राजधानी में भटकते 7 मानसिक रोगियों को मिला आसरा: हुआ कायाकल्प
लॉकडाउन में समाज कल्याण विभाग जुटा है विक्षिप्तों को सुरक्षित रखने में
रायपुर, 27 अप्रैल 2020/ कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जब हर कोई घरों में है। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनका कोई आसरा नहीं है, या मानसिक रोग के कारण वो अपना घर-बार भूल कर इधर-उधर भटक रहे हैं। मानसिक विक्षित न ही अपनी भावना को व्यक्त कर पाते हैं न ही नाम-पता बता सकते हैं। सार्वजनिक स्थलों में भटक रहे ऐसे मानसिक रोगियों और बेसहारा लोगों को सुरक्षित रखने और उनके पुनर्वास के लिए छत्तीसगढ़ शासन संवेदनशीलता से काम कर रही है। राजधानी रायपुर में समाज कल्याण विभाग ने सार्वजनिक स्थलों पर घूमते हुए 7 मानसिक रोगियों को ढूंढकर उन्हें घरौंदा योजना के तहत आश्रय गृह में सहारा दिया है। समुचित देख-भाल से कुछ ही दिनों में मानसिक रोगियों का कायाकल्प ही हो गया है। उनकी दशा में इतना बड़ा परिर्वतन दिखाई देने लगा है, कि उन्हें पहले की तुलना में अब पहचानना भी मुश्किल है। यह परिर्वतन उनके पहले और वर्तमान की फोटो में भी स्पष्ट नजर आता है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सभी जिलों में ऐसे निराश्रित, वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग व्यक्तियों जिनके पास कोई आसरा न हो उनके लिए आश्रय गृहों में व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके परिपालन में विभागीय मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया के निर्देशन में शहर में घूमते हुए मानसिक रोगियों को आसरा देने के लिए समाज कल्याण विभाग जुटा हुआ है। लॉकडाउन में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए टोल फ्री नम्बर 104 और दूरभाष पर नम्बर 112 या अन्य किन्ही माध्यमों से पता चलने पर जरूरतमंद, बुजुर्ग, तृतीय लिंग के व्यक्तियों और बेसहारा लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी दौरान राजधानी रायपुर में 19 अप्रैल को छह मानसिक रूप से विक्षित और 20 अप्रैल को एक विक्षित व्यक्ति मिला। इनमे से पांच पुरूष और दो महिलाएं थीं। इन व्यक्तियों को राजधानी के रेल्वे स्टेशन, बस स्टैण्ड, मेकाहारा, घड़ी चौक, गोल बाजार और शास्त्री चौक से रेस्क्यू किया गया। रेस्क्यू के बाद इन्हें आश्रय गृह में संरक्षण प्रदान किया गया। यहां मानसिक रोगियों के इलाज, खान-पान सहित पूरी देख-भाल की व्यवस्था की गई है।
उल्लेखनीय है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित घरौंदा आश्रय गृहों में 18 वर्ष से अधिक आयु के लकवा, बौद्धिक, मंदता, स्वपरायणता (ऑटिज्म) और बहुनिःशक्तता से पीड़ित रोगियों को निःशुल्क आजीवन रहने की व्यवस्था की गयी है। यहां उनकी देख-भाल और संरक्षण का समुचित प्रबंध भी किया जाता है। वर्तमान में राज्य में 4 घरौंदा आश्रय गृह रायपुर, बिलासपुर, अम्बिकापुर और कोरिया में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से संचालित हैं।