूरों पर बर्बर लाठीचार्ज के समाचार भी मिल रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार के बाद भाजपा की राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी रवैया सामने आया है। दरअसल भाजपा का ही चरित्र मजदूर विरोधी किसान विरोधी और गरीब विरोधी है
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि औद्योगिक विवाद कानून एवं न्यूनतम मुआवज़ा कानून जैसे श्रम कानून कमजोर व शोषित वर्ग को मूलभूत सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये कानून संविधान द्वारा प्रदत्त जीवन के अधिकार का अनुसरण करते हैं तथा गरीब मजदूरों को कम मुआवज़ा देकर उनसे अधिक काम लेने व उनका शोषण किए जाने से उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये कानून श्रमिकों को बंधुआ मजदूरी से सुरक्षित करते हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि यूपी, गुजरात एवं एमपी की भाजपा की राज्य सरकारें विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए उन्हें रेड कार्पेट ट्रीटमेंट देने की शुरुआत कर रही हैं, लेकिन यह श्रमिकों के अधिकारों का बलिदान देकर नहीं किया जा सकता। शर्म की बात है कि ‘सूट-बूट की सरकार’ ने अपनी स्वाभाविक प्रकृति एवं प्राथमिकताएं एक बार फिर साफ कर दीं। उनके इस फैसले से कारखानों एवं औद्योगिक परिसरों में मजदूरों का शोषण शुरु हो जाएगा तथा उन्हें बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ेगा।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश ने तीन सालों के लिए सभी श्रम कानूनों को निरस्त कर दिया है, जो कोविड-19 की महामारी के नुकसान को पूरा करने के लिए अनुमानित समय सीमा से बहुत ज्यादा है। इससे गरीबों के प्रति भाजपा सरकार की संवेदनहीनता तथा हमारी पूर्व सरकारों व संविधान द्वारा गरीब मजदूरों को दिए गए अधिकारों से उन्हें वंचित करने की मानसिकता स्पष्ट हो जाती है।क्योंकि ये कानून संविधान की समवर्ती सूची में हैं, इसलिए इन्हें निरस्त किए जाने का निर्णय केंद्र सरकार की अनुमति के बिना नहीं लिया जा सकता।
कांग्रेस केंद्र सरकार से मांग करती हैं कि वो इन कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनी अनुमति न दें, जिनसे मजदूरों के अधिकार उनसे छीन लिए जाएंगे और उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा। श्रमिकों के खिलाफ ऐसे कठोर कदम उठाए जाने से पहले देश की सभी ट्रेड यूनियंस से भी परामर्श लिया जाए।

The News India 24

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