छत्तीसगढ़ से 28 मजदूर बच्चों के साथ राजस्थान के जयपुर में फंसे हैं जो लगातार प्रशासन और राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें राशन सामग्री दिलाया जाए
रायपुर/03 मई 2020। लॉक डॉउन के इस भीषण समस्या का अगर कोई सबसे ज्यादा भुक्तभोगी है तो है दिहाड़ी मजदूर जो छत्तीसगढ़ से बाहर राज्य में रोजी रोटी की तलाश में गए थे लेकिन लॉक डाउन होने के कारण उनको ना तो काम मिल रहा है और न हीं मजदूरी। ऐसे में भला पेट की भूख मिटेगी कैसे?
लगातार छत्तीसगढ़ के बाहर राज्य गए मजदूर सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि हमें न तो राशन उपलब्ध हो पा रहा है और न ही भोजन। ऐसे में हम करें तो करें क्या? हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं जिनकी पेट की भूख हम नहीं मिटा पा रहे है।
ताजा मामला छत्तीसगढ़ के ऐसे मजदूरों का है जो राजस्थान के जयपुर में फंसे हैं इन मजदूरों का कहना है कि लॉक डाउन में भी हमारे ठेकेदार ने हमसे काम करा लिया लेकिन मजदूरी विगत 2 महीने से नहीं दे रहे हैं जिसके कारण हमें खाने के भी लाले पड़ रहे हैं । इन सभी मजदूरों ने पत्र के जरिए छत्तीसगढ़ के मुखीया भूपेश बघेल से मांग की है कि हमें हमारे घर आप वापस ले आइए और हमें हमारा मेहनताना दिलवा दीजिए।
ताज्जुब की बात यह है की जिस ठेकेदार ने मजदूरों को काम कराने के लिए राजस्थान के जयपुर लेकर गया है वह भी छत्तीसगढ़ का ही है। बावजूद इसके मानवता को दरकिनार करते हुए यह ठेकेदार मजदूरों को मेहनत का पैसा भी नहीं दे रहा है ।
महिलाओं ने ठेकेदार पर आरोप लगाते कहा कि हमें पिछले 2 महीने से वेतन नहीं मिला है ऐसे में हम क्या करे? दरअसल छत्तीसगढ़ से लगभग 28 मजदूर बच्चों के साथ राजस्थान के जयपुर में फंसे हैं जो लगातार प्रशासन और राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें राशन सामग्री दिलाया जाए। साथ ही उनको वापस छत्तीसगढ़ लाया जाए। मजदूरों का यह भी आरोप है कि स्थानीय पुलिस भी इनका साथ नहीं दे रही है । सभी मजदूर जांजगीर चाम्पा और बलौदाबाजार जिले के रहने वाले है ।
क्या कह रही महिलाएं सुनिये…