छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नई कार्यकारिणी की घोषणा से संगठन में डॉ. शिव कुमार डहरिया का प्रभाव बढ़ा….गिरीश को खनिज, धर्मेंद्र को गृनिमं व मल्कित सिंह गेदू को जगह मिलना तय
छग कांग्रेस में डहरिया को मिला पुनिया का साथ, शकुन डहरिया आ गई फ्रंट लाइन में
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नई कार्यकारिणी की घोषणा से संगठन में डॉ. शिव कुमार डहरिया का प्रभाव बढ़ा है संगठन में उनके समर्थकों को ज्यादा तवज्जों मिली है। उनकी पत्नी को संगठन में महत्वपूर्ण पद और जिम्मेदारी मिलने से साफ है कि संगठन में डॉ. डहरिया का का कद बढ़ा है। ऐसा प्रदेश प्रभारी पी.एल.पुनिया से उनकी निकटता और संबंधों के चलते ही संभव हो सका है। प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी में जहां 2003 के दौरान जोगी समर्थक के तौर पे जाने वाले लोगों के साथ अब डॉ. डहरिया के समर्थकों का भी जमावड़ा है वही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ध्यान अब संगठन के बजाय सरकार की ओर ज्यादा है ऐसे में उनके ज्यादातर समर्थक अब संगठन से दूर नजर आ रहे है दूसरी ओर टी.एस.बाबा संगठन में ज्यादा हस्तक्षेप के इच्छुक कभी नहीं रहे वे अपने तरीके से पार्टी की सेवा में तत्पर रहते है।
राजनीति कभी एक धारा पर नहीं चलती,नेतृत्व क्षमता और समय काल के साथ निष्ठा बदलती रहती है। इसे ही राजनीति मर्मज्ञ राजनीति का स्वभाव कहते है। प्रदेश गठन के साथ कई राजनीतिक उतार चढ़ाव देखेेगए, जोगी के मुख्यमंत्रित्व काल से रमन सिंह तक लोगों की निष्ठा बदलती रही। अब फिर कांग्रेस शासन में भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनते ही संगठन मे ंपदस्थ उनके समर्थकों की रूचि सत्ता की ओर चला गया और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के वरदहस्त की छत्रछाया में डा. शिव डहरिया ने राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाना शुरू हो गया। भूपेश जब अध्यक्ष थे, तब संगठन में अपने करीबियों को मजबूत नेतृत्व देने अजीत जोगी को उनके समर्थकों सहित बाहर का रास्ता दिखाया और सरकार बनते ही सारे लोगों को कांग्रेस में वापसी कराकर जोगी कांग्रेस को अकेला छोड़ दिया। अब राजनीति यहां उलटी हो गई है। सत्ता संभालते ही भूपेश बघेल सरकार चलाने में व्यस्त हो गए। और सत्ता-संगठन के लिए समयाभाव के चलते मोहन मरकाम अध्यक्ष बनते ही शिव डहरिया को विश्वास में लिया और नई कार्यकारिणी का गठन कर लिया। भूपेश बघेल समर्थकों को सत्ता में जगह मिलने के कारण कम ही नजर आए। जो नेता पदाधिकारी बने है वे मरकाम और डहरिया के साथ जोगी के साथ जुड़े नेता है, जिन्हें कार्यकारिणी में स्थान दिया है और कमोबेश 2008-09 के बाद के ही अधिकतर कांग्रेसजन हैं और वर्तमान कार्यकारिणी में जगह पाने में कामयाब हुए है। भूपेश बघेल की मंशा यह रहेगी कि वे अपने पुराने समर्थकों और कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए मददगार ईमानदार कांग्रेसियों को लोगों निगम मंडलों में मौका देकर कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच में संतुलन बनाया जाए।
गिरीश को खनिज, धर्मेंद्र को गृनिमं व मल्कित सिंह गेदू को जगह मिलना तय
ऐसा नहीं कि कांग्रेस में बह रही राजनीतिक हवा से भूपेश बघेल बेखबर है, वे दूर के कौड़ी को पहचानते है, इसलिए आने वाले 2023 की चुनावी तैयारी का जिम्मा निगम मंडलों के माध्यम से अपने खास लोगों को देने चाहते है। गिरीश देवांगन को खनिज निगम और धर्मेंद्र यादव को गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष बनाने का मन बना लिया है, मल्कित सिंह गेंदू, जैसे वरिष्ठ नेताओं को निगम मंडलों में नियुक्त किया जा सकता है। शहरी क्षेत्र के सभी पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी आरडीए सहित अन्य निगम मंडलों में समायोजित किया जा सकता है। छोटे और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को एल्डरमेन बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।